पत्नी और दो बेटों समेत गोलियों से छलनी कर दिए गए थे भजनलाल के एसीएस एमएल वर्मा

2/1/2021 1:42:31 PM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा सरकार की ओर से एसवाईएल नहर निर्माण और राजधानी चंडीगढ़ सरीखे अहम विवादित मुद्दे देखने वाले तत्कालीन आइएएस अधिकारी एमएल वर्मा अपने पूरे परिवार के साथ आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गए थे। आतंकवादी हमले में स्वयं एमएल वर्मा, उनकी धर्मपत्नी प्रीति वर्मा, बेटे गौरव और सौरभ, गनमैन तथा गाड़ी के चालक समेत छह लोग शहीद हो गए थे। यह घटना एक फरवरी 1992 की है। उस समय एमएल वर्मा हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल के अतिरिक्त प्रधान सचिव थे। इन मसलों पर वह केंद्र व पंजाब के साथ होने वाली वार्ताओं में लगातार हरियाणा का प्रतिनिधित्व करते थे।

एमएल वर्मा मूल रूप से यमुनानगर जिले के गांव लालहाड़ी कलां के रहने वाले थे। उनके छोटे भाई आइएएस संजीव वर्मा फिलहाल करनाल के मंडलायुक्त और हरियाणा बीज विकास निगम पंचकूला के प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। एमएल वर्मा 1974 बैच के एचसीएस अधिकारी थे। प्रदेश सरकार ने 1988 में उन्हें आइएएस प्रमोट कर दिया था। भजनलाल केंद्र में जब कृषि मंत्री थे, तब एमएल वर्मा उनके निजी सचिव के तौर पर कार्यरत रहे। हरियाणा में मुख्यमंत्री बनने के बाद भजनलाल उन्हें अपने साथ ले आए थे।

एमएल वर्मा को निडर और साफ सुथरी छवि का अधिकारी माना जाता है। 1992 में वर्मा मुख्यमंत्री भजनलाल के अतिरिक्त प्रधान सचिव बने। एक फरवरी को उनकी 27वीं पुण्यतिथि है। वर्मा और उनके परिवार तथा गनमैन व ड्राइवर की याद में इस दिन पूरे प्रदेश में कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। नेशनल इंटीग्रेटेड फोरम आफ आर्टिस्टस एंड एक्टिविस्टस (निफा) की ओर से सोमवार को करनाल के पंचायत भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन कर एमएल वर्मा और उनके परिवार के शहीद सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। उपायुक्त निशांत यादव इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

कैथल में जिला यूथ आइकान नोदी चीका की ओर से कार्यक्रम का आयोजन रखा गया है। युवा परिषद हरियाणा के अध्यक्ष प्रवीण ठाकुर, युवा अग्रवाल सभा जींद के प्रधान कंवरसेन सिंगला, हरियाणा पिछड़ा विकास संगठन, पांचाल सभा और भट्ट समाज की ओर से भी शहीद एमएल वर्मा को श्रद्धांजलि दी जाएगी। 

निफा के संयोजक प्रितपाल सिंह पन्नु के अनुसार आतंकवादियों ने एमएल वर्मा और उनके परिवार, गनमैन तथा ड्राइवर को उस समय गोलियों से छलनी कर दिया था, जब वह एक फरवरी 1994 को चंडीगढ़ से अपने पैतृक गांव यमुनानगर जिले के ललहाड़ी कलां जा रहे थे। इस दिन हम सभी को आतंकवाद के खात्मे का संकल्प लेना चाहिए। बता दें कि शहीद एमएल वर्मा की याद में गांव में स्टैच्यू लगाए गए हैं। एमएल वर्मा और संजीव वर्मा की माता का देहावसान हाल ही में हुआ है।

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Shivam