नेता प्रतिपक्ष पर अनिल धंतौड़ी का हमला, बोले- हुड्डा ने 20 साल में युवाओं को किया तहस-नहस

1/15/2023 8:44:19 PM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी) : आदमपुर उपचुनाव से पहले कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व विधायक अनिल धंतौड़ी ने भारत जोड़ो यात्रा में प्रदेश की टूटी सड़कों का मुद्दा उठने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि हुड्डा को आज भाजपा राज में सड़कें याद आ रही हैं और सड़कों के गड्ढे भी नजर आ रहे हैं। हुड्डा को अपने कार्यकाल में करनाल से लाडवा और शाहबाद से लाडवा तक इस सड़कों की हालत याद आनी चाहिए। तब इन सड़कों पर जगह-जगह डेढ़ से दो  फुट गहरे खड्डे थे। वाहन चालक भी वाहनों को डर-डरकर चलाते थे कि कहीं कोई हादसा ना हो जाए। लंबे रूट पर चलने वाले चालक तो वाया पिपली आया जाया करते थे।

 

अनिल धंतौड़ी ने कहा कि  लाडवा,इंद्री,रादौर,शाहाबाद,मुस्तफाबाद क्षेत्रों को तो हुड्डा सरकार में ऐसे माना जाता था,जैसे वह पाकिस्तान का हिस्सा हों। धंतोडी ने  कहा कि परिवारवाद  व पुत्रवाद से छुटकारा  पाने के लिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी। भाजपा को अपने अंदर उतार लिया था। पूरे विश्व के सबसे बड़े संगठन भाजपा ज्वाइन करने से पहले भाजपामयी हो चुका हूं। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पर कड़ी टिप्पणियां करते हुए कहा कि हुड्डा ने 20 सालों में 25 से 45 वर्ष के युवाओं को तहस-नहस किया। उन्हें क्षति पहुंचाई। उन्हें मारा है। एक भी नौजवान को आगे नहीं बढ़ने दिया। इसी से दुखी होकर कांग्रेस का त्याग किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हमारा देश-प्रदेश लगातार उन्नति के पथ पर अग्रसर है। मनोहर नीतियों ने प्रदेश को विकास की गति प्रदान की है।

 

धंतौड़ी ने कहा कि मोदी,मनोहर परिवारवाद के खिलाफ है और हुड्डा को दीपेन्द्र को राजनीति में स्थापित करने की पड़ी है। हुड्डा के कारण कांग्रेस समापन की ओर है और दावा करता हूं कि अगर हुड्डा के हाथ में चौधर और बागडोर रही तो अगले 20 साल तक भी कांग्रेस सत्ता में नहीं आएगी। 95 साल तक क्या वह राजनीति करते रहेंगे। किसी को आगे नहीं आने एक ही सोच बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।धंतौड़ी ने कहा कि  हुड्डा 75 साल के बुजुर्ग -सम्मानीय नेता है। लेकिन मेरी ही उम्र के दीपेंद्र हुड्डा के पुत्र मोह में इतने फंसे हैं कि उन्होंने हरियाणा से कांग्रेस को खत्म कर दिया है। 18 साल से उनके नेतृत्व में कांग्रेस उनके नेतृत्व में चल रही है। 2005 में चौधरी भजन लाल प्रदेश अध्यक्ष थे, उनके नेतृत्व में कांग्रेस 67 सीटें जीती। लेकिन कमान हुड्डा को सौंप दी गई। 2005 से 09 तक हुड्डा मुख्यमंत्री रहे और अगले चुनाव में यह सीटें घटकर 67 से 40 पर रह गई। 27 सीटें हाथ से निकल गई और फिर 2009 से 2014 तक हुड्डा मुख्यमंत्री रहे और 40 से घटकर सीटें अगले चुनाव में मात्र 15 रह गई। 25 सीटें और हाथ से निकल गई यानी 10 साल के इनके कार्यकाल में सीटें 67 से घटकर मात्र 15 तक सिमट गई। हुड्डा के नेतृत्व की यह उपलब्धि भी कांग्रेस हाईकमान ने नहीं देखी। 2019 का चुनाव भी प्रदेश में हुड्डा के नेतृत्व में लड़ा गया। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बहन कुमारी शैलजा को हटा दिया। पूर्व विधायक उदय भान अध्यक्ष बनाए गए और उदयभान को अध्यक्ष बनाने पर सबसे पहला विरोध मैंने करते हुए कहा कि खड़ेउ को कुर्सी पर बिठाया गया है।


अनिल धंतौड़ी ने कहा कि लड़ाई लड़ने के लिए सबको साथ लेकर चलना जरूरी है। अच्छे लीडरशिप के साथ नौजवानों और समर्पित लोगों की फौज की आवश्यकता होती है। मैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा से सवाल करता हूं कि उन्होंने 18 वर्षों की लीडरशिप के दौरान हरियाणा में सेकंड और थर्ड पंक्ति की कौन सी लीडरशिप तैयार की है। किसी एक का भी नाम बताएं। 25 से 45 के नौजवानों को इन्होंने मारा है। इन्होंने नौजवानों की राजनीति को क्षति पहुंचाई है जिसमें से मैं भी एक हूं। मैं अपनी मेहनत और ईमानदारी की ताकत से यहां पहुंचा हूं। मेरे पिता नौकरी पर हैं। मैं परिवारवाद के खिलाफ नहीं हूं डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, व्यापारी का बेटा व्यापारी बन सकता है तो नेता का बेटा भी नेता बन सकता है। लेकिन वह उसके काबिल होना चाहिए। दीपेंद्र हुड्डा मेरा भाई है। लेकिन राजनीतिक रूप से पूरी तरह से अपरिपक्व वह है जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भरोसे और उसकी छत्रछाया में है।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan