8वीं पास यादविंदर ने 50 हजार से शुरु की थी मशरूम फार्मिंग, अब सालाना कमा रहा 7 करोड़ रूपए

punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 12:20 PM (IST)

कुरुक्षेत्र (रणदीप) : मशरूम फार्मिंग हरियाणा सहित पूरे भारत में काफी लोकप्रिय होती जा रही है। मशरूम एक पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर फफूंद  है, जिसे सब्जी और औषधि दोनों रूपों में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B, D, पोटेशियम, सेलेनियम और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। मशरूम में वसा और कोलेस्ट्रॉल बहुत कम होता है, जिससे यह हृदय के लिए लाभकारी माना जाता है।   

दुनिया भर में 10,000 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ ही खाने योग्य हैं, जैसे बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम और मिल्की मशरूम। भारत में मशरूम की खेती अब तेजी से लोकप्रिय हो रही है क्योंकि यह कम जगह, कम समय और कम लागत में अधिक लाभ देती है। ऐसी ही एक कहानी हम आज को बता रहे हैं कि एक किसान ने कैसे मशरूम के बारे में नए आयाम स्थापित किए हैं।

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8वीं पास किसान ने 50000 से शुरू की मशरूम फार्मिंग 

अगर मशरूम की खेती में किसान थोड़ी मेहनत करें तो वह इसमें अच्छा मुनाफा ले सकता है और यह एक ऐसी खेती है जो सर्दियों के समय में की जा लेकिन 12 महीने इसका प्रयोग किया जाता है। मशरूम की खेती में मेहनत करके किसान अपनी नई कहानी लिखकर हजारों लाखों लोगों को प्रेषित कर रहे हैं। ऐसी ही एक किसान यादविंदर सिंह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के गांव तल्हेरी की संघर्ष भरी कहानी है जिन्होंने मशरूम की खेती में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यादविंदर केवल आठवीं पास है लेकिन उन्होंने 2014 में अपने बंद पड़े पोल्ट्री फार्म में 50000 पर लगाकर मशरूम फार्मिंग शुरू की थी लेकिन अब उनका सालाना टर्नओवर  साढ़े 7 करोड़ का है।

₹3200 महीना दूसरे मशरूम फार्म पर करते थे नौकरी 

यादविंदर सिंह ने कहा कि 2008 में उन्होंने अपने ही गांव में एक मशरूम फार्म पर नौकरी करना शुरू की थी और उनकी तनख्वाह ₹3200 रुपए प्रति महीना थी। वहां पर काम करते-करते मशरूम फार्मिंग में वह इतना एक्सपर्ट हो गए कि वह एक छोटे से कर्मचारियों से सुपरवाइजर के पद पर पहुंच गए लेकिन फिर उन्होंने अपना खुद का काम शुरू करने की सोची और 2014 में उन्होंने 50000 रुपए लगाकर मशरूम फार्मिंग शुरू की। वह साथ में नौकरी भी करते थे और अपनी मशरूम फार्मिंग भी संभाल रहे थे। किसी दूसरे फार्म पर ₹3200 प्रति महीना नौकरी करना और फिर अपना काम नौकरी के साथ शुरू करना और उसको 7 करोड रुपए टर्नओवर तक लेकर जाना यादविंदर के लिए काफी चुनौती भरा रहा है।

 2016 में नौकरी छोड़ अपने काम का किया विस्तार

उन्होंने बताया कि 2016 में उन्होंने मशरूम फार्मिंग शुरू करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी हालांकि पहले वह 2014 से छोटे लेवल पर मशरूम फार्मिंग कर रहे थे लेकिन फिर उन्होंने अपना ही काम आगे बढ़ाने की सोची और फिर 2016 के बाद से ही उनका एक सफर शुरू हुआ जहां उन्होंने कड़ी मेहनत करके अपने मशरूम फार्मिंग के काम को करोड़ों रुपए के टर्नओवर तक पहुंचाने का काम किया। 

डोंकी से जाना चाहते थे विदेश लेकिन नहीं पहुंच पाए 

उन्होंने बताया था कि एक समय वह भी था जब 2006 में वह काम की तलाश में अपना देश छोड़ने को मजबूर हो गए और विदेश में डोंकी से जाने की सोची, वह कोरिया जाना चाहते थे लेकिन डोंकी से बीच रास्ते काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा जिसके चलते वह बीच रास्ते से ही वापस अपने वतन लौट आए। आज यादविंदर काफी खुश है कि अगर वह विदेश में भी होते तो इतना पैसा नहीं कमा पाते वहां भी वह मेहनत करते लेकिन फिर भी कभी इतने अमीर नहीं बन पाए और उनका भारत आने का फैसला उनके लिए काफी अच्छा साबित हुआ उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से मशरूम फार्मिंग में अपना पूरे भारत में नाम किया है। 

15 एकड़ में कर रहे मशरूम फार्मिंग 

उन्होंने बताया कि वह मशरूम का कंपोस्ट बनाने का काम करते हैं और साथ में मशरूम फार्मिंग करते हैं मशरूम का कंपोस्ट बनाने के लिए जो पक्का प्लांट है वह तीन एकड़ में बना हुआ है जबकि 12 से 15 एकड़ में वह मशरूम की खेती कर रहे हैं यह खेती शेड बनाकर की जा रही है। उन्होंने बताया कि वह 90 फीट वाले साइड बनाते हैं जिसमें करीब ढाई लाख रुपया खर्च आता है और एक साइड से मशरूम का उत्पादन होता है जिसमें मेहनत और मौसम के हिसाब से एक से ₹200000 आसानी से एक सेड से बचत हो जाती है।

Usa से मंगवाया मशरूम का बीज तैयार करने वाला कल्चर 

उन्होंने बताया कि वह अपने काम को और आगे लेकर जाना चाहते थे जिसके लिए वह ऊंच गुणवत्ता का मशरूम का बीज तैयार करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एक मशरूम उत्पादक किसान से संपर्क किया जिन्होंने उनका usa से मशरूम का बीज तैयार करने वाला कलर मुहैया करवाया। अब वह मशरूम का बीज usa के कलर के साथ उच्च गुणवत्ता का तैयार कर रहे हैं। उनका हर रोज करीब 3 टन कंपोस्ट फार्म से निकलता है जो किसानों तक पहुंचता है।

दूसरे राज्यों में मशरूम होती है सप्लाई 

उन्होंने बताया कि जो मशरूम का कंपोस्ट और बीज तैयार करते हैं वह उनका हरियाणा में ही बिक जाता है काफी डिमांड उसकी रहती है जो मुश्किल से पूरी होती है लेकिन जो उनकी मशरूम होती है वह दूसरे राज्यों में जैसे दिल्ली पंजाब उत्तर प्रदेश जम्मू कश्मीर जैसे आसपास के राज्यों में सप्लाई होती है हालांकि शुरुआती समय में जब उन्होंने फॉर्म की शुरुआत की थी तब उनको मशरूम सेल करने में थोड़ी समस्या होती थी लेकिन अब उनके पास दूसरे राज्यों से आर्डर आते हैं और वह उनको दूसरे राज्यों में ऑर्डर के आधार पर सप्लाई करते हैं। 

ढाई सौ परिवारों को दिया रोजगार 

उनके फार्म पर काम करने वाले और दूसरे फार्म पर नौकरी करने के दौरान उनके सहयोगी रहे सचिन राणा ने कहा कि यादविंदर ने काफी मेहनत की है वह एक साथ दूसरे फार्म पर नौकरी करते थे लेकिन उन्होंने छोटे से काम को बड़े लेवल पर लेकर जाने के लिए कड़ी मेहनत की है और आज जहां वह अपने लिए भी एक अच्छा प्लेटफार्म तैयार कर चुके हैं तो उसके साथ-साथ उन्होंने ढाई सौ लोगों को भी अपने फार्म पर रोजगार दिया हुआ है उनके साथ-साथ उनकी भी रोजी-रोटी चल रही है इनमें से करीब 150 महिलाएं हैं जो उनके फार्म पर काम कर रही हैं उन्होंने कहा कि कुछ उनके साथी उसे समय के भी उनके साथ जुड़े हुए हैं जब वह दूसरे फार्म पर नौकरी किया करते थे वह भी उनमें से एक है और उनके स्वभाव और मेहनत को देखा है उनके साथ पिछले काफी समय से कम कर रहे हैं।

कहते हैं कि अगर इंसान मेहनत करता है तो उसकी उसकी मेहनत का फल जरूर मिलता है और यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से संघर्ष करके मशरूम फार्मिंग में अपना एक बड़ा नाम बनाने का काम किया है। एक समय होता था जब वह दूसरे मशरूम फार्म पर केवल ₹3200 रुपए महीना में नौकरी करते थे लेकिन आज उनके फार्म का टर्नओवर साढ़े 7 करोड़ है। उनके पास सैकड़ो हजारों किसान मशरूम फार्मिंग की खेती के गुर सीखने के लिए आते हैं और यादविंदर उनको मशरूम की फार्मिंग करना सिखाते हैं जिसे और भी किसान मशरूम फार्मिंग अपना रहे हैं और इसमें अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।


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Content Writer

Manisha rana

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