हरियाणा उन्नति में पंजाब से कहीं आगे, इसलिए कानूनों में अब नाम बदलने की जरूरतः बलदेव राज

11/4/2020 8:21:11 PM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचन्द गुप्ता ने पद संभालने के बाद विधानसभा में कई बड़े बदलाव किए। लेकिन अब जो वो करने जा रहे हैं यह उनका फैसला काफी ज्वलंत फैसला साबित हो सकता है। उससे हरियाणा की जनता, होईकोर्ट की प्रैक्टिस करने वाले वकीलों और जजों को बड़ा फायदा होने वाला है। वह अब 1966 से चले आ रहे कानूनों में से पंजाब का नाम बदलने की तैयारी में है, जो कि अब हरियाणा के नाम से होगें। इससे हरियाणा की काफी लम्बे समय से चली आ रही अलग हाईकोर्ट की मांग को भी बल मिलेगा। अलग हाईकोर्ट बनने के बाद जज केवल हरियाणा से जुड़े मामलों ही देखेगें। जिससे निर्णय लेने में न केवल आसानी होगी बल्कि निर्णय भी बेहतर होगें। आज पंजाब केसरी ने इन सब बातों की जानकारी लेने के लिए हरियाणा के एडवोकेट जरनल बलदेव राज महाजन से खास बातचीत की। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं-

प्रश्न- विधानसभा स्पीकर हरियाणा के कानूनों में से पंजाब शब्द हटाने के प्रावधान की बात कर रहे हैं। आप कानून विशेषज्ञ होने के नाते इस बारे में क्या कहेंगे।
उत्तर- पहले हरियाणा भी पंजाब का ही एक हिस्सा था। सन 1966 में हरियाणा एक अलग राज्य बन गया। कॉमन स्टेट होने के कारण  यहां पंजाब के ही एक्ट्स थे जो कि बाद में भी यह दोनों जगह लागू रहे। अब तक यह पंजाब के नाम से चले आ रहे हैं। हरियाणा उस समय बहुत पिछड़ा हुआ क्षेत्र था। लेकिन आज हरियाणा उन्नति मे पथ पर पंजाब से भी आगे हैं और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिसमें हरियाणा पंजाब से पीछे नजर आ रहा हो। 

हमारे गुरुग्राम जैसे जिले देश-विदेश के फिगर में हैं, जोकि ऐसे शहर पंजाब में नहीं है। हमारे कानून हरियाणा के नाम से होने चाहिए। विधानसभा किसी भी कानून को चेंज हो सकती है, रिपील कर सकती है और नए कानून भी बना सकती है। इसके लिए कदम उठाया गया है और विधानसभा अपने राज्य के कानून बनाने में सक्षम है कि वह प्रदेश के कानून का नाम बदल भी सकती हो नया कानून बना भी सकती है। 

प्रश्न- देश में कई राज्य बने क्या पहले भी इस तरह के प्रावधान देखने को मिले और स्पीकर साहब के इस कदम से क्या फर्क पड़ने वाला है।
उत्तर- स्पीकर साहब के इस कदम से आने वाले समय में बहुत फायदा होने वाला है। जैसा कि आप जानते हैं आंध्र प्रदेश से तेलंगाना का निर्माण हुआ। तेलंगाना ने भी कहा कि हम अपने कानूनों के नाम पर तेलंगाना के नाम पर ही रखेंगे और कानूनन पावर भी है। वह प्रदेश तो अभी बना है। लेकिन हमारा बहुत पुराना प्रदेश है। हमने अपने पुराने और अच्छे भाईचारे को निभाया है और हमारा प्रदेश तरक्की में बहुत आगे निकल चुका है। हम चाहेंगे कि हमारे प्रदेश की अपनी रिकॉग्नाइजेशन हो। जिससे हमारी अपनी पहचान होगी। अपने कानून होंगे।

प्रश्न- हरियाणा की काफी समय से अलग हाईकोर्ट की मांग है। क्या इन कानूनों से उसे भी बल मिलेगा।
उत्तर- सन् 2014 में जब से भा.ज.पा. की सरकार बनी। तब से इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं कि हमारा अलग हाईकोर्ट होना चाहिए। इससे पहले भी शायद कोशिश होती रही हो लेकिन इतनी गंभीरता से काम कभी नहीं हुआ। बी.जे.पी. सरकार ने आने के बाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट को भी अप्रोच किया है। इसके लिए लंबा कोरेस्पोंडेंट भी हुआ है और फिजिकली भी देखा गया है कि यह पार्टीशन हो सकती है। हमारी सरकार की मांग थी कि अलग से हाईकोर्ट इसी बिल्डिंग में होनी चाहिए जैसा सेक्टरेट भी इसी बिल्डिंग में है। अलग से हाईकोर्ट होने से हमारे वकील समाज सहित जुडिशल अफसरों को भी फायदा होगा। क्योंकि 66 से अब तक 60 प्रतिशत लोग पंजाब से नियुक्त होते है जबकि 40 प्रतिशत हरियाणा से होती है। जबकि हम पंजाब से किसी भी चीज में पीछे नहीं है। ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि हमारी रिप्रेजेंटेशन कम है। इसलिए हम चाहते हैं कि हमारे अलग हाई कोर्ट, कानून हरियाणा के नाम से हो।

प्रश्न- क्या इससे जजों और वकीलों को भी अपने काम करने में आसानी होगी।
उतर- इससे जज भी केवल हरियाणा के केसों को देखेंगे और जल्दी-जल्दी फैसला होगा। पुराने केसों का भी निपटारा जल्दी होगा। क्योंकि एक केस हरियाणा के एक्ट से डिसाइड होगा उसका नीचे की कोर्टो को भी फायदा होगा। गाइडलाइन मिलेंगी। मिलते-जुलते एक जैसे केसों का भी जल्द निर्णय हो जाएगा। वकीलों और आम जनता को भी फायदा होगा। अभी एक ही जज पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के केसों को देख रहा है। जबकि कुछ केसों में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में कानूनों में अलग-अलग प्रावधान हैं। अगर हाईकोर्ट हरियाणा की होगी तो केवल जज केवल हरियाणा के केसों को ही देखेगा। जिसने निर्णय लेने में काफी आसानी होगी और निर्णय पहले से ज्यादा बेहतर होंगें।

प्रश्न- नए वकील जो हाईकोर्ट में प्रैक्टिस के लिए अपने सीनियर्स के पास बैठे हैं। क्या उन्हें भी प्रोत्साहन मिलेगा।
उत्तर- जब हरियाणा के लोग होंगे, हरियाणा के वकीलों के साथ एसोसिएट होंगे तो यह तो साफ है कि हरियाणा के कानूनों के प्रति उनका आकर्षण ज्यादा होगा। अभी जो कॉमन प्रैक्टिस करते हैं। उन्हें पंजाब, हरियाणा और चण्डीगढ तीनों के कानूनों की जानकारी रखनी पड़ती है। जो नए वकील हैं उनके लिए यह बहुत ज्यादा फायदेमंद रहेगा। वह अपने प्रोफेशन को जल्दी समझ पाएंगे। बिल्डिंग यही होने के कारण बार को भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

प्रश्न- अनलॉक 5 का समय भी खत्म होने को है। कोरोना के समय में केसों के निर्णय कैसे हो पाए।
उत्तर- कोरोना काल एक मुश्किल समय रहा खासतौर पर वकील समाज के लिए। बहुत सावधानियां रखनी पड़ी और विजुअल कोर्ट का कंसेप्ट वकीलों के लिए और जजों के लिए बिल्कुल नया था। इतनी मुश्किलों के बीच भी हमारी कोर्ट ने बहुत बेहतरीन काम किया। आज भी 35 जज रोज काम कर रहे हैं। इतनी ज्यादा वर्किंग शायद किसी भी हाईकोर्ट में नहीं है। ऐसा कोई जज नहीं जिसके पास 35-40 केस रोज न लगे हों। आप इसे चेक कर सकते हैं कि उतने केसों का निर्णय आज भी हो रहा है जितना रूटीन में होता था।

प्रश्न- रेरा जैसे केसों में क्या रहा।
उतर- बहुत से हाईकोर्ट ने कुछ ऐसे केस जैसे रेरा के एक्ट के रूल चैलेंज कर रखे थे। उसके कारण रेरा में सारा काम बंद हुआ था। डिस्पोजल केस वंहा भी और हाईकोर्ट में आकर भी रुक गए थे। लेकिन हाईकोर्ट ने कोरोना पीरियड के दौरान ही उनके केसों को डिसाइड किया। लंबी सुनवाई वर्चुअल कोर्ट में हुई। 100 केस हाईकोर्ट ने लॉकडाउन में डिसाइड किए। जिसके परिणाम के बाद रेरा अथॉरिटी के पास भी फंक्शनिंग शुरू की गई। इसी तरह लैंड एक्यूजीशन के बहुत से केस थे। जो सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में फैसला दिया था जो हमारे पास पेंडिंग चले आ रहे थे। बहुत से नए केस फाइल हो रहे थे। हाई कोर्ट में एरियर बढ़ता जा रहा था। लगभग 600-700 केस सेक्शन 242 के हैं। जो अलग-अलग बैंचों ने सारे वकीलों के अरगुमेंट सुनने के बाद डिसाइड किया।

आगे भी जो रोज केस फाइल हो रहे हैं। जो कोर्ट ने लास्ट सेटल कर दिया। उसके बेस पर विभाग लेवल पर ही आधी समस्या हल हो जाएगी। कोर्ट में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हाई कोर्ट बेशक नॉर्मल समय से भी जल्दी केसों का निर्णय करने में लगा है लेकिन फिर भी फिजिकल हियरिंग और वर्चुअल हियरिंग फर्क होता है। आज की स्थिति है कि जो नए केस फाइल हो रहे हैं वह टेकअप हो रहे हैं। डिसाइड भी हो रहे हैं। पुराने केस थे। वह कोरोना काल के कारण लंबे खींच रहे हैं। उसके लिए भी जल्दी से जल्दी फिजिकल ही काम करना शुरू करना पड़ेगा। अगर त्यौहारी सीजन के बाद कोरोना की स्थिति में सुधार हो गया तो मुझे लगता है कि कोर्ट में जल्दी वर्किंग स्टार्ट हो जाएगी।

प्रश्न- एडवोकेट वेलफेयर फंड वकीलों की मदद के लिए बना है कोरोना प्रभावित वकीलों की मदद के लिए कितना बजट है और कब तक वकीलों की मदद की संभावना है
उत्तर- वकील की मौत के बाद उसके परिवार को व सीरियस बीमारी के वक्त वकील की मदद के लिए एडवोकेट वेलफेयर फंड में एक्ट में प्रोविजन है। कोरोना ने हर वकील को आर्थिक चोट पहुंचाई है। इस स्थिति में हमने सरकार से परमिशन मांगी थी। एडवोकेट वेलफेयर काउंसिल जिसमें मेजर बार काउंसलिंग के लोग होते हैं। एडवोकेट जनरल होने के नाते मैं इस कमेटी का चेयरमैन हूं। हमने सरकार से कंसेशन मांगी थी। सरकार ने 2 करोड रुपए हरियाणा एडवोकेट वेलफेयर फंड के मेंबर्स को बांटने के लिए फंड इश्यू किया है। उसके लिए बार काउंसिल के पास अट्ठारह सौ एप्लीकेशन आई हैं। बार काउंसिल उनको शॉर्टलिस्ट कर रहा है। बार काउंसिल ने जितने भी उनके सोर्सिस थे या उनके लिए कोलेक्शन मुमकिन थी उसने अपने लेवल पर डायरेक्टली भी फायदे दिए हैं। जो वेलफेयर फंड के मेंबर नहीं भी हैं। अब एक व्यू यह आ रहा था कि जिनको बार काउंसिल ने डायरेक्टली मदद दे दी है उनको यह न दी जाए। दूसरा व्यू यह भी है जिन्होंने अप्लाई किया है उन्हें बेनिफिट्स मिलना चाहिए। अब बार कौंसिल फैसला कर रही है अगले हफ्ते 2 करोड़ रुपए इनमें बांट दिए जाएंगे।

vinod kumar