रथयात्रा के बहाने सियासी ताकत दिखाएंगे हुड्डा, निशाने पर भाजपा सरकार

12/28/2017 10:50:24 AM

चंडीगढ़(ब्यूरो): प्रदेश में कांग्रेस का खोया वैभव लौटाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने फिर से कमर कस ली है। किसान व दलित पंचायतों के माध्यम जनता के बीच भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ अलख जगा चुके हुड्डा अब रथ यात्रा के बहाने प्रदेश सरकार के खिलाफ पोल खोल अभियान चलाने जा रहे हैं। राजनीतिक हलकों में इसे हुड्डा का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है जिसके बहाने वे पार्टी हाईकमान से उन्हें फ्री हैंड देने की मांग करेंगे। बताते चलें कि प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी जग जाहिर है। कांग्रेस के कई गुट अपने-अपने तरीके से विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जनता के बीच जाकर प्रदेश सरकार की नाकामियों को उठाते रहते है। 

हुड्डा के करीबियों व उनके सिपहसलारों ने जो जनजागरण का कार्यक्रम बनाया है उसके अनुसार फरवरी 2018 की शुरूआत में पूर्व मुख्यमंत्री एक रथयात्रा निकालेंगे। जिसकी शुरुआत कालका विधानसभा क्षेत्र से होगी। रथ यात्रा सभी 90 विधानसभा हलकों से होकर गुजरेगी। एक सप्ताह में दो हल्कों को कवर किया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री अनुसार यह यात्रा प्रदेश से भाजपा की विदाई तय करेगी। बताया जा रहा है कि हुड्डा की इस रथ यात्रा के समापन पर प्रदेश में एक महारैली का भी आयोजन किया जाएगा।

निशाने पर भाजपा सरकार
बेशक पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेश सरकार के गठन के समय से ही सरकार के निशाने पर रहे हैं। उनका नाम रोबर्ट वाड्रा से जोड़ते हुए कार्रवाई की बातें होती रही हैं लेकिन बावजूद इसके हुड्डा विचलित न होते हुए भाजपा सरकार पर हमलावर रहे। हुड्डा कहते हैं कि 154 वायदे करके सत्ता में आई भाजपा ने एक भी वायदा पूरा नहीं किया। बनी बनाई दादुपुर-नलवी नहर को पाटने का निर्णय धुर किसान विरोधी है।

समर्थक चाहते हैं अमरेंद्र जैसी आजादी
कांग्रेस में हुड्डा के कद व प्रदेश में राजनीतिक पकड़ को देखते हुए समर्थक चाहते हैं कि यदि सता में वापसी करनी है तो पंजाब की तर्ज पर भूपेंद्र  हुड्डा को फ्री हैंड करना चाहिए। शायद इसी कवायद के चलते किसान, दलित पंचायतों व रथयात्रा से दबाव बनाया जा रहा है। हुड्डा को कांग्रेस के अधिकतर विधायकों का समर्थन हासिल है। विधायक जयतीर्थ दहिया तो कई बार सार्वजनिक तौर पर उनकी वकालत में हदें पार कर चुके हैं। बहरहाल पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा की रथयात्रा जिसका आगाज वे फरवरी से करने जा रहे हैं, का अंजाम क्या होगा। यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह भी स्पष्ट है कि गुटों में बंटी कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए ड्राइंग की राजनीति छोड़ जनता के बीच जाना होगा। वहीं, हाईकमान को वर्तमान हालात को देखते हुए फैसला लेना होगा।