खनन घोटाला: अभय ने खट्टर को ठहराया निजी तौर पर जिम्मेदार

9/22/2017 9:00:00 AM

चंडीगढ़ (संघी):नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर आरोप लगाया है कि खनन के जिस मामले में राज्य में सबसे बड़ा घोटाला हुआ है उसमें वह निजी तौर पर जिम्मेदार है। इस संदर्भ में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का हवाला दिया जो ‘स्पैशल लीव टू अपील’ में दिया गया। इस मामले का संबंध भिवानी जिले की ददम खानों से है। इसमें खनन का अधिकार मैसर्ज सुंदर मार्कीटिंग एसोसिएट्स व कर्मजीत सिंह एंड कंपनी लिमिटेड (के.जे.एस.एल.) को दिया गया था जिसमें मुख्य भागीदारी के.जे.एस.एल. की थी। मैसर्ज सुंदर मार्कीटिंग एसोसिएट्स खनन विभाग के नियमों के अनुसार अपने आपमें स्वतंत्र रूप से खनन की नीलामी में भी हिस्सा लेने की योग्यता नहीं रखते थे। परंतु जब के.जे.एस.एल. ने उक्त  साझेदारी से हटने का निर्णय लिया तो सुंदर मार्कीटिंग एसोसिएट्स ने सीधे मुख्यमंत्री को 14 मई, 2015 को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया कि के.जे.एस.एल. की 51 प्रतिशत साझेदारी का अधिकार भी उसी को दे दिया जाए। 

आश्चर्य की बात यह थी कि जो अनुरोध विभाग को किया जाना चाहिए था वह सुंदर मार्कीटिंग एसोसिएट्स ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री से किया। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि सभी कायदे कानूनों को ताक पर रखकरउक्त कंपनी, जो कि नीलामी में भागीदारी की योग्यता भी नहीं रखती थी, उसे खनन के अधिकार किस प्रकार दे दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूलों, चौपालों, श्मशानघाट, पार्कों एवं बस स्टॉप के निकट यात्रियों के विश्राम के लिए जो बैंच खरीदे जा रहे हैं और गलियों को पक्का करने के लिए जो इंटरलॉकिंग टाइल्स खरीदी जा रही हैं उनकी खरीद में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। 

विरोध के बावजूद बढ़ाई बांध की दीवारों की चौड़ाई
उन्होंने राज्य विजीलैंस ब्यूरो की इस रिपोर्ट की ओर भी ध्यान दिलाया जो पंचकूला के दूसरे चरण के विकास में हुए घोटाले से संबंधित है। ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार इस परियोजना के लिए 672 एकड़ भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी। परंतु इसमें से 372 एकड़ भूमि को अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि उसकी खरीद दो प्रमुख बिल्डर कंपनियों द्वारा अपनी व्यावसायिक परियोजनाओं के लिए की जा चुकी थी। इस क्षेत्र के पास कौशल्या बांध के बनने की परियोजना भी थी जिसकी अनुमानित लागत राशि 51 करोड़ रुपए थी। परंतु इन दोनों कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए कांग्रेस की हुड्डा सरकार द्वारा बांध की दीवार की चौड़ाई को बढ़ाने का फैसला किया, ताकि उस पर से नैशनल हाईवे से सीधा रास्ता इनकी परियोजनाओं को पहुंच सके। जिसकारण बांध की कीमत बढ़कर 118 करोड़ रुपए हो गई, हालांकि इसका विरोध सिंचाई विभाग द्वारा भी किया गया था। उन्होंने कहा कि विजीलैंस ब्यूरो की जांच के बाद जब यह पता चल गया कि डैम के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। फिर भी अभी तक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरुद्ध कोई एफ.आई.आर. दर्ज नहीं करवाई गई।