मिलावटखोरी: खाने-पीने के सामान में हो रही मिलावट, मानकों पर खरे नहीं उतरे 13 फीसदी सैम्पल

3/3/2020 11:34:21 AM

अम्बाला शहर (मुकेश) : जिले में खाद्य पदार्थों के करीब 13 फीसदी सैम्पल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों की प्रयोगशाला में जांच के बाद यह पुष्टि की गई है, इनमें से 1 उत्पाद ऐसा भी मिला हैं, जिसकी नियमों के खिलाफ जाकर गलत तरीके से पैकिंग की। 15 सैंपल ऐसे मिले, जिनका सेवन इंसान के लिए जानलेवा हो सकता है।

ये सैंपल 1 जनवरी 2019 से 15 दिसम्बर 2019 के दौरान जिले के विभिन्न इलाकों में स्थित खाद्य पदार्थों की दुकानों से लिए गए थे। बता दें कि फूड एडं सेफ्टी द्वारा जिले में अलग-अलग स्थानों से 187 खाद्य पदार्थों के सैंपल एकत्र कर प्रयोगशाला में जांच करवाई गई, इनमें 15 सैंपल फेल हो गए। 

मिलावट से पेट व त्वचा रोग का खतरा अधिक
सरकारी अस्पताल के डा. सुनील हरि का कहना है कि बाजार में बिकने वाले मिलावटी खाद्य पदार्थों का असर लोगों के स्वास्थ्य पर इस तरह पड़ रहा है कि लोग पेट और त्वचा रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसका असर तुरंत तो नहीं पड़ता लेकिन जब मिलावटी खाद्य पदार्थ का उपयोग आम तौर पर होने लगता है, तो पेट और त्वचा रोग की संभावना बढ़ जाती है। 
सबसे अधिक समस्या से बच्चों में देखने को मिलती है क्योंकि उम्र के लिहाज से बच्चों 10 साल से कम वाले बच्चों में रोगों से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

ऐसे में वह अधिक बीमार होते हैं। दुकानों पर बिकने वाली मिठाई के नाम पर कैमिकल और पैकेट में चिप्स व अन्य खाद्य से लेकर पेय पदार्थ कर बच्चों को बीमार रही है। इसका सबसे बड़ा लक्षण बच्चों को भूख न लगने के साथ पढ़ाई से लेकर खेल में रुचि नहीं होती है। दवा से बीमारी कुछ समय तक तो ठीक हो जाती हैं लेकिन उसके बाद अगर बच्चे को इन खाद्य पदार्थों से दूर नहीं किया गया तो फिर वह पहले की तरह बीमार हो जाते हैं। ठीक यही स्थिति बड़े और बुजुर्गों में देखने को मिल रही है।

Isha