माइक्रो इरिगेशन पर कृषि विभाग देगा 80 फ़ीसदी तक की सब्सिडी: पी.के. दास

6/12/2021 8:25:41 AM

चंडीगढ़ (धरणी) : लम्बे इंतजार के बाद ट्यूबवेल कनेक्शन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अप्लाई किए हुए हर क्षेत्र के हर किसान को विद्युत विभाग नें कनेक्शन देने की प्रक्रिया तेज कर दी है। लेकिन इसके साथ-साथ घटते भू  जलस्तर को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम कुछ-शर्ते भी इसके साथ जोड़ी गई है। जिससे आने वाले समय में जल संकट का सामना किसान को ना करना पड़े। इसके लिए सरकार ने माइक्रो इमीग्रेशन के लिए आने वाले खर्च पर 80 फ़ीसदी तक सब्सिडी देने का फैसला किया है। इस महत्वपूर्ण विषय पर पंजाब केसरी ने हरियाणा विद्युत विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पीके दास से विशेष बातचीत की। जिसमें उन्होंने बताया कि प्रदेश में 53 बिजली कर्मचारियों कि मृत्यु कोरोना के कारण हुई है। इसे गंभीरता से लेते हुए सभी कर्मचारियों की वैक्सीनेशन के लिए युद्ध स्तर पर काम किया गया और जिन कर्मचारियों की मृत्यु हुई उनके आश्रितों के लिए भी सरकार के फैसले का इंतजार किया जा रहा है।बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : ट्यूबवेल कनेक्शनों को लेकर बवाल मचा है। किस नीति के अंतर्गत यह दिए जाएंगे और इसमें देरी  के क्या कारण है?
उत्तर : 
पहले एक कन्फ्यूजन था कि जहां नहरी पानी लगता है वहां ट्यूबल लगेगा या नहीं। मंत्री जी ने इसे क्लेरिफाई कर दिया है और विभाग द्वारा भी सर्कुलर जारी कर दिया गया है कि सभी जगह अप्लाई करने वाले लोगों को कनेक्शन दिए जाएंगे। हमने कुछ कंडीशन लगाई है जिसमें जहां 30 मीटर यानि 100 फुट से ऊपर पानी है। वहां वह ओपन चैनल में न रख पाइप दबाकर खेत तक लेकर जाएंगे। 100 फुट से नीचे पानी वाली जगह पर माइक्रो इरिगेशन की प्रणाली अपनानी पड़ेगी। इस प्रणाली के उपयोग पर ही कनेक्शन दिया जाएगा। तीसरा हम 50 हॉर्स पावर से ऊपर की मोटर को अलाउड नहीं करेंगे।

प्रश्न : इस प्रकार की शर्तें रखने का क्या कारण माना गया ?
उत्तर : 
कई जगह पर जलस्तर बहुत तेजी से घट रहा है।जहां हर 3-4 साल में ट्यूबवेल फेल हो रहे हैं। इसलिए हमने माइक्रो इरिगेशन की शर्त रखी है ताकि ऐसा समय न आय क़ि ट्यूबबल के जरिए सप्लाई असंभव हो जाए। अगर ऐसा हुआ तो किसान को खेती करने के लिए पानी का सहारा नहीं बचेगा। सरकार के कई महकमें जलस्तर को कैसे बचाया जाए इस पर भी काम कर रहे हैं। कम से कम जल का उपयोग कर किसान अपनी फसल को उगा ले, इससे खेती भी होती रहेगी और जलस्तर भी बचा रहेगा। किसान के फायदे के लिए ही इस प्रकार की कंडीशन रखी गई है। जहां 100 फुट से ऊपर यानि 30 मीटर तक पानी है। वहां हम यह मानकर चलते हैं कि किसी वजह से वहां पानी का चौवा बढ़ रहा है। जिसका कारण चाहे नजदीक में नहर या कोई और हो। 100 फुट से ऊपर वाले क्षेत्रों में पाइप की शर्त इसलिए रखी गई है ताकि पानी की वेस्टेज कम से कम हो। माइक्रो इरिगेशन पर आने वाले खर्च में 80 फ़ीसदी तक की सब्सिडी देने का फैसला कृषि विभाग द्वारा लिया गया है। मैंने भी आदेश दिए हैं कि जहां भी किसान बिजली का कनेक्शन ले, एग्रीकल्चर विभाग के साथ किसान का तालमेल बिठाए, ताकि किसान को सब्सिडी लेने में दिक्कत न आए। सरकार की यह दोनों एजेंसियां ऐसे कोआर्डिनेशन के साथ काम करें कि किसान को ट्यूबवेल कनेक्शन भी मिल जाए और सब्सिडी भी।

प्रश्न : बिजली विभाग का कितना पैसा सरकारी अन्य विभागों पर पेंडिंग है?
उत्तर : 
सरकारी विभागों में 2 कैटेगरी में बिजली  जाती है। एक तो ऐसे विभाग जैसे मुंसिपल कमेटी जो स्ट्रीट लाइटें जलाते हैं, पब्लिक हेल्थ- पंचायत की तरफ से पानी की सप्लाई की जाती है, इरिगेशन विभाग से लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम चलता है। यह कनेक्शन हम काटते नहीं हैं। हम उनसे व वित्त विभाग से समय-समय पर बात करते हैं और रिकवरी हो जाती है। इसके अलावा बहुत से विभाग जिनके दफ्तर का बिल बकाया है, लेकिन वह पेमेंट नहीं कर रहे।लगभग अप्रैल के अंत तक 571 करोड रुपए मैंने रिव्यू किया है। इनमें से 98 करोड रुपए नॉन एसेंशियल जोकि बिल्डिंग्स पर बिल बाकी है, इन्हें हम पेमेंट करने के लिए तुरंत प्रभाव से नोटिस देंगे। यह फैसला किया गया है और जो एसेंशियल पेमेंट है। उसके लिए हम एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेट्री से बात करेंगे। ताकि सरकार या तो इन्हें ग्रांट दे या हमारी पेमेंट करें।

प्रश्न : पिछले 15 दिन में गर्मी बढ़ने के बाद से बिजली आपूर्ति में कितना फर्क आया?
उत्तर : 
अप्रैल के अंत तक 1100 लाख यूनिट से 1400 तक बिजली की खपत रोजाना हो रही थी। लेकिन पिछले 15 दिन में जैसे कई बार आंधी-तूफान वगैरह हुए तो कुछ गर्मी भी कम रही। इसलिए भी कुछ खपत कम रही है। 25 मई को 1358 लाख यूनिट खपत थी जो अब बढ़कर 1939 लाख यूनिट कल हमने सप्लाई की है। बारिश होने के बावजूद इतनी खपत हुई है और जुलाई के पहले हफ्ते तक हमें 2100 लाख यूनिट की खपत होने की उम्मीद है। क्योंकि उस समय जीरी के खेतों में बिजली की खपत बढ़ जाएगी। लेकिन इस खपत का सामना करने की हमारी तैयारी मुकम्मल है। आज भी अगर हमें 2100 यूनिट की सप्लाई करनी पड़े तो भी हमें दिक्कत नहीं आएगी।

प्रश्न : विभाग के सर प्लस के दावे का आधार क्या है। कितने थर्मल प्लांट चल रहे हैं और बाकि बिजली की आपूर्ति कहां से हो रही है?
उत्तर : 
हमारे पास बिजली के लिए बहुत से सोर्सेस है।जिसको हम जनरेशन कैपेसिटी कहेंगे। जैसे हमारे पास पानीपत में तीन यूनिट 6-7 और 8, यमुनानगर व हिसार में दो- दो यूनिट हरियाणा पावर जेनरेशन कॉरपोरेशन के हैं। इसके अलावा झज्जर में एक चाइना पावर प्रोजेक्ट है। उसमें भी हमें हिस्सा मिलता है। वही एनपीपीसी के दूसरे कई राज्यों में प्लांट हैं। जिसमें भी हमारा शेयर है। बीबीएमबी के हिमाचल पंजाब और राजस्थान के प्लांटों में भी हमें हिस्सा मिलता है। वही अडानी और दूसरे कई प्राइवेट पार्टियों से भी हमने पावर खरीद का बंदोबस्त किया हुआ है। इस प्रकार से कई सोर्सेस से मिलाकर हमारी करीब 14000 मेगावाट की कॉन्टैक्टेड कैपेसिटी है। लेकिन सारे प्लांट हमेशा अवेलेबल नहीं होते। कभी मेंटेनेंस के लिए बंद किए जाते हैं और कुछ कभी फॉल्ट इत्यादि के लिए बंद हो जाते हैं। कल हमने कितनी सप्लाई करनी है, उस हिसाब से हम जेनरेशन कैपेसिटी का ध्यान रखते हैं। आज कैपेसिटी ज्यादा होने के कारण कुछ प्लांट हमें खुद बंद रखने पड़ रहे हैं।

प्रश्न : आंधी तूफान के कारण कई तरह से बिजली आपूर्ति बाधित होती है। विभाग कैसे इन चुनौतियों का सामना करता है?
उत्तर : 
आंधी तूफान चलने पर कई बार पेड़ या उनकी  टहनियां गिर जाती हैं। जिससे सप्लाई बंद हो जाती है और जिन्हें 2-4 घंटे के अंतराल में ही हम बिजली शुरू कर देते हैं। लेकिन जब खंभे टूटते हैं तो उनकी जगह नए खंभे खड़े करना, तार को पुराने खंभों से निकालकर नए खंभों पर जोड़ना, इस प्रकार की प्रक्रिया में 8-10 घंटे तक लग जाते हैं। जबकि अगर एक ही सर्कल में बहुत से खंबे टूट जाए या लाइनें टूट जाए तो उसमें काफी समय लग सकता है। जैसे अभी हाल ही में 2 ऐसी आंधियां आई जिसमें काफी पोल और तारे टूट गई थी।

प्रश्न : कौन-कौन से जिलों में आंधी तूफान से ज्यादा बिजली प्रभावित हुई थी ? 
उत्तर : 
पिछले 15 दिन में 5 बार छोटी-बड़ी आंधियां आई। लेकिन एक आंधी में झज्जर, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद ज्यादा प्रभावित हुए। बाकि कल भी कई जगह तेज आंधी और बारिश हुई। जिसमें हमारी कुछ लाइने टूटी। लेकिन इस बार ज्यादा पोल नहीं टूटे। जिसके चलते हमने 4- 6 घंटे में ही बिजली की सप्लाई शुरू कर दी थी।

प्रश्न : कोरोना की चपेट में आने से कितने बिजली कर्मियों की मृत्यु हुई है?
उत्तर : 
हमारे विभाग के 53 कर्मचारियों की मृत्यु कोरोना की वजह से हुई है। जिसे देखते हुए हमने सभी कर्मचारियों को तुरंत वैक्सीन देने के लिए मेहनत की। सरकार ने हमारी रिक्वेस्ट को मानते हुए प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन देने का प्रबंध किया है। कार्यालयों में ही कैंप लगाए गए। हमने 35000 में से 17000 कर्मचारियों को वैक्सीन दे दी है। 

प्रश्न : सरकार मृत कर्मचारियों के आश्रितों के लिए क्या करने जा रही है?
उत्तर : 
जिन लोगों की कोरोना की वजह से मृत्यु हुई है उनमें से ज्यादातर कर्मचारी फील्ड लेवल के थे। जिसमें लाइनमैन, असिस्टेंट लाइनमैन, जे ई इत्यादि थे। कुछ बड़े अधिकारी भी कोरोना के शिकार हुए हैं। दुख की बात है कि दक्षिण हरियाणा में अधिकतर मृत्यु हुई है।

प्रश्न : आश्रितों के लिए सरकार और विभाग की क्या स्कीम है?
उत्तर : 
हमारी एक पॉलिसी के तहत विभिन्न किस्म से राहत दी जाती है। जिसमें नौकरी या नौकरी खत्म होने के समय तक तनख्वाह या कुछ अमाउंट दिया जाता है। मैं सरकार के फैसले का इंतजार कर रहा हूं कि आश्रितों को सरकार किस प्रकार से मदद देगी। उसे देखने के बाद हम कुछ फैसला लेंगे।

 

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)

 

Content Writer

Manisha rana