आरक्षण मांग रही जाट समेत 6 जातियों को HC का बड़ा झटका

8/11/2017 9:21:25 AM

चंडीगढ़:जाट समेत 6 जातियों (जाट, रोड, त्यागी, बिश्नोई, जट सिख, जाट मुल्ला) को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के फैसले पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। सोनीपत के गोहाना (सोनीपत) निवासी विकास व अन्यों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किए। याचियों ने 7 जून, 2017 को हरियाणा सरकार द्वारा जारी आदेशों को चुनौती दी थी जिनमें ई.बी.पी. कैटागरी में दायरा बढ़ाते हुए जाट, बिश्नोई, जट्ट सिख, रोड़, त्यागी व मुल्ला जाट को रिजर्वेशन का लाभ प्रदान किया गया था। यह आदेश 23 जनवरी, 2013 की नोटिफिकेशन के आधार पर किया गया था। 

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सैक्रेटरी (परसोनल एंड ट्रेनिंग) डिपार्टमैंट, वैल्फेयर ऑफ शैड्यूल्ड कास्ट एंड बैक्वर्ड क्लास डिपार्टमैंट के प्रिंसीपल सैक्रेटरी समेत हरियाणा स्टाफ सिलैक्शन कमीशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। याची पक्ष के वकील वी.के. जिंदल ने बताया कि जनरल कास्ट पर्सन्स को आर्थिक आधार पर ई.बी.पी. में 10 प्रतिशत का रिजर्वेशन मिला हुआ था। वहीं वर्ष 2016 में हरियाणा सरकार ने जाटों समेत कुछ अन्य जातियों को बैक्वर्ड क्लास-सी के शैड्यूल 3 में डाल दिया था। उस मामले में हाईकोर्ट की अन्य डिविजन बैंच में स्टे लगा हुआ है। इसी बीच जून, 2017 में जाटों समेत 6 जातियों को सरकार द्वारा ई.बी.पी. में डालने के आदेश जारी कर दिए गए थे। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कहा गया था कि संबंधित जातियां पहले ही बैक्वर्ड क्लास सी में हैं। 

14 सितम्बर को होगी अगली सुनवाई
मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 सितम्बर की तारीख तय की गई है और वहीं प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किया गया है। दायर याचिका में सरकार द्वारा जून, 2017 में जारी किए गए प्रशासनिक आदेशों को चुनौती दी गई थी। सरकार के इन आदेशों पर स्टे लगने से संबंधित जातियों को याचिका के लंबित रहने तक आर्थिक आधार पर आरक्षण के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। गौरतलब है कि जाटों समेत कुछ अन्य जातियों के रिजर्वेशन को अन्य याचिका में भी चुनौती दी गई थी जिस पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित है। 
* आखिर कौन हैं जाट 
जाट हरियाणा के किसानों की एक जाति है। इस जाति के तमाम लोग उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में भी रहते हैं। हालांकि ज्यादातर जाट हरियाणा में ही रहते हैं। और हरियाणा की राजनीति में इनका असर हमेशा दिखाई देता है। हरियाणा में जाटों की आबादी लगभग 27 प्रतिशत के आस-पास है। दरअसल जाट चाहते हैं कि केंद्र सरकार संसद में कानून बनाकर जाटों को केंद्रीय सेवाओं में ओबीसी में शामिल करे। इसके साथ ही यूपी में ओ.बी.सी. में शामिल जाटों के आरक्षण में कोई छेड़छाड़ ना हो। हरियाणा सरकार भी यूपी की तरह जाटों को ओबीसी में शामिल करे। इसी तरह पंजाब,जम्‍मू कश्‍मीर, महाराष्‍ट्र और आंध्रप्रदेश के जाटों को भी ओ.बी.सी. आरक्षण का लाभ दिया जाए। 

जाटों की मांगें
1. प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान गोली चलवाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
2. आंदोलन में मारे गए युवकों को शहीद का दर्जा।
3. पिछले और हाल ही में हुए आंदोलन के दौरान जो मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हें रद्द किया जाए। 
4. बीसी-बी कैटेगरी में आरक्षण चाहिए, चाहे उसे 11 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत किया जाए।
5. गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सीएम मनोहर लाल खट्टर द्वारा किए गए वादे तुरंत पूरे किए जाएं।
7. परिवारों को उचित मुआवजा और आश्रितों को नौकरी दी जाए।

* 20,000 करोड़ का हुआ नुकसान 
जाट आंदोलन में 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नकसान हुआ था। इस दौरान उपद्रवियों ने प्रदेश भर में 1200 वाहनों को आग के हवाले किया और 500 से अधिक दुकानों, शोरूम, मॉल, सिनेप्लेक्स यहां तक कि टोल प्लाजा तक को लूट लिया और आरक्षण की आग में झोंक दिया। नेशनल हाईवे से लेकर रेलवे ट्रैक तक को जाम कर दिया गया। न तो कई बस आगे बढ़ सकी और न ही ट्रेन। इस पूरे हिंसक आंदोलन में तीस लोगों की मौत भी हुई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। 10 दिन तक चले आरक्षण के लिए इस आंदोलन ने पूरे प्रदेश के साथ साथ देश को भी हिला कर रख दिया। 20 फरवरी को होने वाली एचटेट परीक्षा भी रद्द करनी पड़ी। 8 जिलों में धारा 144 लगाई गई। आंदोलन को देखते हुए पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक बलों को सोनीपत, रोहतक, झज्जर, जींद और फतेहाबाद जैसे संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया। 

गौरतलब है कि पिछली बार 14 फरवरी को सांपला से जाट आरक्षण आंदोलन की शुरुआत हुई थी। यहां हाइवे जाम कर दिए गए थे। इसके बाद यह आंदोलन पूरे जिले में फैल गया था। हिंसा भी हुई थी।