बजट पर बोले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा- बहुत लंबा-चौड़ा बजट पेश किया गया लेकिन...

3/20/2021 6:52:00 PM

चंडीगढ़ (धरणी): इस बार का बजट सेशन पूरी तरह से हंगामेदार रहने की पहले से ही उम्मीद थी और हुआ भी यही। कांग्रेस के सभी विधायक भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में पहले दिन ही विधानसभा तक कृषि कानूनों और महंगाई को लेकर जोरदार प्रदर्शन करते हुए पैदल पहुंचे। कांग्रेस ने सदन में सरकार के फैसलों पर कड़ा विरोध किया। कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव भले ही न टिक पाया हो, लेकिन आज भी कांग्रेस आत्मविश्वास से पूरी तरह लवरेज है। आज पंजाब केसरी ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से एक्सक्लूसिव बातचीत की। जिसमें उन्होंने हाल ही में आए संपत्ति कुर्क के कानून पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि 10 व्यक्तियों द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई 1000 व्यक्तियों से नहीं की जानी चाहिए। यह सुप्रीम कोर्ट की डायरेक्शन की भी अवहेलना है। उन्होंने और भी सरकार के कई फैसलों पर कड़ा विरोध किया। 

बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न:-
बजट सेशन का आप निष्कर्ष क्या निकालते हैं? 
उत्तर:- बहुत लंबा-चौड़ा बजट पेश किया गया। लेकिन खोदा पहाड़ निकली चुहिया। किसी भी वर्ग को राहत नहीं दी गई। किसान-मजदूर-व्यापारी-कर्मचारी सभी उम्मीद भरी नजरों से इस बजट की तरफ आंखें टिकाए हुए थे। लेकिन किसी को कुछ नहीं दिया गया। आशा निराशा में बदल गई।

प्रश्न:- सत्ता पक्ष कह रहा है कि कर्ज लेने की शुरुआत आपके कार्यकाल में हुई ?
उत्तर:- 1966 से हमारे कार्यकाल तक साठ हजार तीन सौ करोड का कर्ज था। इनके कार्यकाल में बढ़कर दो लाख 29 हजार करोड़ तक पहुंच गया।अपनी कमजोरी छुपाने के लिए दूसरे के कंधे पर यह वजन फेंकना चाहते हैं। लेकिन इन्हें यह बताना चाहिए कि आखिर उन्होंने कर्ज लेकर खर्च कहां किया। हमारे समय में पावर स्टेशन, सड़कें, यूनिवर्सिटीज, बड़े-बड़े इंस्टिट्यूट बनाए गए। इनके समय में एक भी यूनिवर्सिटी नहीं बनाई गई। अगर मेडिकल यूनिवर्सिटी है वहां डॉक्टर नहीं है। स्कूल की बिल्डिंगे हैं वहां अध्यापक नहीं है।

प्रश्न:- एसवाईएल का मुद्दा सदन में सुर्खियों में रहा। क्या समझते हैं कि सरकार को एसवाईएल पर क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर:- सरकार प्रयास करे। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हित में फैसला कर रखा है। केंद्र ने यह नहर खोदनी है। केंद्र और प्रदेश दोनों में बीजेपी की सरकार है। सर्वदलीय मीटिंग बुलाई थी। मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी थी कि प्रधानमंत्री जी से मिलवाया जाए। लेकिन आज तक नहीं मिलवाया गया।

प्रश्न:- संपत्ति कुर्क पर जो नया कानून बना, उस पर आपकी क्या टिप्पणी है?
उत्तर:- सुप्रीम कोर्ट का जो 2012 का फैसला था इस कानून में उसकी अवहेलना नजर आ रही है। प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक अधिकार है। कोई किसी को नहीं रोक सकता। इन्होंने किसानों को दिल्ली जाते समय रोकने का प्रयास किया। अगर 10 हजार आदमी कहीं शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। उनमें से 10 आदमी अगर कोई नुकसान करें तो रिकवरी 9990 लोगों से भी की जाएगी। जबकि सुप्रीम कोर्ट की डायरेक्शन है कि नुकसान करने वालों से ही पूर्ति करो। लेकिन यह सभी से करना चाहते हैं। हमारी सरकार से अपील है कि इसे रिपील करें और सोच समझकर काम करें।

प्रश्न:- लव जिहाद पर सरकार बैकफुट पर दिखी और कांग्रेस के तेवरों की वजह से स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी पर भी ब्रेक लगी। क्या कहेंगे ?
उत्तर:- मोतीलाल नेहरू स्पोट्र्स स्कूल बना। उसमें 80 फीसदी हरियाणा वासियों को रिजर्वेशन थी। उसी को इन्होंने एलीवेट किया। लेकिन उसका जिक्र कहीं नहीं है। हरियाणा देश का सबसे ज्यादा मैडल लाने वाला प्रदेश है। आबादी अनुपात बहुत कम है। हमारे प्रदेश के खिलाड़ी ओलंपिक, कॉमनवेल्थ और सभी जगह आधे से ज्यादा मैडल लाने वाला प्रदेश है।

प्रश्न:- क्या मानते हैं कि सरकार का अगले साल के लिए कहां फोकस रहना चाहिए?
उत्तर:- लोगों को राहत देने की बात करनी चाहिए। महंगाई कैसे कम हो। किसान कैसे खुशहाल बने। इस पर काम किया जाना चाहिए। सभी वर्गों को कोरोना काल में भारी मार पड़ी। केवल कर्ज लेने से भला नहीं होगा। 54 फीसदी इंटरेस्ट पेमेंट, लोन पेमेंट में और 40 फीसदी तनख्वाह, पेंशन में खर्च हो जाता है। हर काम अगर कर्जा लेकर चलेंगे तो स्थिति और खराब होगी। कर्ज लो और घी पियो यह नीति सरकार को छोड़ देनी चाहिए।

प्रश्न:- प्रेस वार्ता के लिए आते वक्त मुख्यमंत्री पर अकाली दल के विधायकों द्वारा हमले की कोशिश की बात कही जा रही है। इस पर क्या कहेंगे ?
उत्तर:- प्रदर्शन करना सबका अधिकार है। लेकिन गरिमा का ध्यान रखा जाना चाहिए। वह लांघी गई या नहीं यह जांच का विषय है।

प्रश्न:- कुछ विधायक जैसे रामकरण काला इत्यादि ने अविश्वास प्रस्ताव गिरने के एक-दो दिन बाद कहा कि वह किसानों के साथ हैं। इस घटनाक्रम को कैसे देखते हैं ?
उत्तर:- उनसे पूछो, उनकी आत्मा से पूछो। इस सरकार से कोई भी खुश नहीं है। यह कृषि बिल किसानों के हित में नहीं है। सरकार को तुरंत प्रभाव से किसान से बात करके समाधान निकालना चाहिए। उनकी बात मानी जानी चाहिए। 

Content Writer

Shivam