बंसी लाल ने कहा-सीट हारना मंजूर, इस नेता को नहीं लूंगा पार्टी में

10/10/2019 1:25:39 PM

अम्बाला (रीटा/ सुमन): मौजूदा विधानसभा चुनाव दौरान ढेर सारे नेताओं ने सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचने की लालसा में दल बदल किया और कई दलों ने दिल खोलकर उनका स्वागत भी किया लेकिन 1991 का वह दौर भी था जब बंसीलाल ने हविपा के सुप्रीमो के तौर पर अपनी पार्टी की एक सीट को गंवाना मंजूर कर लिया लेकिन ब्राह्मण समाज में अच्छा रसूख रखने वाले कांग्रेस समर्थक एक नेता को अपनी पार्टी में शामिल करने से साफ  मना कर दिया।  

केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री रहे बंसी लाल ने पार्टी आलाकमान से हुए विवाद के बाद कांग्रेस को अलविदा कहकर प्रदेश में क्षेत्रीय दल हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया और 1991 में उन्होंने भाजपा व कांग्रेस के मुकाबले 61 प्रत्याशी मैदान में उतारे जिनमें से 12 विजयी हुए। अम्बाला शहर से उन्होंने हविपा का टिकट यहां की एक गैस एजैंसी के मालिक सुरजीत राय बधावन को दिया। बधावन पहली बार राजनीति में उतरे थे इसलिए चुनाव प्रबंधन में उन्हें कुछ मुश्किलें आना स्वाभाविक था। भाजपा से उनके मुकाबले में फकीर चंद व कांग्रेस से सुमेर चंद भट्ट मैदान में थे।

चुनाव प्रचार दौरान बंसी लाल अम्बाला शहर के किंगफिशर टूरिस्ट काम्पलैक्स में रुके। पार्टी महासचिव उनके बेटे सुरेंद्र सिंह भी उनके साथ थे। उनसे मिलने वहां पार्टी प्रत्याशी बधावन व अन्य नेता पहुंचे। पार्टी के कुछ नेताओं ने बंसी लाल को बताया कि यहां से पार्टी प्रत्याशी की हालत बहुत ठीक नहीं है। कांग्रेस के समर्थक माने जाने वाले यहां के ब्राह्मण नेता हविपा में आना चाहते हैं और उनके आने से ब्राह्मण समाज की काफी वोटें अपने प्रत्याशी को मिल सकती हैं।

बंसी लाल की पसंद-नापसंद एकतरफा थी। वह उस ब्राह्मण नेता को जानते थे। उन्होंने साफ  कह दिया कि वह उसे पार्टी में नहीं लेंगे चाहे यहां की सीट हार जाएं। बाद में सुरेंद्र सिंह ने भी उनसे बहुत आग्रह किया लेकिन वह नहीं माने और आखिरकार नतीजा आने पर हविपा प्रत्याशी हार गया। 

Shivam