बरोदा उपचुनाव : चौपालों से लेकर सोशल मीडिया पर आंकलनों का सिलसिला हुआ तेज

10/29/2020 8:16:48 AM

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : बरोदा में 3 नवम्बर को होने वाले उप-चुनाव में अब जहां 5 दिन शेष रह गए हैं, वहीं मतदान से लेकर परिणाम तक की चर्चा व आंकलन चौपालों से लेकर सोशल मीडिया पर तेज हो गया है। चौपालों पर हुक्के की गुडग़ुड़ाहट के बीच उप-चुनाव को लेकर न केवल आंकलनों का दौर जारी है, बल्कि कई बार ग्रामीणों में चलने वाली ये चर्चा गर्मागर्म बहस में भी बदल जाती है।

इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी उप-चुनाव के नतीजों को लेकर आंकलन एवं समीकरणों की पोस्ट खूब वायरल हो रही हैं तथा सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन के साथ कांग्रेस व इनैलो से जुड़े समर्थक सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर अपनी-अपनी पार्टियों के इस उप-चुनाव में जीत को लेकर जमकर दावे कर रहे हैं। वहीं इस उप-चुनाव को लेकर सट्टा बाजार भी सक्रिय हो गया है और सूत्रों की मानें तो राज्य में करोड़ों रुपए का सट्टा लगाया गया है। 

डिजीटल मीडिया का ले रहे सहारा
इन दिनों डिजीटल मीडिया राजनीतिक प्रचार का अहम हिस्सा है। ऐसे में बरोदा उप-चुनाव को लेकर भी भाजपा और जजपा के अलावा कांग्रेस एवं इनैलो के आई.टी. सैल से जुड़े लोग इन दिनों पूरी तरह से सक्रिय हैं। सभी दलों के आई.टी. सैल की अपनी-अपनी टीमें हैं जो सोशल मीडिया पर उप-चुनाव को लेकर प्रचार को गति देने में लगी हंै। खास बात यह है कि आई.टी. सैल की टीम के ये लोग न केवल अपने सियासी दलों के पक्ष में प्रचार करने में भूमिका अदा करते हैं,बल्कि विपक्षी दलों के नकारात्मक पक्षों को लेकर भी तथ्यों,तर्कों व वीडियोज का सहारा ले रहे हैं। इस कड़ी में इन दिनों बरोदा में बड़े टीवी चैनलों के अलावा सैकड़ों की संख्या में यू-ट्यूबर्स भी पूरी तरह से सक्रिय नजर आते हैं।

लोग जीत-हार के अंतर तक का बारीकी से कर रहे हैं अध्ययन 
गौरतलब है कि भाजपा सरकार के पार्ट-टू कार्यकाल का पहला वर्ष पूर्ण होने के तुरंत बाद बरोदा में पहला उप-चुनाव होने जा रहा है। गांव-गांव में उप-चुनाव को लेकर आंकलन हो रहे हैं। शर्तें लगाई जा रही हैं और समीकरणों पर तगड़ी बहस भी की जा रही है। बरोदा विधानसभा क्षेत्र में 56 गांव आते हैं। खास बात यह है कि आंकलनबाजी करने वाले लोग तमाम गांवों में सियासी दलों को मिलने वाले मतों से लेकर जीत-हार के अंतर तक का बारीकी से अध्ययन कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। निजी स्तर पर कई एजैंसियों की ओर से भी सर्वे करवाया गया है तो  कुछेक सियासी दलों ने भी अपने स्तर पर इस सीट का सर्वे करवाकर सियासी आबो-हवा जानने का प्रयास किया है। 

सियासी पर्यवेक्षक मानते हैं कि हरियाणा में सियासत में आम जनमानस गहन दिलचस्पी रखता है। यहां पर देहात में चौपाल पर हुक्के की गुडग़ुड़ाहट के बीच सियासी चर्चा आम देखने को मिलती है। खास बात यह है कि बरोदा का उप-चुनाव ऐसे दौर में हो रहा है जब प्रदेश में धान व नरमे का फसली सीजन है और इसी बीच केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्य के अलग-अलग हिस्सों में किसान आंदोलन भी कर रहे हैं। बावजूद इसके इस उप-चुनाव को लेकर सियासी गणित का अध्ययन आम से लेकर खास आदमी की ओर से जारी है।चौपालों से सियासत का यह जाल सोशल मीडिया पर भी तेजी से फैलने लगा है। 

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के तमाम बड़े दिग्गज नेता सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और उनके लाखों फॉलोअर्स भी हैं। सोशल मीडिया पर भी बरोदा उप-चुनाव के नतीजों, भावी सियासी समीकरण से लेकर अनेक तरह की पोस्ट इन दिनों खूब देखने को मिल रही हैं। उप-चुनाव से संबंधित कई तरह के रोचक वीडियो भी इन दिनों ट्रेंड हो रहे हैं।

सियासी गणित पर नहीं पड़ेगा असर तो जीत से मिलेगा जोश
गौरतलब है कि प्रदेश में पिछले साल अक्तूबर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40, कांग्रेस को 31, जजपा को 10, इनैलो व हलोपा को एक-एक सीट पर जीत मिली थी। 7 आजाद विधायक चुने गए थे। भाजपा ने जजपा के अलावा कुछ आजाद विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। 27 अक्तूबर को मनोहर लाल खट्टर ने दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

उसी दिन ही जजपा से दुष्यंत चौटाला ने उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। ऐसे में मंगलवार को सरकार का एक साल का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। कुछेक अवरोधों को छोड़ दें तो अब तक भाजपा व जजपा का गठबंधन पटरी पर चलता नजर आ रहा है। ऐसे में अभी सरकार स्थिर नजर आ रही है और तमाम गठजोड़ों को मिलाकर सरकार के पास 55 विधायकों का समर्थन हासिल है जो 46 के जादुई आंकड़े से भी 9 अधिक है। ऐसे में बरोदा उप-चुनाव के नतीजों से राज्य के सियासी गणित पर कोई असर पडऩे की संभावना नहीं है। हालांकि सियासी पंडित मानते हैं कि जिस भी दल ने यह उप-चुनाव जीता, संगठनात्मक ढांचे के दृष्टिगत यह जीत उस दल के कार्यकत्र्ताओं में जोश भरने का काम अवश्य कर सकती है। 

Manisha rana