मालिकाना हक को लेकर दाखिल की गई है याचिका, 40 हजार किसान हैं प्रभावित...जानिए पूरा मामला
punjabkesari.in Thursday, Jun 26, 2025 - 04:14 PM (IST)

चंडीगढ़( चंद्र शेखर धरणी ): हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में 40 हजार किसानों के नौतोड़ जमीन के मालिकाना हक के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की खंडपीठ ने विजय बंसल द्वारा दायर याचिका पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मोरनी हिल्स क्षेत्र में वन संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। न्यायालय ने वन अधिनिर्णयन अधिकारी (एफएसओ) को निर्देश दिया है कि वह अपनी रिपोर्ट तेजी से जमा करे और हरियाणा राज्य 31 दिसंबर 2025 तक धारा 20 के तहत आरक्षित वन के रूप में अधिसूचना जारी करे।
माननीय उच्च न्यायालय ने एफएसओ को सर्वेक्षण, सीमांकन और मानचित्र तैयार करने के लिए आवश्यक दस्तावेज और सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया है। एफएसओ को राजस्व अधिकारियों, वन अधिकारियों और सर्वे ऑफ इंडिया से आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, एफएसओ को उनके कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं और बुनियादी ढांचा प्रदान करने का निर्देश दिया गया है।
इसके साथ ही न्यायालय के अंतरिम आदेश के अनुसार, 18 दिसंबर 1987 की अधिसूचना में दिखाए गए मोरनी हिल्स क्षेत्र में सभी गैर-वन गतिविधियों पर रोक जारी रहेगी जब तक कि धारा 20 के तहत अधिसूचना जारी नहीं हो जाती। यह आदेश वन क्षेत्रों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसके साथ ही हरियाणा के वन सचिव को न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में एक शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें 7 महीनों के भीतर अनुपालन की जानकारी दी जाएगी। अनुपालन न करने पर संबंधित अधिकारियों के लिए दंडात्मक परिणाम हो सकते हैं।इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2026 के दूसरे सप्ताह में होगी, जब अनुपालन शपथ पत्र पर विचार किया जाएगा।
न्यायालय के इस आदेश से वन संरक्षण और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, और इसके क्रियान्वयन से वन क्षेत्रों की सुरक्षा और संरक्षण में मदद मिलेगी।याचिकाकर्ता विजय बंसल की ओर से माननीय हाईकोर्ट में पेश हुए वकील रवि शर्मा,दीपांशु बंसल, सजल बंसल एडवोकेट ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने जनहित में एक बड़ा निर्णय सुनाया है जिससे किसानों को उनका मालिकाना हक मिलेगा।
शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल ने बताया कि 2017 में किसानों को उनका हक दिलाने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।हाईकोर्ट को बताया गया कि लंबे समय से इस भूमि का मालिकाना हक देने की 40 हजार के करीब स्थानीय किसान मांग कर रहे हैं। वन विभाग ने कोर्ट में 2018 में झूठा शपथपत्र देकर बताया था कि नौतोड़ की समस्या के समाधान के लिए वन विभाग ने रि आईएफएस ऑफिसर एमपी शर्मा को 2 वर्ष के लिए फारेस्ट सेटलमेंट अफसर नियुक्त कर दफ्तर समेत आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवा दी हैं और उन्होंने काम भी शुरू कर दिया है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में अब अगली सुनवाई तक मोरनी की नौतोड़ भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी थी।कोर्ट को बताया गया कि 59998 एकड़ भूमि अधिग्रहण का फैसला लिया गया था जिसके बाद कुल 50807 एकड़ भूमि का वनक्षेत्र के लिए मुआवजा देकर अधिग्रहण किया गया। इसके बाद भूमि के मालिकाना हक पर विवाद हुआ था।