अबॉर्शन कराने गई महिला की बिना बताए ही की नसबंदी, टारगेट पूरा करने के लिए डॉक्टरों ने की ये हरकत
punjabkesari.in Thursday, Aug 21, 2025 - 11:16 AM (IST)

नूंह: हरियाणा के नूंह में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा एक महिला की बिना बताए ही नसबंदी करने का मामला सामने आया है। मामले का खुलासा होने पर स्वास्थ्य विभाग चुप्पी साधे हुए है। दवाब बनाकर मामले को दबाने का भी प्रयास किया जा रहा है। जिस महिला की नसबंदी की गई। वह गर्भ में बच्चा खराब होने पर अस्पताल में अबॉर्शन कराने पहुंची थी, लेकिन डॉक्टरों ने फैमिली प्लानिंग का अपना टारगेट पूरा करने के लिए यह महिला की नसबंदी कर दी।
मामला हरियाणा के नूंह के तावडू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है।प्राप्त जानकारी अनुसार तावडू के सेनीपुरा निवासी एक महिला के गर्भ में बच्चा पल रहा था। स्वास्थ्य कारणों के चलते गर्भ में पल रहा बच्चा खराब हो गया। महिला अबॉर्शन कराने एक निजी अस्पताल गई तो उन्होंने अबॉर्शन करने से मना कर दिया। इसके बाद महिला तावडू स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने अबॉर्शन करने की बात कह कर महिला को अस्पताल में एडमिट कर लिया। कुछ समय बाद डॉक्टरों ने महिला को बिना बताए फैमिली प्लानिंग का टारगेट पूरा करने के लिए उसकी नशबंदी कर दी। महिला को होश आने पर उसे इस बात की जानकारी दी गई कि उनकी नसबंदी कर दी गई है।जब इस बात का परिजनों को पता चल तो उन्होंने बुधवार को अस्पताल में आकर हंगामा कर दिया। जिसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रवर चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर निहाल सोलंकी ने मामला शांत कराने के लिए परिजनों को आश्वासन दिया कि उनकी नसबंदी फिर से खुल जाएगी। जिसके बाद डॉक्टरों ने महिला को नल्हड़ मेडिकल कॉलेज भेज दिया।
परिजनों द्वारा महिला को शहीद हसन खान मेडिकल कॉलेज नल्हड़ ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने नसबंदी खोलने से साफ मना कर दिया। इसके बाद महिला को अल-आफिया अस्पताल, मांडीखेड़ा भी ले गए, लेकिन वहां से भी निराशा हाथ लगी। नल्हड़ मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर का साफ कहना है कि महिला के अंदर खून की कमी है, इसलिए वह नसबंदी नहीं खोल सकते। 3 महीने के बाद ही इस बारे में सोच विचार किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि मामले में काफी गहमागहमी के बाद प्रवर चिकित्सा अधिकारी निहाल सोलंकी परिजनों को लिखित में दिया है कि तीन महीने बाद वह महिला की नसबंदी अपनी जिम्मेदारी पर खुलवाएंगे। इसमें किसी तरह का कोई पैसा भी पीड़ित परिवार का नहीं लगेगा, लेकिन डॉक्टर अपनी लापरवाही की बात मानने को तैयार नहीं हुए, जिस कारण बात फिर से बिगड़ गई। समाचार लिखे जाने तक इस मामले का कोई समाधान नहीं हुआ। वहीं प्रवर चिकित्सा अधिकारी निहाल सोलंकी ने बताया कि शिकायत मिलने पर जो भी कार्रवाई बनती है वो की जाएगी।
महिला के पास पहले 3 बेटियां है। महिला का कहना है कि उनके घर में बेटे की आस अधूरी रह गई है। वहीं परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए महिला को अलग-अलग अस्पतालों में भटकाते रहे। बिना महिला की अनुमति अबॉर्शन के साथ नसबंदी कर देना न केवल कानूनी उल्लंघन है, बल्कि महिला के प्रजनन अधिकारों का हनन भी है।