29 सालों तक पुलिस से आंख-मिचौली खेलते रहे हत्यारे, अब शिकंजे में फंसी गर्दन...सलाखों में गुजरेगी जिंदगी

2/1/2024 8:25:35 PM

पानीपत(सचिन शर्मा): एसपी अजीत शेखावत के मार्गदर्शन में सीआईए वन प्रभारी इंस्पेक्टर दीपक कुमार ने 29 साल पहले हुई हत्या के मामले में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार पानीपत में स्थित एक रिफाइनरी में वर्ष 1995 में एक श्रमिक की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के बाद से ही दोनों आरोपी फरार चल रहे थे। बुधवार को दोनों आरोपियों को पुलिस ने बिहार के चंपारण से गिरफ्तार कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। दोनों आरोपी सगे भाई हैं, हत्या के समय एक नाबालिग था। 

'1500 रुपये के लिए कर दी हत्या'

मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मयंक मिश्रा ने वीरवार को सीआईए वन स्टाफ में प्रेसवार्ता कर प्रकरण की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूछताछ में दोनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि मृतक शम्भू यादव रिश्तेदारी में उनके बड़े भाई का साला था। उन दोनों को शम्भू यादव ही काम के लिए गांव से पानीपत रिफाइनरी लेकर आया था। उन दोनों भाई ने शम्भू से काम के 1500 रूपये मांगे तो उसने पैसे देने से मना कर दिया। पैसों को लेकर उनकी शम्भू के साथ कहासुनी हो गई। इसकी रंजिश रखते हुए आरोपी दोनों भाईयों ने मिलकर 26 जुलाई की देर रात झुग्गी के बाहर सो रहे शम्भू की चाकू से गला रेतकर हत्या कर दी और मौके से फरार हो गए थे। शिकायत के आधार पर थाना मतलौडा में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अभियोग दर्ज कर पुलिस द्वारा कानूनी कार्रवाई अमल में लाई गई थी।

थाना मतलौडा में वर्ष 1995 जुलाई महीने में मुख्तयार निवासी रसीदपुर छपरा बिहार ने शिकायत देकर बताया था कि वह रिफाइनरी में सीसीपीएल कंपनी में श्रमिकों पर मुंशी लगा हुआ है। कंपनी में काम करने वाले श्रमिक आफिस के नजदीक ही झुग्गी डालकर रहते हैं। 26 जुलाई 1995 की रात श्रमिक कारपेंटर शंम्भू यादव निवासी रतनपुर पूर्वी चंपारण बिहार खाना खाकर झुग्गी के बाहर सो गया था। अल सुबह करीब 4 बजे राम सेवक निवासी परराही सीतामाई ने उसको क्वार्टर पर आकर बताया कि शंम्भू यादव की अज्ञात युवक ने गले पर तेजधार हथियार से चोट मारकर हत्या कर दी। राम सेवक के साथ उसने मौके पर जाकर देखा तो झुग्गी के आगे शंम्भू यादव का शव खून से लथपथ पड़ा था। 

1 साल बाद मृतक केभाई बताया उसने देखी थी हत्या की वारदात 

मृतक का छोटा भाई नगीना भी झुग्गी में अपने भाई के साथ रहता था। नगीना ने वारदात के एक साल बाद सितम्बर 1996 में माननीय न्यायालय में बताया कि उसने जगतराय व बली राय को उसके भाई शम्भू की हत्या करते हुए देखा था। पुलिस ने दोनों आरोपियों की धरपकड़ के लिए उनके विभिन्न ठीकानों पर दंबिश दी। दोनों आरोपियों के कहीं कोई सुराग नहीं लगे। माननीय न्यायालय ने आरोपी जगतनाराण को वर्ष 1996 में व आरोपी बली राय को 1997 में उद्धघोषित आरोपी (पीओ) घोषित किया था।

फोटो ना होने से आरोपियों की गिरफ्तारी बनी चुनौती 

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मयंक मिश्रा ने बताया कि आरोपियों की रिकार्ड फाइल में कोई फोटो ना होने से पुलिस के लिए आरोपियों को पकड़ना भी थोड़ा चुनौती थी। सीआईए वन प्रभारी इंस्पेक्टर दीपक ने विवेक से कार्य करते हुए स्टाफ की एक टीम को आरोपियों की धरपकड़ के लिए दो महीने पहले बिहार में आरोपियों के गांव भेजा। पुलिस टीम ने करीब एक सप्ताह वहां रहकर जानकारी जुटाई। इस दौरान जानकारी मिली की दोनों आरोपी कभी कभी छुपकर रात को गांव में आते हैं। सीआईए वन की टीम एक सप्ताह पहले दोबारा से बिहार गई। आरोपी जगतराय छुपकर गांव आया तो सीआईए वन पुलिस टीम ने मिली गुप्त सूचना पर दबिश देकर आरोपी जगतराय को काबू किया। इसके बाद वारदात में शामिल उसके छोटे भाई आरोपी बली राय को भी गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों आरोपियों ने शम्भू यादव की चाकू से गला रेत कर हत्या करने की बात आरोपियों ने स्वीकार ली।

'8 साल मथुरा के आश्रम में छुपकर काटी फरारी'

पूछताछ में आरोपियों से खुलासा हुआ कि वारदात के बाद दोनों आरोपियों ने शुरू के 8 साल एक साथ मथुरा के एक आश्रम में छुपकर फरारी काटी। इस दौरान दोनों कभी भी अपने घर नहीं गए। इसके बाद आरोपी बली राय दिल्ली के बसंत कुंज में किसी के यहा नौकर के रूप में काम करने लगा। आरोपी जगतराय ने दिल्ली, पंजाब व बिहार में भी फरारी काटी। बाद में दोनों आरोपी कभी कभी चोरी छिपे रात को घर आने जाने लगे। पुलिस ने प्रारंम्भिक पूछताछ के बाद वीरवार को दोनों आरोपियों को माननीय न्यायालय में पेश किया जहा से उन्हें 1 दिन के पुलिस रिमांड पर हासिल किया। रिमाड के दौरान पुलिस आरोपियों से गहनता से पूछताछ करेंगी।

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Content Editor

Saurabh Pal