आरटीआई में बड़ा खुलासा: गैर कानूनी है ''मेरी फसल मेरा ब्योरा'' पोर्टल, किसानों के हित में नहीं...

punjabkesari.in Tuesday, Aug 04, 2020 - 02:09 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा करीब दो साल पहले लांच किया गया पोर्टल ''मेरी फसल मेरा ब्योरा'' गैरकानूनी है। इसका खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता राकेश कुमार बैंस द्वारा आरटीआई के माध्यम से हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड से मांगी गई जानकारी में हुआ है। बैंस ने बताया कि उनके द्वारा' 'मेरी फसल मेरा ब्योरा'' के संबंध में दो आवेदनों के तहत हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड से 17 जानकारीया मांगी गई थी जोकि प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी ही महत्वपूर्ण है।

राकेश बैंस ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 25 दिसंबर 2018 को ''मेरी फसल मेरा ब्योरा'' पोर्टल लांच किया था जिससे मनोहर सरकार ने अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में गिनाया था, जिसका उद्देश्य किसानों से फसल की पूरी जानकारी लेकर मंडी में फसल बेचने में आ रही किसानों को दिक्कतों को दूर करना व फसलों की सुचारु रूप से खरीद करने में मदद करना था।

बैंस ने बताया कि अब 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल ही किसानों के लिए जी का जंजाल बन गया है। पिछले दिनों किसानों को अपनी फसल पोर्टल पर दर्ज करवाने को लेकर आई परेशानी को देखते हुए उन्होंने विभाग से कई जानकारियां मांगी, तब मिली जानकारी में कई खुलासे हुए जोकि हैरान कर देने वाले हैं।

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राकेश बैंस ने बताया कि उन्होंने हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड से जानकारी मांगी थी कि इस पोर्टल को किस कानून की किस धारा के तहत बनाया व लागू किया गया? इस पर बोर्ड का जवाब है कि 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' को किसी कानूनी धारा के तहत बनाया या लागू नहीं किया गया।

जब बोर्ड से यह पूछा गया कि पोर्टल को किस-किस फसल के लिए कब खोला जाता है, कब बंद किया जाता है, इसकी समय सारणी व तालिका क्या है? तो बोर्ड ने बताया कि 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल को कृषि विभाग की सलाह पर खोला व बंद किया जाता है यानि कोई समय सारणी व तालिका नहीं है।

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आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि बोर्ड से इसके संगठनीय ढांचे की जानकारी मांगी तब बोर्ड ने बताया कि इस पोर्टल के संगठनीय ढांचे व रूपरेखा की कोई लिखित जानकारी इस विभाग के पास नहीं है। विजयेन्द्र कुमार आईएएस एमडी हाट्र्रोन, टीएल सत्यप्रकाश आईएएस डीजी स्दीत, अजित बाला आईएएस निर्देशक कृषि विभाग, जे गनेसन आईएएस मुख्य प्रबंधक हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड, संजीव वर्मा आईएएस निर्देशक खाद्य एंव पूर्ति विभाग, आरके बैनीवाल सीएमईओ हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड की 20.12.2018 को हुई मीटिंग में इसे लागू करने का फैसला लिया गया, इसे 12 फसलों व 17 सब्जियों व 3 फलों की लागू किया गया है।

जब बोर्ड से यह जानकारी मांगी गई कि यदि अकुशल किसान किसी भी कारण से पोर्टल पर अपनी फसल का ब्योरा दर्ज नहीं करवा पाया, तब वह अपनी फसल मंडी बेच सकता है या नहीं? जिसके जवाब में बोर्ड ने बताया कि पोर्टल पर दर्ज नहीं होने पर किसान अपनी फसल को सरकारी खरीद में नहीं बेच सकता है, लेकिन किसान अपनी फसल निजी खरीददार को मंडी में बेच सकता है। जबकि यह सीधे-सीधे किसानों की फसल को एमएसपी पर बिकने से रोकता है। 



बैंस ने बताया कि यदि पोर्टल पर किसान का फसल का विवरण दर्ज नहीं है तो उस हालत में किसान को एमएसपी से वंचित रहना पड़ सकता है। एक सवाल के जब में बोर्ड ने जानकारी दी कि किसान को 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' के पोर्टल पर दर्ज विवरण का कोई भी दस्तावेज किसान को बोर्ड की तरफ से जारी नहीं किया जाता। ऐसे में किसान अपने विवरण को बता भी नहीं पाएगा कि उसका ब्योरा दर्ज था, यह अति गंभीर है।

राकेश कुमार ने कहा हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड से आई सभी जानकारियों से यह स्पष्ट हो गया है कि 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' किसानो के हितों के लिए नहीं बल्कि किसानों को फसल के एमएसपी से दूर रखने के लिए बनाया गया है। बीजेपी सरकार ने किसानों को जो उद्देश्य दिखाकर पोर्टल लागू किया गया था, उससे उलट है। भारतीय किसान यूनियन इस पोर्टल के संबंध में कृषि विचारों से संबधित वकीलों से विचार विमर्श कर इस पोर्टल को मंडियों से हटाने के लिए जल्द ही माननीय हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।


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Shivam

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