अभय ने दी बड़े भाई को चुनौती- दोबारा चुनाव जीतकर नहीं आया तो राजनीति से ले लूंगा संन्यास
3/16/2020 4:05:22 PM
चंडीगढ़(धरणी): अजय चौटाला द्वारा अपने जन्मदिन पर रैली के दौरान दिए गए बयान पर इनेलो विधाायक अभय सिंह चौटाला ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अजय सिंह को यह गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए कि मैं उनकी बदौलत विधायक बना हूं। अजय सिंह और उनके बेटे दुष्यंत ने लाखों लोगों के साथ धोखा किया है। इनेलो से अलग होकर दोनों ने जननायक जनता पार्टी बनाई। प्रदेश की जनता ने उन्हें भाजपा के खिलाफ वोट दिए थे, लेकिन भाजपा की गोद में ही जाकर बैठ गए। दरअसल, पानीपत के इसराना में अपने जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित रैली में अजय सिंह चौटाला ने कहा था कि अभय सिंह चौटाला उनकी वजह से चुनाव जीते हैं।
अभय चौटाला ने कहा कि अजय सिंह और दुष्यंत ने चौधरी देवीलाल की नीतियों को लागू करने, युवाओं को रोजगार देने और 5100 रुपये पेंशन देने समेत कई मुद्दों पर लोगों को प्रलोभन दिया था। लोगों ने यह मान लिया था कि यह लोग चौधरी देवीलाल की नीतियों को आगे बढ़ाएंगे, इसलिए इनको मौका मिलना चाहिए, लेकिन इनके 10 के 10 विधायक अब एक साथ बैठकर मीटिंग तक नहीं कर सकते। सभी में एक दूसरे के प्रति अजीब भाव है। सभी को लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ है।
उन्होंने अजय सिंह चौटाला को चुनौती देते हुए कहा कि वे दुष्यंत चौटाला का उचाना से इस्तीफा दिलवा दें और मैं ऐलनाबाद से इस्तीफा देता हूं, जिसके बाद दोनों नए सिरे से चुनाव लड़ेंगे। फिर पता चल जाएगा कि किसने किसको जिताया है। अभय ने दावा किया कि लोगों का ओमप्रकाश चौटाला और मेरे प्रति भरोसा बढ़ा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि स्व. देवीलाल की नीतियों को हम लोग आगे ले जा रहे हैं।
अभय ने बड़ा ऐलान किया कि अगर मैं दोबारा चुनाव जीतकर नहीं आया तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा, लेकिन दुष्यंत यदि चुनाव नहीं जीता तो वह चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के पैरों में पड़कर माफी मांग लें। किसानों की बारिश व ओलों से बर्बाद फसल का जिक्र करते हुए अभय सिंह ने कहा कि किसान को 10 से 12 हजार रुपए मुआवजा नाइंसाफी होगा। किसानों को 40 से 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा मिलना चाहिए।
राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने उतारा हुड्डा का पुराना अहसान
राज्यसभा के चुनाव लेकर हुई चर्चा पर अभय चौटाला ने कहा कि संभावना थी कि भाजपा तीसरा उम्मीदवार उतारेेगी, लेकिन जैसे ही कांग्रेस की ओर से दीपेंद्र हुड्डा का नाम आया तो भाजपा ने हाथ पीछे खींच लिया। इससे यह जाहिर होता है कि कांग्रेस और भाजपा मिली हुई है। अब भाजपा ने अपना पिछला अहसान उतारने के लिए तीसरा उम्मीदवार नहीं उतारा है, क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा की हुड्डा ने मदद की थी। कांग्रेस की इस चुनाव में फूट खुलकर सामने आ जाती, लेकिन भाजपा ने अब कांग्रेस का साथ दिया है।कर माफी मांग लें।