संभलकर खाएं, मिलावटी घेवर बिगाड़ सकता है सेहत

7/26/2017 2:46:05 PM

टोहाना(विजेंद्र): सावन में झूला झूलते हुए मंद-मंद फुहारों के बीच घेवर खाने का अपना ही मजा है लेकिन खाने से पहले मिलावट की जांच जरूरी है क्योंकि मिलावटी घेवर आपकी सेहत बिगाड़ सकता है। शहर की हर मिठाई की दुकान पर सजा घेवर बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। प्री-मानसून की बारिश होते ही शहर में घेवर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। शहर में भारी मात्रा में रोहतक, कैथल से भी घेवर की सप्लाई आती है। हालांकि नोटबंदी के बाद जी.एस. टी. के लागू होने से महंगाई ने घेवर के स्वाद को बिगाड़ दिया है। घेवर के थोक विक्रेताओं ने बताया कि ब्राऊन घेवर, खोया घेवर, रबड़ी घेवर और मलाई घेवर सब की अलग-अलग कीमतें हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष हर प्रकार के घेवर में 10 से 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बढ़ौतरी हुई है। सावन के महीने में आने वाली तीज व रक्षाबंधन के पर्व पर घेवर के चलन की पुरानी परम्परा है। इस परम्परा को घेवर बनाने वाले ही नहीं बल्कि खाने वाले भी निभा रहे हैं। 

क्या कहना है आहार विशेषज्ञ का
घेवर तैयार करते समय कढ़ाई में तेल जलकर काला पड़ जाता है। हलवाई उसी तेल को बार-बार घेवर बनाने में प्रयोग करते हैं। घंटों जलने के बाद काला पड़ा यह तेल जहर बन जाता है। ऐसे तेल से बने घेवर खाने से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

मिलावट पर स्वास्थ्य विभाग की पकड़ ढीली
सावन माह में घेवर की मांग बढऩे से मिलावट भी खूब होती है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की मिलावट पर लगाम इतनी ढीली है कि जब तक सैम्पल रिपोर्ट आएगी तब तक मिठाई हजम हो चुकी होती है। चंडीगढ़ स्थित प्रदेश की एकमात्र लैब, जिसमें किस सैम्पल का नंबर कब आए, किसी को नहीं पता। यहां संसाधन कम व वर्कलोड अधिक होने से रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं। रिपोर्ट आने के बाद भी दुकानदार पर मामूली जुर्माना लगाने से मिलावट पर रोक नहीं लगती।

क्या कहते हैं जांच अधिकारी
इस बारे में जिला के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी डा. गिरीश ने बताया कि जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। पूरे क्षेत्र में सैम्पलिंग का कार्य जारी है। घेवर के सीजन को देखते हुए जांच टीम को दिशा-निर्देश दिए गए हैं।