अम्बाला शहर नगर निगम चुनाव, बिछ गई शतरंज की बिसात, शुरू होगा शह और मात का खेल

8/18/2020 10:30:50 AM

अम्बाला (रीटा/सुमन): उपायुक्त द्वारा गठित वार्डबंदी कमेटी के नए 20 वार्डों की प्रस्तावित सीमा तय करने के बाद अब एक तरह से नगर निगम की चुनावी शतरंज की बिसात बिछ गई है। अब सियासी दलों ने अपने मोहरे तय करने हैं और उसके बाद शह और मात की रणनीति शुरू हो जाएगी। पिछली बार 2013 में जब अम्बाला शहर व अम्बाला छावनी का सांझा नगर निगम था तब कांगेस ने निर्दलियों की मदद से अपना मेयर बना लिया था और रमेश मल मेयर बने थे। भाजपा 20 में से कुल 4 सीटें ही ले पाई थी। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी जबकि अब भाजपा की सरकार है। कहते है कि सत्ता का कुछ न कुछ फायदा तो चुनावों में मिल ही जाता है।

2013 में अम्बाला शहर के 11 व अम्बाला छावनी के 9 वार्ड थे। अम्बाला शहर की 11 वार्डों को काट छांटकर अब 20 वार्ड बनाए गए हैं जिसकी वजह से कई वार्डों के पूर्व पार्षदों का जातीय समीकरण अपने पक्के वोट बैंक का हिसाब-किताब गड़बड़ा गया है। उनके वार्डों में जोड़े गए नए इलाकों में उन्हें अपने पांव जमाने में दिक्कत आएगी। कांग्रेस के कई पूर्व पार्षदों ने बार्डबंदी कमेटी पर पक्षपातपूर्ण ढंग से सीमाबंदी करने का आरोप लगाया है।  बार्डबंदी को लेकर अगले एक सप्ताह तक सियासी दल व पूर्व पार्षद या फिर कोई मतदाता इस मामले में अपनी आपत्ति उपायुक्त के दफ्तर में दाखिल कर सकता है।

कांग्रेस ने वार्डबंदी में बताई खामियां
यदि नई वार्डबंदी पर नजर डाली जाए तो इससे कई पूर्व कांग्रेसी पार्षदों की दिक्कतें बढ़ती नजर आ रही है तो कुछ एक को इसका फायदा भी हुआ है। हरियाणा डैमोके्रटिक फ्रंट से जुड़े वार्ड 11 की पूर्व पार्षद दलीप चावला बिट्टू का कहना है बार्डबंदी ठीक तरह से नहीं की गई। कई जगह आमने-सामने की गलियों को अलग-अलग वार्डों में कर दिया गया है जिसका खमियाजा आने वाले कुछ पार्षदों को भुगतना पड़ सकता है। उनका कहना है कि कमेटी में सारे लोग भाजपा के शामिल किए गए, बेहतर होता यदि विपक्षी दलों के नेताओं को भी इसमें कुछ जगह दी जाती। इस मामले को लेकर एक पूर्व पार्षद ने तो अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।

Isha