बेटे की राजनीतिक पारी सोनीपत से शुरू करने के फेर में बीरेंद्र सिंह

4/3/2019 9:40:46 AM

जींद(जसमेर): केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उचाना से भाजपा विधायक प्रेम लता अपने आई.ए.एस. बेटे बृजेंद्र सिंह की राजनीतिक पारी सोनीपत संसदीय क्षेत्र से शुरू करवाने के फेर में हैं। इसके लिए खुद बीरेंद्र सिंह और प्रेम लता अपनी तरफ से गंभीर प्रयास कर रहे हैं। भाजपा को आई.ए.एस. बृजेंद्र सिंह पर सोनीपत से दांव लगाने के लिए बड़े जिगरे की जरूरत होगी। इस संसदीय क्षेत्र से इस बार कांग्रेस की तरफ से पूर्व सी.एम. भूपेंद्र हुड्डा या उनकी पत्नी आशा हुड्डा के चुनावी दंगल में उतरने की चर्चाएं भी पूरी गर्म हैं। सोनीपत संसदीय क्षेत्र इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए बहुत कड़ी और बड़ी चुनौती रहेगा। 

2014 में सोनीपत संसदीय क्षेत्र से भाजपा टिकट पर रमेश कौशिक ने बाजी मारी थी। उन्होंने कांग्रेस के जगबीर मलिक को पराजित किया था। सोनीपत संसदीय क्षेत्र से इस बार केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के आई.ए.एस. बेटे बृजेंद्र सिंह के चुनाव लडऩे की राजनीतिक क्षेत्रों में सबसे ज्यादा संभावनाएं जताई जा रही हैं। बेटे की राजनीतिक पारी सोनीपत के चुनावी दंगल से शुरू करवाने को लेकर बीरेंद्र सिंह बेहद गंभीर हैं। वह साफ कह चुके हैं कि उनके बेटे को भाजपा संसदीय चुनाव लड़वाती है तो वह चुनावी राजनीति से संन्यास ले लेंगे।
 
बृजेंद्र सिंह 1998 बैच के हरियाणा कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी हैं। भाजपा उन्हें सोनीपत से चुनावी दंगल में उतारती है तो इसके लिए भाजपा को बहुत बड़े जिगरे की जरूरत पड़ेगी। इस संसदीय क्षेत्र से पिछले 2 चुनावों में किसी भी प्रमुख दल ने जींद जिले से प्रत्याशी बनाने की हिम्मत नहीं दिखाई है। 2004 में इनैलो ने सोनीपत से कृष्णा मलिक को अपना प्रत्याशी जरूर बनाया था, लेकिन कृष्णा मलिक तीसरे स्थान पर रह गई थीं। उसके बाद से कांग्रेस, भाजपा या इनैलो किसी भी प्रमुख दल ने सोनीपत संसदीय क्षेत्र से जींद जिले के किसी नेता पर दांव नहीं लगाया। आई.ए.एस. बृजेंद्र सिंह जींद जिले से हैं। ऐसे में उन पर भाजपा सोनीपत संसदीय क्षेत्र से चुनावी दाव लगाती है तो यह भाजपा का राजनीतिक रूप से बेहद साहसी फैसला माना जाएगा। प्रदेश में जिस तरह से राजनीतिक माहौल जींद उप चुनाव में भाजपा की शानदार जीत से बना है, उसमें भाजपा सोनीपत से केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह पर दांव लगाने की हिम्मत कर सकती है। 

सोनीपत से हुड्डा या उनके परिवार के सदस्य के चुनाव लडऩे की भी चर्चाएं
सोनीपत संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व सी.एम. भूपेंद्र हुड्डा या उनकी पत्नी आशा हुड्डा के चुनाव लडऩे की चर्चाएं राजनीतिक क्षेत्रों में खासी गर्म हैं। इन चर्चाओं को सोनीपत संसदीय क्षेत्र में खुद भूपेंद्र हुड्डा और रोहतक के कांग्रेसी सांसद दीपेंद्र हुड्डा की सक्रियता बल दे रही है। 
कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही ऐसे नेता हैं, जिनका सोनीपत जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर बहुत गहरा राजनीतिक प्रभाव है और जींद जिले की भी 3 विधानसभा सीटों जुलाना, सफीदों और जींद में उनका खासा असर है।

इसी असर को देखते हुए राजनीतिक क्षेत्रों में यह चर्चा है कि सोनीपत से या तो खुद भूपेंद्र हुड्डा कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं या उनकी पत्नी आशा हुड्डा सोनीपत से कांग्रेस प्रत्याशी हो सकती हैं। कांग्रेस ने जिस तरह जींद उप चुनाव में रणदीप सुर्जेवाला जैसे अपने बहुत बड़े चेहरे को चुनावी दंगल में उतारने से गुरेज नहीं किया था, उसे देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि सोनीपत से पूर्व सी.एम. भूपेंद्र हुड्डा या उनकी पत्नी आशा हुड्डा कांग्रेस प्रत्याशी हो सकते हैं। अगर हुड्डा परिवार सोनीपत से संसदीय चुनाव नहीं लड़ता है तो उस सूरत में पूर्व सी.एम. भूपेंद्र हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार प्रो. वीरेंद्र, इनैलो से कांग्रेस में शामिल हुए सुरेंद्र दहिया या महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव डा. वीना देशवाल के कांग्रेस प्रत्याशी होने की संभावनाएं हैं। 

भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए सोनीपत बड़ी और कड़ी चुनौती
सत्तारूढ़ दल भाजपा और विरोधी दल कांग्रेस दोनों के लिए सोनीपत संसदीय क्षेत्र बड़ी और कड़ी चुनौती साबित होगा। इस संसदीय क्षेत्र में जिस तरह का राजनीतिक माहौल है, उसमें भाजपा या कांग्रेस में से किसी भी दल के लिए चुनाव आसान नहीं होगा। 2009 में सोनीपत संसदीय सीट पर कांग्रेस के जितेंद्र मलिक ने जोरदार जीत हासिल की थी तो 2014 में सोनीपत संसदीय सीट पर भाजपा के रमेश कौशिक 70 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से विजयी रहे थे।

2014 के संसदीय चुनावों में भाजपा को जींद, सफीदों, सोनीपत, गन्नौर, राई विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। 4 विधानसभा सीटों पर 2014 में भी भाजपा को लीड नहीं मिल पाई थी। 2009 के संसदीय चुनावों में सोनीपत से भाजपा को 9 में से 8 विधानसभा क्षेत्रों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। केवल जींद विधानसभा क्षेत्र में ही उसे बढ़त मिल पाई थी। 

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