पंजाब केसरी इम्पैक्ट: एडवोकेट-जनरल कार्यालय में तैनात लॉ ऑफिसर्स के कानून में संशोधन

11/7/2020 3:28:09 PM

चंडीगढ़ (धरणी): आठ माह माह पूर्व 16 मार्च 2020 को पंजाब केसरी में प्रकाशित एक न्यूज का इंपेक्ट हुआ है। हरियाणा विधानसभा द्वारा प्रदेश के एडवोकेट-जनरल (महाधिवक्ता) कार्यालय में लॉ ऑफिसर्स (विधि अधिकारियों) की तैनाती के संबंध में बने कानून में उपयुक्त संशोधन किया गया है। 

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने राज्य विधानसभा द्वारा चार वर्ष पूर्व अगस्त, 2016 में बनाए गए हरियाणा लॉ ऑफिसर्स (एंगेजमेंट ) कानून, 2016, जो 14 सितम्बर 2016 से लागू किया गया, में मौजूद एक गंभीर विसंगति को उजागर करते हुए बीती मार्च में हरियाणा के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, गृह एवं न्याय प्रशासन विभाग के सचिव, एडवोकेट जनरल (ऐजी), विधि-परामर्शी (एलआर) आदि को लिखा था कि उक्त कानून के नाम में तो  उल्लेख है की यह लॉ ऑफिसर्स की एंगेजमेंट अर्थात उन्हें एडवोकेट जनरल कार्यालय में अनुबंध आधार पर तैनात करने से सम्बंधित है न कि उनकी इस कार्यालय में उनकी नियमित नियुक्ति करने संबंधी परन्तु इसकी धारा 2 (सी) में लॉ ऑफिसर की परिभाषा दी गई है कि इस कानून के अंतर्गत एडवोकेट जनरल कार्यालय में लॉ अफसर के रूप में नियुक्त किए गए एडवोकेट।

इसके अतिरिक्त उक्त कानून की धारा 4 में उल्लेख है कि राज्य सरकार इस कानून के अंतर्गत लॉ ऑफिसर्स के विभिन्न पदों के लिए नियुक्ति  प्राधिकारी होगी हालांकि इसमें नियुक्ति के स्थान पर एंगेजिंग अर्थात अनुबंध पर रखने संबंधी प्राधिकारी का उल्लेख होना चाहिए।



इसके अलावा धारा 5 और धारा 6 में, जिसमें सिलेक्शन (चयन ) कमेटी गठित करने और उसके कार्यों का वर्णन है, में भी लॉ ऑफिसर्स की नियुक्ति करने का ही उल्लेख है, जबकि यहां भी उन्हें अनुबंध पर तैनात करने का उल्लेख होना चाहिए। हालांकि हेमंत ने बताया कि धारा 6 में यह उल्लेख अवश्य है कि अगर एडवोकेट-जनरल चाहे तो राज्य सरकार की स्वीकृति के साथ अपने कार्यालय में पांच एडवोकेट्स को एंगेज कर सकता है (जिस संख्या को अब बढ़ाकर दस किया गया है)। ध्यान देने योग्य है की इस धारा 6 में  हालांकि नियुक्त नहीं बल्कि एंगेज शब्द का प्रयोग हुआ है। 

इसके अलावा उक्त 2016 कानून की धाराओं 8, 12, 14 और 17 में भी एडवोकट जनरल कार्यालय में लॉ ऑफिसर्स की एंगेजमेंट की बजाए नियुक्ति करने का उल्लेख हुआ है। अब ऐसा भूलवश है या किसी और कारण से, यह जांच करने योग्य है, परन्तु वह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि इस कानून के लागू होने के चार वर्षों बाद भी हरियाणा के किसी विधि और प्रशासनिक अधिकारी का इस और ध्यान तक नहीं गया।  

यहां तक साढ़े तीन वर्ष पूर्व मार्च, 2017 में जब इस कानून को हरियाणा विधानसभा द्वारा संशोधित किया गया, जो संशोधन हालांकि पिछली तिथि अर्थात 14 सितम्बर 2016 से प्रभावी किया गया एवं जो एडवोकेट-जनरल कार्यालय में तत्कालीन तैनात लॉ ऑफिसर्स के कार्यकाल में बढ़ोतरी देने से संबधित था, के सम्बन्ध में जो नयी धारा 6(4 ) डाली गई, उसमें हालांकि एडवोकेट जनरल कार्यालय में लॉ ऑफिसर्स की एंगेजमेंट का ही उल्लेख किया गया, परन्तु ऐसा करते समय उक्त कानून में बाकी स्थानों पर नियुक्ति की बजाए एंगेजमेंट करने सम्बन्धी उपयुक्त संशोधन नहीं किया गया। 

हेमंत ने उपरोक्त सभी पदाधिकारियों से मांग की थी कि हरियाणा लॉ ऑफिसर्स (एंगेजमेंट ) एक्ट, 2016 में लॉ ऑफिसर्स की नियुक्ति या उनके अनुबंध पर होने संबंधी मौजूदा विसंगति को दूर करने के लिए उक्त कानून में तत्काल संशोधन किया जाए। उन्होंने बताया कि  चूंकि उक्त कानून में कई स्थानों पर नियुक्ति शब्द को बदलकर उसके स्थान पर एंगेजमेंट शब्द को डालना होगा, इसलिए इस सम्बन्ध में संशोधन हरियाणा सरकार के न्याय –प्रशासन विभाग द्वारा जारी किसी सामान्य नोटिफिकेशन से नहीं अपितु विधानसभा द्वारा उक्त 2016 कानून में उपयुक्त संशोधन करने के संबंध में लाए गए विधेयक (बिल ) को सदन द्वारा पारित कर उसके बाद इस पर राज्यपाल की स्वीकृति मिलने से ही संभव होगा। 

इस समय चंडीगढ़ के महाधिवक्ता कार्यालय में एडवोकेट जनरल के अलावा 160 के करीब लॉ ऑफिसर्स हैं, जिनमें 3 सीनियर एडिशनल, 40 एडिशनल, 58 डिप्टी और 59 असिस्टेंट एडवोकेट जनरल हैं। इसके अलावा दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में भी 50 के करीब लॉ ऑफिसर्स तैनात हैं।

vinod kumar