4 राजनीतिक दलों में बंटा ‘ताऊ’ का ‘कुनबा’

11/7/2018 10:00:43 AM

सिरसा(संजय अरोड़ा): हरियाणा में परिवारवाद की सियासत का एक लम्बा इतिहास रहा है। हरियाणा के गठन के समय से ही परिवारवाद की परम्परा रही है। इसके साथ ही हरियाणा की सियासत का यह अनूठा मिजाज ही है कि वक्त और परिस्थितियों के साथ ताकतवर सियासी परिवारों में सत्ता संघर्ष को लेकर दरारें भी आती रही हैं। चाहे वह प्रदेश का बड़ा परिवार देवीलाल परिवार हो, बंसीलाल परिवार हो, राव बीरेंद्र सिंह का परिवार हो या फिर भजन लाल का परिवार हो। वर्तमान समय में चौटाला परिवार में आए बिखराव के बाद चुनाव से पहले ही हरियाणा में सर्द मौसम की आहट में गर्माहट का आलम है। 

ठंड की दस्तक के साथ सोनीपत के गोहाना में हुई इनैलो की रैली के बाद से चौटाला परिवार में सबकुछ  ठीक नहीं चल रहा है। पहले इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला की ओर से 11 अक्तूबर को अपने दोनों पोतों सांसद दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला के निलम्बन की खबर आई और 3 दिन पहले दोनों के पार्टी से निष्कासन का आदेश आया। इस बीच नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला एवं दूसरे खेमे दुष्यंत दिग्विजय के समर्थक सोशल मीडिया से लेकर रैलियों एवं जलसों में डटे नजर आए। अब पैरोल पर जेल से बाहर आने के बाद दिल्ली में 18 जनपथ पर अजय सिंह चौटाला के तेवर तल्ख दिखे और आज उन्होंने इस क्रम में विभिन्न जिलों में जलसों को संबोधित किया। 

इनैलो, कांग्रेस व भाजपा में पहले से बंटा है परिवार
उल्लेखनीय है कि देवीलाल परिवार के बिखराव के साथ ही इस परिवार के सदस्य अब सीधे चार दलों में बंटे नजर आ रहे हैं। खुद इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला इनैलो की कमान संभाले हुए हैं तो वहीं चौटाला के छोटे भाई रणजीत सिंह पिछले कई वर्षों से कांग्रेस पार्टी में हैं जबकि चौटाला के सबसे छोटे भाई स्व. जगदीश के बेटे आदित्य भाजपा में हैं और जिला परिषद के सदस्य हैं। 

चौटाला के भाई स्व. प्रताप सिंह के बेटे रवि चौटाला अभी तक इस पूरे प्रकरण में चुप्पी साधे हुए हैं। ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला भी अब अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला व भाई अभय सिंह चौटाला से सीधेतौर पर अलग राजनीतिक रास्ता अपनाने का ऐलान कर चुके हैं जिसकी विधिवत घोषणा वे 17 नवम्बर को जींद में होने वाली राज्य स्तरीय रैली में कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो फिर हरियाणा के बड़े राजनीतिक घरानों में शामिल चौ. देवीलाल का परिवार राजनीतिक रूप से 4 पाॢटयों में बंटा हुआ नजर आएगा। 

हरियाणा में नया नहीं है परिवारवाद व बिखराव
गौरतलब है कि हरियाणा में परिवारवाद के पनपने व उसके बाद उसमें बिखराव आने की यह कोई नई सियासी कहानी नहीं है। रोचक पहलू यह है कि आज से कई दशक पहले भी देवीलाल परिवार से इसी तरह की कहानी शुरू हुई थी। देवीलाल 1987 में मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने छोटे बेटे रणजीत सिंह को कृषि मंत्री बनाया। रणजीत सिंह की उस समय की सरकार में तूती बोलती थी।

 इसके बाद देवीलाल परिवार में सत्ता के संघर्ष का दौर शुरू हुआ तो देवीलाल ने बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला को अपना उत्तराधिकारी बनाया। इस बात से मायूस हुए रणजीत ने लोकदल को अलविदा कहते हुए कांग्रेस ज्वाइन कर ली। रणजीत सिंह के अलावा उनके छोटे भाई प्रताप भी हमेशा अपने परिवार से बागी ही रहे जबकि सबसे छोटे बेटे जगदीश सियासी रूप से कभी सक्रिय नहीं रहे। आज प्रताप व जगदीश दुनिया में नहीं हैं। जगदीश के बड़े बेटे आदित्य भाजपा में है और जिला परिषद के सदस्य हैं। 

Deepak Paul