8 सीटर वैन में ठूंस रखे थे 39 मासूम, जज ने देखा तो चालक के उड़े होश

1/21/2017 1:07:42 PM

पानीपत (अनिल कुमार):उत्तर प्रदेश के एटा जिले में वीरवार को हुई भीषण दुर्घटना में 12 बच्चों के मारे जाने से पूरा देश भले ही शोक में क्यों न हो या फिर राजस्थान के चुरू जिले में स्कूल बस पलटने से 25 बच्चों के घायल हो जाने का मामला हो, कहीं न कहीं कमी स्कूल प्रबंधन की जरूर होती है। पानीपत में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा मंत्रालय, जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और आर.टी.ओ. की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।जिम्मेवार आखिर कौन
अनेक प्रकार के ऐसे सवाल निकलकर सामने आ गए हैं जिनका जवाब दिया जाना बेहद जरुरी है। इस बात के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है कि यदि स्कूल प्रबंधकों द्वारा बरती जा रही लापरवाही के चलते किसी प्रकार की अनहोनी पानीपत में भी घटित होती है तो इसका जिम्मेवार आखिर कौन होगा। 

जज ने स्कूल वैन से निकाले 39 बच्चें
पानीपत के सी.जे.एम मोहित अग्रवाल ने बापौली खंड़ के गांव नवादा आर में एक स्कूल वैन में ठूंस-ठूंस कर भरे गए 39 बच्चों को वैन से निकलवाया। स्कूल में छुट्टी होने के बाद बच्चों को घर छोड़ने के लिए स्कूल प्रबंधकों द्वारा एक कंडम हो चुकी सूमो का प्रयोग किया जा रहा था। इस सूमो में 4 से 8 साल तक के बच्चे भरे हुए थे। शारदा शिक्षा निकेतन स्कूल की इस सूमो का प्रयोग बीते लंबे समय से बच्चों की ट्रांस्पोर्टेशन के लिए किया जा रहा था। बच्चों को पशुओं की तरह से सूमो में भरा हुआ देख सी.जे.एम ने अपनी गाड़ी रुकवाकर हालात का जायजा लिया और सनौली थाना पुलिस को मामले की सूचना देते हुए मौके पर बुलाया। सी.जे.एम के निर्देश पर पुलिस ने सूमो को कब्जे में ले लिया है और विभिन्न धाराओं के तहत सूमो के चालान किए गए हैं।

जज के पूछने पर सूमो चालक का जवाब
जज मोहित अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने सूमो चालक रणबीर को वाहन के कागजात, रजिस्ट्रेशन, पोल्यूशन, इंश्योरेंस दिखाने के साथ ही उसका लाइसेंस मांगा लेकिन चालक के पास किसी प्रकार का भी कागज मौजूद नहीं था। चालक रणबीर का कहना था कि सभी कागजात मौजूद तो हैं लेकिन वे घर पर रखे हुए हैं। रणबीर को कागजात मंगवाने का समय भी दिया गया लेकिन इसके बावजूद वह कोई भी कागज उपलब्ध नहीं करवा पाया। जिस सूमो का इस्तेमाल बच्चों की ढुलाई के लिए किया जा रहा है। वह पूरी तरह से कंड़म हो चुकी है। देखने भर से ही साफ प्रतीत होता है कि गाड़ी चलाने के लायक भी नहीं है लेकिन बावजूद इसके इसका इस्तेमाल बच्चों की ट्रांस्पोर्टेशन के लिए किया जा रहा था। गाड़ी में बीच का दरवाजा खुलता नहीं है तो आगे का दरवाजा भी बामुश्किल जोर लगाकर ही खोलना पड़ता है। ऐसे में अब जिला शिक्षाधिकारी उदय प्रताप सिंह कह रहे हैं कि इस मामले में उन्हें शिकायत की जरुरत भी नहीं है और जल्द ही स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाई अमल में लाई जाएगी।