गोद में छोटे बच्चे उठाकर भीख मांगने का बन रहा कमाई का जरिया

12/16/2019 11:03:24 AM

यमुनानगर(भारद्वाज) : न स्कूल, न शिक्षा और न ही भविष्य का कुछ पता। सरकार की तमाम योजनाओं के होते हुए भी बच्चे भीख मांगने का एक ऐसा माध्यम बन गए हैं जिनको देखकर लोग भावुकतावश कुछ न कुछ जरूर दे देते हैं। परन्तु बच्चों को भीख देने की यह प्रवृत्ति इनको समाज की मुख्य धारा से अलग कर रही है। ऐसे परिजनों का लोगों को बहिष्कार करना चाहिए व इनकी शिकायत करनी चाहिए, जो बच्चों को साथ लेकर दिनभर शहर के चौक-चौराहों व बाजारों में यहां- वहां भीख मांगते रहते हैं।

बाजारों और चौक-चौराहों में निकल जाते हैं अलसुबह भीख मांगने
भीख मांगने को ही अपना व्यवसाय बनाने वाले ये लोग बाजारों और गली मोहल्लों में अधिक देखे जाते हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे होते हैं जो कि इन भीख मांगने वालों ने गोद मे उठाए होते हंै ताकि हर कोई इन दयनीय बच्चों की हालत देखकर उन पर सहानुभूति करते हुए कुछ-कुछ दे। झुगियों-झोंपडिय़ों व बस्तियों में रहने वाले ये लोग अपने बच्चों को गोद में उठाकर अलसुबह ही टोलियों बनाकर बाजारों चौक-चौराहों पर भीख मांगने निकल पड़ते हैं। जहां पर हर कोई दुकानदार या फिर वहां आने वाला ग्राहक सुबह-सुबह होने के कारण उन्हें मना नहीं करना चाहता और उन्हें कुछ न कुछ जरूर देता है। ऐसे में यह छोटे बच्चे पैसों के लालच में चौक-चौराहों व रैड लाइट पर हर गाड़ी पर हाथ मार-मारकर भीख मांगते हैं कई बार तो महिलाएं व पुरुष बहुत दयनीय स्थिति में छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में लटकाए रहती हैं, जिन्हें देखकर कोई भी भावुक हो पैसे दे देता है

 दुकानदारों व शहरवासियों का कहना है कि अपने छोटे बच्चों को खासकर महिलाएं झोली बनाकर उसमें लटकाकर और उन्हें दयनीय स्थिति में रख उन पर अत्याचार करते हैं। बच्चों को स्कूल स्कूलों में न भेजकर उनसे भीख मंगवाते हैं। कई बार तो शिकायत करने पर भी कार्रवाई नहीं होती और यदि होती भी है तो मात्र खानापूॢत। बच्चों के साथ भीख मांग रही महिलाओं को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है जबकि इनके खिलाफ मुकद्दमा दर्ज होना चाहिए और इनके बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाया जाना चाहिए। लोगों का कहना है कि यदि भीख मांग रही महिलाओं व बच्चों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी तभी यह सिलसिला कम होगा। 

Edited By

vinod kumar