सावधान ! पलवल के गांवों में है ATM कार्ड ठगी करने वाला गिरोह, नए-नए तरीके अपना कर लगा रहे चूना
punjabkesari.in Saturday, Dec 09, 2023 - 10:32 AM (IST)

फरीदाबाद : एटीएम बूथ के अंदर मदद के बहाने डेबिट कार्ड बदलकर ठगी करने के मामले जिले में लगातार सामने आ रहे हैं। ठगी का यह तरीका नया नहीं है बल्कि करीब एक दशक से इस तरीके से वारदात हो रही हैं।
पुलिस को भी अच्छी तरह मालूम है कि देशभर में इस तरीके से होने वाली ठगी के 90 फीसद मामलों के तार पलवल के कुछ गांवों से जुड़े होते हैं। इन गांवों में घाघोट का नाम सबसे पहले आता है। इस गांव में ठगों के कई गिरोह बने हुए हैं। जो फरीदाबाद ही नहीं, बल्कि देश में कई अन्य राज्यों में ठगी करते हैं। ठगी की यह तरीका इसी गांव की देन बताया जाता है। पहले डेबिट कार्ड बदलकर ठगी के आरोप में कोई बदमाश पकड़ा जाता था तो ज्यादातर वह घाघोट गांव का ही निकलता था। पिछले कुछ सालों से इसके आस-पास के गांवों में भी युवक ठगी का यह तरीका सीख गए हैं और वारदात कर रहे हैं। पिछले दिनों पुलिस ने कई बदमाशों को पकड़ा है, वे घाघोट के आस-पास के गांवों के रहने वाले निकले।
लग्जरी कारों में जीपीएस लगाकर निकलते हैं ठगी करने
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब घाघोट के आस-पास गांवों में 50 से अधिक युवा डेबिट कार्ड बदलकर ठगी करने में माहिर है। ठगी करने के लिए अलग-अलग टीमें बनी हुई है। एक टीम में चार से पांच युवा ही शामिल होते है। खास बात है कि लग्जरी गाडियों में जीपीएस पर रूट बनाकर सेट कर देते है। इसके बाद जीपीएस के रूट के हिसाब से ही वारदात करते हुए जाते हैं। एक शहर में ये दो वारदात करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। बदमाश पलवल से कोटपूतली, जयपुर, सीकर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, जालौर से होते हुए गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक व तमिलनाडू तक जाते हैं। पूरे रूट में घूमते हुए जाते है। इसके बाद वापस में उदयपुर, भीलवाडू, अजमेर, जयपुर, भरतपुर होते हुए घर चले जाते है।
अधिकतर वारदात का खुलासा नहीं
जिले में हर महीने डेबिट कार्ड बदलकर ठगी की चार से पांच वारदात होती हैं। पुलिस इन मामलों को अब गंभीरता से नहीं लेती है। अधिकतर मामलों में बिना जांच के फाइल को बंद कर दी जाती है। एसीपी क्राइम अमन यादव का कहना है कि डेबिट कार्ड बदलकर ठगी करने वाले मामलों की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की टीमें लगी हुई हैं। कई बदमाशों को पकड़कर मामले सुलझाए भी गए हैं।
हर बार ठगी के लिए बनती है नई टीम
ठगी के लिए निकलने से पहले हर बार गावों से नई टीमें बनती है। वारदात में चाचा- मामा सहित अन्य रिश्तेदारों के युवा भी शामिल होते हैं। वारदात करने के लिए एक रूट को 10 दिन का बनाया जाता है। महीने में 10-10 दिन के दो रूट तय करते है और 10 दिन घर पर आराम करते है। साथ ही अपने पास अलग-अलग बैंकों के एटीएम काई भी रखते है। एटीएम कार्ड से रुपए निकालने के साथ ही ऑनलाइन शापिंग भी करते है।