सदन दो बार स्थगित, इनेलो सदस्य शेष सत्र के लिए निलंबित

3/13/2018 4:49:12 PM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा की पेहवा नगर पालिका चेयरमैन सीट हासिल करने के लिए कथित तौर पर 75 लाख रुपए की रिश्वत देने के वायरल हुए ऑडियो मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने और इसमें कथित तौर पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग(एचएसएससी) चेयरमैन का नाम आने और उसे पद से हटाने की मांग को लेकर इनेलो ने आज भी लगभग दो घंटे तक राज्य विधानसभा में हंगामा किया। जिसके चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करना पड़ी। सरकार के जांच कराने के आश्वासन के बावजूद भी जब इनेलो सदस्य शांत नहीं हुए तो इन्हें सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। हालांकि इनेलो के 4 विधयकों को निलंबित नहीं किया गया है। जिनमें नैना चौटाला, परमेन्द्र ढुल, नागेंद्र भड़ाना, मक्खन लाल सिंगला शामिल हैं। स्पीकर कंवर पाल गुज्जर के आदेश हैं कि नेता प्रतिपक्ष अगर विधानसभा में अपने ऑफिस तक अकेले आना चाहें तो आ सकतें हैं।

शून्यकाल से ही सदन में हंगामे की शुरूआत हो गई। सत्तापत्र के सदस्यों ने सदन में अखबारों की प्रतियां लहरा कर मानेसर भूमि घोटाले में उच्चतम न्यायालय द्वारा अपने फैसले में राज्य की पिछली भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार पर अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर किसानों की जमीनें कौड़ियों के दाम हथियाए जाने को लेकर की गई तीखी टिप्पणियों पर कांग्रेस को घेरा और पूर्व मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की मांग की। 
   
सदन में इसी के समानांतर इनेलो विधायक और विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने आज पुन: पेहवा नगर पालिका कथित रिश्वतकांड का मुद्दा उठा कर माहौल को और गरमा दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर इस मामले में संलिप्त आरोपी को क्लीन चिट देने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोपी को तत्काल बर्खास्त कर मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की।      
   
विधानसभा अध्यक्ष कंवर पाल ने चौटाला से कहा कि मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर कल सदन में बयान दे चुके हैं। लेकिन चौटाला और उनकी पार्टी के सदस्यों ने आरोपी की बर्खास्तगी की मांग पर अड़े रहे और सदन में हंगामा शुरू कर दिया जिसमें कांग्रेस सदस्यों ने भी साथ दिया। 
   
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कल ही सदन में बयान दे दिया था और आज भी वह इसे दोहरा रहे हैं कि सरकार इस मामले की जांच कराएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया तो यही है कि किसी मामले में पहले जांच होती है और उसके आधार पर आगे की कोई कार्रवाई की जाती है। राज्य की पिछली सरकारों के समय भी ऐसा ही होता रहा है। उन्होंने अफसोस प्रकट किया कि इनेलो पहले सजा देने और बाद में जांच कराने की अनुचित मांग पर अड़ा हुआ है।