2 साल से अटकी पड़ी मार्केट फीस कम करने की घोषणा

5/30/2018 8:10:03 AM

अम्बाला(वत्स): प्रदेश की खट्टर सरकार करीब 2 साल पहले की गई अपनी ही घोषणा को अमल में नहीं ला पाई है। यह घोषणा थी 1 अगस्त 2016 से कपास पर मार्केट फीस कम करने की। अगर इस घोषणा को अमल में लाया जाता है, तो उस दिन से अभी तक सरकार को मिलर्स से वसूली गई करोड़ों रुपए एक्स्ट्रा मार्केट फीस वापस करनी होगी। सरकार की ओर से इस मामले में अभी तक चुप्पी साधी हुई है।

प्रदेश में इस समय कॉटन पर मार्केट फीस 2 रुपए है। इसके अलावा सरकार हरियाणा रूरल डिवैल्पमैंट फीस के रूप में 80 पैसे अतिरिक्त वसूल करती है। इस राशि को मार्कीटिंग बोर्ड गांवों में सड़क बनवाने के लिए यूज करता है। दोनों को मिलाकर मिलर्स को 2.80 रुपए की राशि फीस के रूप में अदा करती है। मिलर्स और आढ़ती इस राशि की वसूली किसानों से करते हैं, जिससे किसानों को फसल का भाव कम मिलता है। पंजाब और राजस्थान में मार्केट फीस कम होने के कारण सीमावर्ती जिलों के किसान अपनी फसल बेचने के लिए इन दोनों राज्यों में ले जाते हैं।

इससे प्रदेश में कपास का अच्छा उत्पादन होने के बावजूद मिलर्स को पर्याप्त कॉटन नहीं मिल पाती। उन्हें दूसरे राज्यों में महंगे दामों पर कॉटन खरीदनी पड़ती है। व्यापारियों की मार्केट फीस कम करने की मांग काफी पुरानी है। भाजपा ने सत्ता में आने से पहले व्यापारियों से वायदा किया था कि उनकी सरकार बनने पर प्रदेश में मार्कीट फीस कम की जाएगी।

करीब 2 वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार की ओर मार्केट फीस 2 रुपए से कम करके 80 पैसे करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के प्रचार पर ही सरकार ने जमकर पैसा खर्च किया था। यह भी निर्धारित किया गया था कि इस तारीख के बाद अधिक वसूली गई मार्कीट फीस को संबंधित व्यापारियों को ब्याज समेत लौटा दिया जाएगा।

व्यापारियों के अनुसार अभी तक सरकार को अदा की गई मार्केट फीस 35 से 40 करोड़ रुपए बनती है, जिसे सरकार ने ब्याज समेत लौटाना है। इस मामले में भी सरकार की चुप्पी टूटने का इंतजार है।

Rakhi Yadav