3 कृषि कानूनों को हर हालत में रद्द करवाना है : चढूनी
2/4/2021 8:51:44 AM
सीवन : हरियाणा-पंजाब जहां एक वर्ष में 3-3 फसलें होती है। वहां पर किसान कर्जे में दबकर आत्महत्या कर रहे हैं। पिछले 20 वर्षों में हमारे देश में साढ़े 3 से 4 लाख लोग बैंक वालों से परेशान होकर आत्महत्या कर चुके हैं। पूंजीपति बैंकों का करोड़ों-अरबों रुपया मारकर विदेशों में भाग चुके हैं पर उनका कुछ भी नहीं हुआ। उपरोक्त विचार भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने मंगलवार देर सायं सीवन की रामा आश्रम धर्मशाला में किसानों को सम्बोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा मंडियों को समाप्त करके सारे देश का भोजन कुछ लोगों के गोदामों में इकट्ठा करने की है।
आज बेरोजगारी इतनी बढ़ चुकी है कि प्राइवेट नौकरी करने वाले युवकों को 6-7 हजार रुपए भी 11 घंटे काम करने पर मिलते हैं। इन कानूनों के लागू होने से करोड़ों लोग भुखमरी की कगार पर आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि पानी बंद कर दिया, नैट बंद कर दिया व ट्रेनें बंद कर दी हैं। किसानों का गुस्सा सरकार की समझ में नहीं आ रहा है। गुरनाम सिंह ने कहा कि यह लड़ाई हर हाल में जीतनी है व इन 3 कृषि कानूनों को हर हालत में रद्द करवाना है अगर हम हार गए तो न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। ये जो कानून बनाए हैं वे कृषि कानून नहीं हैं। खेती के कानून सरकार बना ही नहीं सकती। कानून बनाए हैं कि खेती का व्यापार कैसे करें।
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