जैन धर्म के 154वें मर्यादा महोत्सव के दौरान राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने किया संबोधित

1/28/2018 10:22:21 PM

चंडीगढ़(धरणी): विश्व में भारत मर्यादा के लिए जाना जाता है। यहां मैं नहीं आप की भावना प्रबल है। इसीलिए यहां बाहर से जो भी लोग आए उन सबको समाहित कर लिया गया। ये वाक्यांश हरियाणा के राज्यपाल प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी ने आज लॉ भवन में जैन धर्म के 154वें मर्यादा महोत्सव के दौरान अपने सम्बोधन में व्यक्त किए। महोत्सव का आयोजन अणुव्रत समिति द्वारा किया गया था।

मर्यादा महोत्सव पर जन-जन को शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल ने कामना की कि सब मर्यादाओं का पालन करते हुए अपने जीवन को सफल करें। उन्होंने कहा कि परमेष्ठि अर्थात भगवान ने व्यक्ति, समष्टि और सृष्टि की रचना की है। इन सबके बीच संतुलन व समन्वय रहना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मर्यादा समाज की मजबूती का प्रमुख आधार है। बिना मर्यादा और अनुशासन के समाज की प्राणवत्ता टिक नहीं पाती और क्षमताएं चुक जाती हैं। इनका पालन करना हर व्यक्ति का कत्र्तव्य है और इसीलिए मर्यादा महोत्सव सम्पूर्ण मानव जाति के लिए है।



उन्होंने ने कहा कि भगवान ने सृष्टि बनाने के साथ ही सृष्टि के लिए नियम बनाए जिनमें पूरी सृष्टि चल रही है। लेकिन मानव उनका उल्लंघन करने पर तुला है। वह सुख तो चाहता है लेकिन उसके लिए कोई कीमत नहीं देना चाहता। इसीलिए आज के समाज में मर्यादा की पहले से अधिक जरूरत है। इसका पालन करते हुए सबको धर्माधिष्ठित जीवन जीना चाहिए क्योंकि जहां धर्म होता है वहीं जय होती है।



इस अवसर पर उन्होंने कक्षा 10वीं और 12वीं में 85 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया। मुनि विनय कुमार आलोक ने राज्यपाल को तेरापंथ के संविधान की प्रति भेंट की।समारोह में अग्नि अखाड़ा के महासचिव सम्पूर्णानन्द ब्रह्मचारी, चण्डीगढ भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन, पंजाब प्रांतीय सभा के अध्यक्ष सुरेन्द्र मित्तल ने भी विचार रखे। अणुव्रत समिति के प्रधान मनोज जैन ने सबका स्वागत व धन्यवाद किया। इस अवसर पर मुनि अभय कुमार, हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव वी0एस0 कुण्डू और अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।