धरी रह गई रैन बसेरों की व्यवस्थाएं, ठंड से हुई साधु की मौत का जिम्मेदार कौन ?

1/10/2020 12:46:10 PM

फतेहाबाद (मनोज) : प्रशासन जनता को सुविधाएं देने के लाख दावे करे लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कोसों दूर है। सामाजिक संस्थाएं और समाजसेवी होने का ढिंढोरा पीटने वाले लोग भी दिखावे के अलावा कुछ नहीं हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा ठंड से बचने के लिए फतेहाबाद, टोहाना, रतिया व जाखल में रैन बसेरे बनाए गए हैं लेकिन भट्टू कलां में 1 भी प्रशासनिक रैन बसेरा नहीं है, जबकि 1 प्राइवेट धर्मशाला में रैन बसेरा होने की बात कही जा रही है। 

वीरवार को प्रशासन की सुविधाएं और व्यवस्थाएं उस समय धरी रही गईं, जब भट्टू कलां के रेलवे स्टेशन के पास 1 साधु की ठंड से मौत हो गई। सोचने वाली बात यह है कि प्रशासन द्वारा जहां बस स्टैंड व रेलवे स्टेशनों पर कर्मचारियों द्वारा गश्त करने की बात कही जाती है तो बुधवार की पूरी रात भट्टू कलां में किसी प्रशासनिक कर्मचारी, पुलिस कर्मी या किसी तथाकथित समाजसेवी की स्टेशन के पास ठंड में सोए साधु पर नजर नहीं पड़ी। आखिरकार ठंड उसे लील गई और वीरवार को पुलिस को साधु का शव मिला जिसमें मौत का कारण ठंड बताया गया। 

भट्टू कलां में रेलवे स्टेशन होने के बावजूद अभी तक प्रशासलिक रैन बसेरा क्यों नहीं बनाया गया। ऐसे में साधु की मौत का जिम्मेदार कौन होगा। फतेहाबाद से ज्यादा रैन बसेरों की भट्टू, टोहाना व जाखल में जरूरत है। यहां रेलवे स्टेशन होने के कारण लोग रात्रि के समय आवागमन करते हैं। सर्दियां होने के कारण रोजाना ट्रेनें लेट हो रही हैं। ऐसे में लोग पूरी रात ठंड में बैठकर ट्रेनों का इंतजार करते हैं। बुद्धिवर्ग का कहना है कि प्रशासन को रैन बसेरे रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड के पास बनाने चाहिएं ताकि अधिक से अधिक लोग इनका फायदा उठा सकें।

फतेहाबाद में कोई रेलवे स्टेशन न होने के बावजूद 4 रैन बसेरे अग्रवाल धर्मशाला, नगर परिषद, पंचायत भवन तथा श्रीराम सेवा समिति धर्मशाला शामिल हैं। इन चारों में अभी तक लगभग 125 लोग रुक चुके हैं। रतिया में कम्युनिटी हाल में रैन बसेरा बनाया गया है जहां अभी तक 1 भी व्यक्ति नहीं रुका। टोहाना में 2 रैन बसेरे शिव नंदी गौशाला तथा नगर परिषद में हैं जहां 400 के आसपास लोग इस बार रुक चुके हैं। जाखल में नगर पालिका में रैन बसेरा बनाया गया है जहां अभी तक 1-2 व्यक्ति ही रुके हैं। भट्टू कलां में रेलवे स्टेशन होने के बावजूद प्रशासन या वहां के समाजसेवियों ने इस मुद्दे की तरफ ध्यान नहीं दिया।

Isha