अब आधार कार्ड के बिना कुश्ती नहीं लड़ पाएंगे पहलवान

3/9/2018 4:54:46 PM

चंडीगढ़(ब्यूरो): आज के समय में आधार कार्ड हर जगह अनिवार्य किया जा रहा है। वहीं भारतीय कुश्ती संघ ने चैंपियनशिप में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए अब कुश्ती लड़ने के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। कोई भी पहलवान नेशनल व स्टेट चैंपियनशिप में आधार कार्ड के बिना कुश्ती नहीं लड़ सकेगा। पिछली कई चैंपियनशिप में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े सामने आए हैं। 

कुश्ती में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए उठाया यह कदम
पहलवान अपने प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाने के बाद संघ से एनओसी लिए बिना ही दूसरे प्रदेश से खेलना शुरू कर देते हैं। वह भी ऐसे प्रदेश को चुनते है, जहां कुश्ती में ज्यादा अच्छे पहलवान नहीं होते हैं। क्योंकि उन पहलवानों को स्टेट लेवल तक हराकर वह नेशनल तक आसानी से पहुंच जाता है। ऐसे पहलवानों का आसानी से पता भी नहीं चलता है क्योंकि स्टेट लेवल तक उनका रिकार्ड सभी प्रदेशों के संघ के पास अलग-अलग होता है। 

आधार कार्ड अनिवार्य से नहीं होगा फर्जीवाड़ा
वहीं ऐसे भी पहलवान हैं जो हारने के बाद अपने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर उम्र कम दिखा देते हैं। वह कम उम्र दिखाकर जूनियर स्तर पर खेलने लगते हैं। इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ही भारतीय कुश्ती संघ ने कैडेट, जूनियर व सीनियर की स्टेट व नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। अब किसी भी पहलवान के पूरा डाटा के साथ ही आधार कार्ड नंबर भी रिकार्ड में ऑनलाइन फीड किया जाएगा। जिससे किसी भी चैंपियनशिप में पहलवान के आधार कार्ड का नंबर डालकर यह पता लगाया जा सके कि वह पहले किस-किस जगह खेल चुका है और उसकी सही उम्र क्या है? संघ के पदाधिकारियों का मानना है कि आधार कार्ड में दर्ज जानकारी बदलवाई नहीं जा सकती है और उसके सहारे फर्जीवाड़ा आसानी से पकड़ा जा सकता है। 

कुछ पहलवानों को होगी परेशानी: तोमर
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी विनोद तोमर ने कहा कि नेशनल व स्टेट रेसलिंग चैंपियनशिप में सीनियर, जूनियर, कैडेट सभी के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे कुश्ती में होने वाले फर्जीवाड़े को रोका जा सके। इससे उन पहलवानों को परेशानी हो सकती है जो फर्जीवाड़ा करके दूसरे प्रदेशों से खेलने लग जाते थे। लेकिन उन पहलवानों के लिए फायदा होगा जो अपने यहां से दूसरे प्रदेशों के पहलवानों के खेलने से आगे नहीं बढ़ पाते थे। अब उन प्रदेशों के पहलवान भी नेशनल तक जरूर पहुंच सकते हैं।