अल्लाह, मोहम्मद, कलमा लिखे बकरों की मुंह मांगे दाम

7/18/2021 5:43:26 PM

दिल्ली-मुंबई के व्यापारी क्षेत्र से बकरीद कुर्बानी के लिए कर रहे बकरों की खरीदारी 

21 जुलाई को देशभर में मनाया जाएगा बकरीद का त्योहार

उलेमाओं ने प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी से परहेज करने का दिया संदेश

फिरोजपुरझिरका,

दिल्ली, मुंबई और उत्तर प्रदेश के व्यापारी नूंह इलाके से बकरीद के त्यौहार पर होने वाली कुर्बानी के लिए बकरों की खरीदारी करने में जुटे हुए हैं। बुधवार 21 जुलाई को त्यौहार से पहले-पहले गांव और बकरा मंडियों में शरीर पर उभरे बालों में अल्लाह, मोहम्मद और कलमा लिखे बकरों की मनमाने दामों पर लेनदेन हो रहा है।

शुक्रवार को जुमे की नमाज कुर्बानी में उलेमाओं ने बयान किए कि कोई भी मुसलमान प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी से परहेज करे। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया मांडीखेड़ा मुफ्ती मोहम्मद रफीक अहमद साहब ने कहा कि बकरीद की कुर्बानी में दखल ना पड़े इसलिए एहतियात बरतनी है। ऐसा कर्म न करें जिससे कि आपसी भाईचारा खराब होता है। उल्लेखनीय है कि बकरीद के बकरों के नाम बॉलीवुड के नामी-गरामी सुपर स्टारों के ऊपर रखे गए हैं ताकि दाम अच्छे मिल जाए। सलमान, शाहरुख, सुल्तान, टाइगर आदि नामों की बकरों की मांग बाजारों में सबसे अधिक है उन्हें मनमाफिक दामों में खरीदा भी जा रहा है। हालांकि पशुपालक इनके नाम के अनुरूप ही करों की परवरिश करते है। बकरों की खरीद-फरोख्त के लिए दिल्ली व मुंबई की मंडियां विश्वविख्यात है। निरंतर अच्छे दाम मिलने से क्षेत्र के बहुत से लोगों ने इसे व्यवसाय के रूप में अपनाना शुरू कर दिया है। करीब एक साल तक बकरे पालने के बाद इन्हें बकरीद पर वक्त मंडियों में भेज दिया जाता है। 

कलिमा, अल्लाह व मोहम्मद पर नजर:

बकरा पालन यूनुस खान घागस, रिसाल, अतर सिंह बताते है कि एक बकरा 10 से 12 हजार रुपये में आमतौर पर बिक्री होता है। बकरीद नजदीक है तो कीमतों में बढ़ोतरी हो गई है। बकरे की कीमत उनके वजन और कद-काठी से आंकी जाती है यदि बकरा ठीक-ठाक हो तो उसकी कीमत लाखों रुपये तक पहुंच जाती है भटकते उसके शरीर पर उर्दू भाषा में अल्लाह, मोहम्मद और कलिमा उभरा हो। नगीना, फिरोजपुर झिरका और तावडू क्षेत्र से आठ से दस ट्रक प्रतिदिन मुंबई के लिए रवाना होते हैं। गांव करहेड़ा के पप्पू ने बताया कि 50 हजार रुपए से अधिक कीमत के बकरों पर पालन-पोषण का खर्चा 10 हजार रुपए से अधिक होता है। 

अरावली के गांव में पालते हैं बकरे:

बकरा व्यापारी हाजी तैयब नगीना ने बताया कि दिल्ली और मुंबई से भी व्यापारी खरीददारी के लिए आ रहे हैं। नूंह की अरावली से सटे अधिकतर गांवों के बकरे-बकरियों के पालन में विश्वास रखते हैं। पालन पोषण अपने बच्चों की तरह करते हैं। इनमें घागस, कंसाली, नोटकी, गुमटबिहारी, फकरपुर खोरी, नांगल मुबारिकपुर, सांठावाड़ी, कोटला, मेवली, नावली, झिमरावट, रीठट, खानपुर घाटी, ढाढोली आदि अन्य गांव शामिल है। 

देसी व तोतापरी के मनमाफिक दाम:

पशुपालक अकबर ने बताया कि बकरों में मुख्य रूप से दो तरह की नस्ल देखने को मिलती है। इनमें देसी नस्ल और तोतापुरी नस्ल है। कुर्बानी के लिए 14 माह का बकरा उपयुक्त माना जाता है। बकरा पालने वाले इसे दो से तीन माह का होने पर खरीद लाते हैं। कद-काठी बढ़ाने के लिए इन्हें उच्च कोटी का आहार दिया जाता है। महंगे दाम पर बेचने के लिए अलग-अलग नाम रखे जाते हैं। 

 

 

Content Editor

Gaurav Tiwari