100 से अधिक गांवों को स्वास्थ्य सेवा देने वाला अस्पताल खुद बीमार

6/4/2019 10:50:04 AM

साढौरा a(पंकेस): प्रदेश सरकार भले ही साढौरा में रिकॉर्ड तोड़ विकास करवाने के बड़े-बड़े दाव कर रही हो। मगर 100 से अधिक गांवों को स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए खोला गया कस्बे का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुछ और ही कहानी ब्यां कर रहा है। अच्छी स्वास्थ्य सेवा लोगों की मूलभूत आवश्यकता होती है। अगर यह सेवा लोगों को सही ढंग से न मिले तो बाकि के विकास कार्यों का ज्यादा महत्व नहीं रह जाता है। यही कुछ साढौरा कस्बे के साथ हो रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि वर्तमान सरकार में साढौरा में विकास कार्य हुए है मगर सच्चाई यह भी है कि साढौरा के सरकारी अस्पताल की तरफ जरा भी ध्यान नहीं दिया गया है। साढौरा अस्पताल की जो स्थिति 10 वर्ष पूर्व थी वही स्थिति जस की तस अब भी है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मात्र एक छोटे से गांव की एक छोटी-सी डिस्पैन्सरी मात्र बनकर रह गई है। साढौरा अस्पताल की स्थिति यह है कि सर्दी-खांसी, बुखार जैसी छोटी-मोटी बीमारियों से ग्रसित रोगियों का ही यहां इलाज संभव हो पाता है। अधिकांश मरीजों का रुख डाक्टर यमुनानगर की ओर मोड़ते हुए रैफर कर देते हैं। इससे कई गंभीर रूप से बीमार या जख्मी मरीज यमुनानगर पहुंचते हैं तो कई की सांसें इलाज के पूर्व ही थम जाती हैं।  डाक्टरों का कहना है कि साढौरा अस्पताल में संसाधन की भारी कमी है। डाक्टरों के लिए बने मकान जर्जर हो गए है जिसको देखते यहां कोई भी डाक्टर रात की एमरजैंसी ड्यूटी नहीं देना चाहता। इसके कारण रोगियों को काफी परेशानी होती है। 

समय-समय पर हो चुके हैं आंदोलन
डाक्टर न होने की कमी के कारण कुछ समय पहले साढौरा के सामाजिक संगठन व समाजसेवी राजन अरोड़ा ने भूख हड़ताल पर बैठे थे और एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री आवास पर भी जाकर इस बारे में मांगपत्र देकर आए थे। इसके बावजूद यहां कुछ समय एमरजैंसी सेवा शुरू हुई। पर अब फिर हालात पहले से बदतर है।

सरकार से मिले केवल आश्वासन
इस अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की मांग एवं गंभीर रोगों के डाक्टरों की इस अस्पताल में नियुक्ति को लेकर स्थानीय लोग अनेक बार स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा अनिल विज समेत प्रदेश के अन्य रसूखदार मंत्रियों से मिल चुके हैं मगर मिला केवल आश्वासन। स्थानीय निवासियों ने सरकार से मांग की है कि जो साढौरा या आसपास के डाक्टर बाहर नियुक्त हंै उनकी नियुक्ति स्थानीय कर देनी चाहिए। साथ ही खाली पड़े पदों को भी तुरन्त भर देना चाहिए। ऐसा करने से अस्पताल में डाक्टर्स की कमी नहीं रहेगी। इलाज सुचारू रूप से चलेगा।

कई विभागों में नहीं हैं विशेषज्ञ डाक्टर
डाक्टरों की कमी से इन दिनों साढौरा अस्पताल का खस्ताहाल है। जिसका खमियाजा यहां आने वाले मरीजों को झेलना पड़ रहा है। साढौरा अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों का अभाव है। 
नतीजतन, संबंधित समस्या को लेकर पहुंचने वाले मरीज अस्पताल तो पहुंचते हैं इलाज के लिए लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ जाता है। वैसे तो रविवार को सरकारी अस्पताल में सिर्फ एमरजैंसी में पहुंचे मरीजों का ही इलाज होता है पर एमरजैंसी में कोई डाक्टर नहीं होने से ओ.पी.डी. भी और एमरजैंसी भी छुट्टी पर ही ठप्प ही होती है। कई मरीजों के परिजनों ने कहा कि ऐसी स्थिति में उन्हें काफी परेशानियां होती हैं। एमरजैंसी में डाक्टर न होने से काफी लोग इलाज न मिलने से अपना दम तोड़ चुके हैं। 

Isha