मौसा की हवस का शिकार बच्ची है 5 महीने की गर्भवती, डॉक्टरों का गर्भपात से इंकार

3/24/2018 1:57:09 PM

अंबाला(ब्यूरो): मौसा की दरिंदगी का शिकार हुई शहजादपुर के एक गांव की 12 साल की मासूम गर्भवती का पुलिस ने अल्ट्रासाऊंड करवाया, जिससे पता चला कि बच्ची 22 सप्ताह की गर्भवती है। बच्ची बच्चे को जन्म देगी या उसका अबॉर्शन किया जाएगा। इस बारे में सी.डब्ल्यू. सी. के अधिकारी कोई देरी नहीं करना चाहते क्योंकि बच्ची में हिमोग्लोबिन की मात्रा सिर्फ 6.9 ही ऐसे में बच्चे को जन्म देना मासूम की जान को खतरा हो सकता है। उधर, मामले में आरोपी मौसा को पुलिस गिरफ्तार कर ही चुकी है। अदालत में पेश करने के बाद उसे जल भेज दिया है जबकि बच्ची की मौसी बच्ची के गांव यानी वैस्ट बंगाल उसके परिजनों के पास गई है।

वहीं, सी.डब्ल्यू.सी. के अधिकारियों ने पुलिस से कहा है कि बच्ची से उसके मौसा ने दुष्कर्म किया है ये जानते हुए भी मौसी ने बच्ची को इंसाफ नहीं दिलवाया न ही इसकी पुलिस को शिकायत की। मामले में मौसी को भी आरोपी बनाया जाए। बच्ची की गर्भावस्था की जांच करने वाले गांव के ही डॉक्टर ने भी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी कि इतनी छोटी सी बच्ची के गर्भवती होने की जानकारी होने के बावजूद पुलिस को इसकी जानकारी नहीं दी।

चेयरमैन गुरदेव मंडेर ने बताया कि जल्द ही मामले के बाकी आरोपियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्ची के गर्भपात पर बच्ची व परिजनों की सहमति के बाद बिना देरी किए कोर्ट में बच्ची के गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका लगा दी जाएगी। इसमें कोई देरी करने का रिस्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 20 सप्ताह तक तो गर्भपात के कई मामले हो चुके हैं। एक मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऐसा भी सामने आया था जिसमें 24 सप्ताह तक की गर्भावस्था में गर्भपात करने की अनुमति दी गई थी।

पीड़िता नहीं देना चाहती बच्चे को जन्म
करीब 5 माह से गर्भ में पल रहे नवजात को पीड़िता दुनिया नहीं दिखाना चाहती है। सी.डब्ल्यू.सी. द्वारा दोबारा करवाई गई काऊंसिलिंग में पीड़िता ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती। पीड़िता की गर्भपात करवाने की यह जिद सी.डब्ल्यू.सी. के लिए भी मुसीबत बनी हुई है क्योंकि वह भी परिजनों की बिना सहमति के इस गर्भ को नहीं गिरवा सकते हैं। जबकि लाख कोशिश के उपरांत भी पीड़िता के परिजनों का अभी तक कोई अता-पता नहीं लग रहा है।

बच्ची के परिजनों तक पहुंचना CWC के रास्ते में भाषा बनी चुनौती 
मौसे की हवस का शिकार नाबालिग के परिजनों तक पहुंचना CWC के रास्ते भाषा चुनौती बनी हुई है। बंगाली भाषा समझ न आने की सूरत में पिछले कई दिनों से सी.डब्ल्यू.सी. पीड़िता के परिजनों से संपर्क करने में एड़ी-चोटी का जोर लगा चुका है, जिसमें करीब 3 दिन बीत जाने के बाद भी परिजनों का सुराग नहीं लगा पाई। हालांकि शुक्रवार को पीड़िता के मुख से निकले अपने गांव नाम मनचीन को ही सी.डब्ल्यू.सी. समझ पाई है। शुक्रवार को सी.डब्ल्यू.सी. ने सी.एम.ओ. डा.विनोद गुप्ता को लैटर लिख पीड़िता के गर्भ गिराने व न गिराने की सही राय मांगी है।

Punjab Kesari