राम रहीम को पैरोल देने पर अंशुल छत्रपति ने उठाए सवाल, बोले- ये सब एक प्लानिंग के तहत किया गया

11/8/2020 4:11:43 PM

सिरसा (सतनाम): साध्वी यौन शोषण व पत्रकार राम चंद्र छत्रपति हत्या मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 1 दिन की पैरोल दिए जाने के फैसले का विरोध होना भी शुरू हो गया है। दिवंगत पत्रकार राम चंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने इसे सरकार द्वारा एक हार्डकोर क्रिमिनल के आगे नतमस्तक होकर आने वाले समय में पैरोल के लिए ग्राउंड तैयार करने की प्लानिंग बताया। 



अंशुल ने कहा कि ऐसी क्या मजबूरी हो गई थी कि जिसे पहले तीन बार लॉ एंड आर्डर का हवाला देकर पैरोल नहीं दी गई थी, उसे अब अचानक 1 दिन की पैरोल दी गई, जबकि पहले भी उसने अपनी मां की बीमारी का हवाला देकर पैरोल मांगी थी। अंशुल ने कहा कि यदि सरकार दोबारा से इस तहर का कदम उठती है तो वे निश्चित तौर पर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। 

उन्होंने कहा कि ने कहा कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को पंचकूला की सीबीआई अदालत ने साध्वी योन शोषण मामले में दोषी करार दिया और उसके बाद जिस तरह से प्रदेश में हालात बने, कई लोगों की जान गई। सरकार और आम लोगों का नुकसान हुआ आगजनी हुई, उस घटना से प्रदेश सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है, बल्कि एक प्लानिंग के तहत डेरा प्रमुख को एक दिन की पैरोल दी गई।  



अंशुल ने सवाल उठाया कि जब तीन बार पहले भी जिसमें एक बार डेरा प्रमुख ने अपनी मां नसीब कौर की बीमारी की वजह बता कर पैरोल की मांग की गई थी और उसके बाद एक मेडिकल बोर्ड गठित कर जांच की तो पाया गया कि उसकी मां बिलकुल ठीक है और इसके साथ साथ लॉ एंड आर्डर का हवाला देकर पैरोल नहीं दी गई थी। अंशुल ने कहा कि इस बार क्या ऐसी मजबूरी आ गई थी कि सरकार ने गुपचुप तरीके से उसे (डेरा प्रमुख) एक दिन की पैरोल के तहत गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ले जाया गया।

इसके साथ अंशुल ने कहा कि ये सब एक प्लानिंग के तहत किया गया। जब गुरुग्राम में डेरा प्रमुख की विजिट हो गई, उसके बाद डेरा प्रमुख की मां ठीक भी हो गई और सिरसा भी पहुंच गई। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ एक बहाना बनाया गया और सरकार ने एक अपराधी के लिए रेड कारपेट बिछा कर आने समय में पैरोल के लिए रास्ता खोलने का काम किया है। साथ ही अंशुल ने कहा कि जहा तक बात की जाए हरियाणा परीजनल टेम्परेरी रिलीज एक्ट की, उसमे ये प्रावधान है कि किसी भी हार्डकोर क्रिमिनल को किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जा सकती। तो क्या डेरा प्रमुख एक हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं आता तो फिर उसके लिए इस तरह की रियात क्यों दी गई ये भी बड़ा सवाल है। 

vinod kumar