आखिरकार बिना डॉ. के कैसे चलेगा अस्पताल?​​​​​​​

4/21/2019 3:30:59 PM

बल्लभगढ़(अनिल राठी): डॉ. को भगवान माना जाता है, लेकिन वहीं अगर अस्पताल हो पर उपचार के लिए डॉ. की जगह एक फॉर्थ क्लास कर्मचारी तो कैसा लगेगा।जी हां, ऐसा एक मामला बल्लभगढ़ के हरी विहार में स्थित सरकारी डिस्पेंसरी का हैं।जहां लोगों को काफी दिनों से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।दरअसल यहां के सरकारी अस्पताल में डॉ. के गैर-मौजूदगी में ही फॉर्थ क्लास के कर्मचारी ही लोगों को दवाई देने का काम करता है।



यह वह सरकारी डिस्पेंसरी है जहां दिन में ना जाने कितने लोग अपना इलाज कराने आते है, और इलाज करते है फिर यहां के कर्मचारी।लाखों रुपए की लागत से स्थानीय प्रशासन और सरकार द्वारा स्थानीय बाशिंदों की समस्याओं को देखते हुए यह डिस्पेंसरी बनाई गई थी ताकि उन्हें बेहतर और नजदीकी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सके, लेकिन इन दिनों यह डिस्पेंसरी यहां के लोगों के लिए महज दिखावा ही साबित हो रही है।



आपको बता दें कि यहां करीब 2 सप्ताह से अधिक समय हो गया है और कोई डॉक्टर ही नहीं है। ऐसे में लोग आते तो हैं अपना इलाज कराने लेकिन उन्हें सिवाए मायूसी के और कुछ हाथ नहीं लगता। जब इस मामले में कुछ मरीजों और स्थानीय लोगों से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें काफी समय हो गया यहां के चक्कर लगाते हैं लेकिन आज तक उन्हें किसी डॉक्टर के दर्शन नहीं हुए है।वहीं स्थानीय लोगों ने यह भी बताया की यह डिस्पेंसरी यहां की नेता शारदा राठौर द्वारा बनवाई गई थी, ताकि यहां रहने वाले गरीब लोग सरकार द्वारा चलाई गई स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें।



पर लगता है भाजपा कार्यकाल में इस डिस्पेंसरी सुध लेने वाला कोई नहीं है ।वहीं डिस्पेंसरी के मेडिकल स्टोर में दवाई वितरित कर रहे अस्पताल के एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी से बात की गई तो उनका कहना था कि यहां डॉक्टर तो नहीं है।उनकी गैरमौजूदगी में अगर कोई मरीज या उनके परिजन दवाई की पर्ची बनवा कर लाते हैं तो वह उनको दवाई देने का काम अवशय करते हैं।आपको बता दें कि जब यह मामला बल्लभगढ़ एसएमओ डॉ मानसिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने डिस्पेंसरी में डॉक्टर की समस्या को लेकर अपने आला अधिकारियों से भी बात की।



साथ ही उन्होंने डिस्पेंसरी जाकर वहां का मुआयना भी किया।एसएमओ ने डिस्पेंसरी में आए मरीजों से उनकी समस्याओं की जानकारी भी ली और उन्हें जल्द ही उनकी समस्या के समाधान होने का आश्वासन भी दिया। उन्होने जानकारी देते हुए कहा कि यहां तैनात डॉक्टर साहिबा अनुबंध पर काम कर रही थी लेकिन 31 मार्च को उनका अनुबंध खत्म हो गया जिसके बाद वह यहां से काम छोड़ कर चली गई है लेकिन फिलहाल आचार संहिता लगी होने के चलते कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पा रही है उनकी मानें तो जल्द ही इस डिस्पेंसरी में किसी डॉक्टर की वैकल्पिक व्यवस्था कर दी जाएगी ।अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिरकार कब तक इस डिस्पेंसरी में डॉक्टर की समस्या का समाधान हो पाता है या फिर यूं ही इलाज की आस में यहां आने वाले लोगों को भटकते ही रहना होगा।

 

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