एडवांस रुपए जमा न करवाने पर नहीं दी एंबुलेंस, इलाज में देरी से मासूम की मौत

12/22/2017 2:22:34 PM

गुडग़ांव (ब्यूरो):महज एक माह के दौरान मैक्स, फोर्टिस, मेदांता, पार्क, संबित अस्पताल के बाद अब शहर के एक और अस्पताल पर बच्चे की मौत का जिम्मेदार ठहाराया गया हैं। घटना वीरवार सुबह की जब समसपुर निवासी अजय अपने 7 वर्षीय मासूम देवराज को लेकर गुडग़ांव सेक्टर 46 स्थित सूर्यदीप अस्पताल पहुंचा। परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों ने उनसे एडवांस की मांग की जिसे तुंरत न जमा होने के कारण पीड़ित को भर्ती नहीं किया गया। हद तो तब हो गई जब मासूम की गंभीर हालत देख परिजनों ने अस्पताल से एंबुलेंस मांगी लेकिन एंबुलेंस भी नही दी गई। लिहाजा परिजनों को आटो से लेकर सिविल अस्पताल लेकर जहां जांच के बाद चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

वही मृतक के परिजन पृथ्वीराज से मिली जानकारी के मुताबिक वे गांव समसपुर में रोड़ किनारे झुग्गी बनाकर रहते है। सुबह करीब 11 बजे उनके 7 वर्षीय बच्चे देवराज को सिर व पेट दर्द के कारण ऑटों में उठाकर नजदीक के अस्पताल लेकर गए।वहां पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने एडवांस में 50 हजार रुपये जमा कराने को कहा। लेकिन आनन फानन में बच्चे को लेकर आए उनके पास पैसे का अभाव था। लिहाजा मरीज को प्राथमिक उपचार देने के वजाय सूर्यदीप अस्पताल ने परिजनों को सिविल अस्पताल जाने को कहा। पृथ्वीराज ने बताया कि वहां से करीब 12 बजे सिविल अस्पताल के लिए निकले और साढ़े 12 बजे यहां पहुंचे। मरीज की गंभीर हालत देख उसे एमरजेंसी किया गया। लेकिन दोबारा जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे बच्चें को मृत घोषित कर दिया।

प्राथमिक उपचार भी नहीं किया
वे बताते है कि सूर्यदीप अस्पताल से उन्होंने एंबुलेंस की मांग की लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से एंबुलेंस देना तो दूर बच्चे का प्राथमिक इलाज तक नही किया। उनका कहना है कि यदि उन्हें एंबुलेंस दे दी जाती तो उन्हें सिविल अस्पताल आनेे में कम वक्त लगता साथ ही रास्ते भर बच्चे को एंबुलेंस में जीवन रक्षक उपकरण के सहारे रखा जाता। लेकिन ऐसा नही हो सका लिहाजा कोशिशों के बाद भी वे अपने कलेजे के टुकड़े को नही बचा सके। और बच्चें को बचाया जा सकता था।

डा. संजीव गुप्ता, सूर्यदीप अस्पताल
बच्चे के पेट में पानी भरा था और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उसे बाल रोग विशेषज्ञ डा. गीतांजलि ने देखा था और भर्ती करने से पहले उसके इलाज में खर्च होने वाली राशि बतायी जाती है। मरीज के परिजन इतने पैसे देने में असमर्थ थे लिहाजा उन्हे सिविल अस्पताल रैफर कर दिया गया। ओपीडी वाले मरीजों को एंबुुलेंस नहीं दी जाती इसलिए वे ऑटो से लेकर गए होंगे।