45 स्कूली वाहनों के काटे चालान, 11 जब्त

3/4/2017 12:58:40 PM

यमुनानगर(भारद्वाज):बाल अधिकार संरक्षण आयोग हरियाणा के सदस्य परमजीत सिंह बडोला ने हाइकोर्ट के निर्देशानुसार शुक्रवार को जगाधरी बस स्टैंड चौक पर टीम के सदस्यों के साथ स्कूली बसों की चैकिंग की। उनके साथ टीम में जिला बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति की चेयरपर्सन सतपाल कौर, सी.डब्ल्यू.सी. के सदस्य राजगोपाल, सुरेश पाल, रुचि, कानूनी अधिकारी रंजन शर्मा, यमुनानगर व जगाधरी के यातायात प्रभारी राजबीर सिंह, शिक्षा विभाग के बी.ई.ओ. सतीश गोयल, आर.टी.ए. की ओर से एम.वी.आई. महेश कुमार उपस्थित थे। अनियमितताएं मिलने पर आर.टी.ए. द्वारा 45 चालान व 11 वाहन जब्त किए गए। 

 

आयोग के सदस्य परमजीत सिंह का कहना
आयोग के सदस्य परमजीत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार पूरे हरियाणा में यह अभियान 1 से 15 मार्च तक चलाया जा रहा है। आयोग द्वारा स्कूली वाहनों की चैकिंग के लिए उनको 4 जिले पंचकूला, यमुनानगर, अम्बाला व कुरुक्षेत्र दिए गए हैं। 3 जिलों में प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। उनका कहना है कि स्कूली बच्चे सुरक्षित रहें। इसके लिए हाईकोर्ट द्वारा गाइड लाइन्स दी गई हैं। 

 

सुबह ही चैकिंग टीम पहुंची जगाधरी बस स्टैंड चौक
गत सुबह ही चैकिंग टीम जगाधरी बस स्टैंड चौक पर पहुंची और यातायात पुलिस की मदद से स्कूल वाहनों को चैक करना आरंभ कर दिया। लगभग सभी स्कूली वाहनों में कोई न कोई कमी अवश्य पाई गई। किसी वाहन के दस्तावेज पूरे नहीं थे तो किसी बस में महिला सहायिका नहीं मिली। बच्चों को अनधिकृत ढंग से ले जा रहे वाहनों को जब्त कर लिया गया। 

 

महिला सहायिका की कमी छिपाने के लिए अध्यापिकाओं ने खुद को बताया अटैंडैंट
स्कूल वाहन में महिला सहायिका की कमी को छिपाने के लिए कुछ स्कूल की अध्यापिकाओं ने अपने आपको अटैंडैंट बताकर पीछा छुड़ाने की कोशिश की परंतु टीम के सामने उनकी चतुराई काम नहीं आई और बाद में उन्होंने अपने आपको अध्यापिका घोषित करने में ही अपनी भलाई समझी। इसके अतिरिक्त अधिकतर स्कूली वाहनों में अध्यापक व अध्यापिकाएं बच्चों के साथ सफर करती पाई गई। जो कि गलत था। इसी प्रकार प्राइवेट तौर पर बच्चों को ले जा रहा वाहन टाटा मैजिक  के चालक ने भी टीम को चकमा देने की कोशिश की और अपने आपको वाहन का मालिक बताया परंतु वास्तव में चालक उसका भाई था। इस वाहन को मौके पर ही जब्त कर लिया गया। 

 

अधिकतर वाहन चालकों के मैडीकल फिटनैस सर्टीफिकेट गलत
अधिकतर वाहन चालकों के मैडीकल फिटनैस सर्टीफिकेट गलत पाए गए। सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत हाईकोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार चालक का मैडीकल फिटनैस सर्टीफिकेट सिविल सर्जन द्वारा जारी किया हुआ होना चाहिए। 

 

चैकिंग के दौरान बच्चों व अभिभावकों को करना पड़ा परेशानी का सामना
चैकिंग के दौरान बच्चों व अभिभावकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। बच्चों को जहां स्कूल जाने में देरी हुई, वहीं अभिभावकों को उनके पेपर में हो रही देरी की ङ्क्षचता सता रही थी। कुछ अभिभावकों ने उसका विरोध भी किया परंतु उन्हें हाईकोर्ट के निर्देशों का हवाला देकर चुप करवा दिया गया। 

 

क्या हैं हाईकोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देश
स्कूली बस या अन्य वाहन पीले रंग के होने चाहिएं। जिस पर 254 एम.एम. चौड़ी पट्टी व खिड़कियों के नीचे 178 एम.एम. की गहरे नीले रंग की पट्टी बनी होनी चाहिए।

स्कूल वाहन पर लाल व सफेद रंग की रिफ्लैक्टिव टेप लगी होनी चाहिए।

स्पीड गवर्नर लगा होना चाहिए।

वाहन पर स्कूल बस लिखा होना चाहिए।

स्कूल बस के चालक के पास पूर्ण दस्तावेज होने चाहिएं व अनुभवी चालक, परिचालक व अटैंडैंट होना चाहिए।

स्कूल वाहन चालक के 3 से अधिक चालान नहीं होने चाहिएं।

लड़कियों के लिए लगाई गई स्कूल बस में महिला सहायिका होनी आवश्यक है।

फर्स्ट-एड बॉक्स सही प्रकार से मैन्टेन होना चाहिए।

चालक-परिचालक को 3 साल के अंतराल में रिफ्रैशर कोर्स परिवहन विभाग से लेना आवश्यक है।

चालक का मैडीकल फिटनैस सर्टीफिकेट केवल जिले के सिविल सर्जन द्वारा 3 साल में एक बार लेना आवश्यक है। 

चालक-परिचालक को यूनिफार्म पहनना आवश्यक है।