अहोई अष्टमी कल, बाजारों में महिलाओं की लगी है भीड़

10/20/2019 12:22:18 PM

गुडग़ांव : संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए महिलाएं कल सोमवार को अहोई अष्टमी पर्व पर व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा अर्चना कर संतान की दीर्घायु की कामना करेंगी। पूरे दिन व्रत रखने के बाद महिलाएं ने सायं के समय आसमान में तारा को अध्र्य देकर अपने व्रत का समापन करेंगी।  व्रती महिलाएं बड़ी बुजुर्गों महिलाओं से अहोई माता की कथा का श्रवण कर अहोई माता की आकृति दीवार पर गेरु या लाल रंग से बनाकर चांदी के मोतियों की माला व जल से भरा हुआ कलश भी अहोई माता की आकृति के समक्ष रख कर अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना करेंगी। यह पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है। 

शहर के मुख्य सदर बाजार व आस-पास के क्षेत्रों में भी कलश के रुप में मिट्टी के करवे आदि की बिक्री की जा रही है। बड़ी संख्या में महिलाएं करवे व अन्य पूजा सामग्री खरीदती दिखाई दे रही हैं। किवदंती है कि एक नगर में एक साहूकार था। उसके 7 बेटे और 7 बहुएं थीं। साहूकार की एक बेटी भी थी। दिवाली में वह बेटी अपने मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गईं तो ननद भी उनके साथ चली गई। साहूकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी, उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने 7 बेटों से साथ रहती थी।

मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी की चोट से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली कि मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी। कहा जाता है कि बेटी व उसकी भाभियों ने स्याहु से बड़ी विनती की कि वह अपना श्राप वापिस ले ले। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो गई बताई जाती है।  इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे हुए, वह 7 दिन बाद मर जाते थे और 7 पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी। इससे प्रसन्न होकर साहु ने अपना श्राप वापिस ले लिया।

Isha