स्वाधीनता, स्वराज और संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को भूल चुकी है भाजपा सरकार: सुरजेवाला
punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 07:52 PM (IST)
चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : देशभर में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर जहां तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमला कर रहे हैं तो वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी निरंतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए नजर आ रहे हैं और इसी की बानगी है कि रविवार को कांग्रेस ने दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में एक महारैली करके प्रधानमंत्री मोदी व चुनाव आयोग पर लोकतंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया। इसी क्रम में सोमवार को राज्यसभा में सत्र के दौरान अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुर्जेवाला ने भी लोकतंत्र की अस्मिता को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए जहां पटल पर सवाल छोड़े हैं तो वहीं उन्होंने सरकार के समक्ष अपनी ओर से 8 सुझाव भी रखे हैं। सुर्जेवाला ने राज्यसभा में चुनावी सुधार पर आधारित चर्चा में बड़े ही बेबाक तरीके से अपनी बात रखते हुए साफ कहा कि केंद्र सरकार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के तीन बुनियादी सिद्धांतों स्वाधीनता, स्वराज और अपना संविधान को याद रखे क्योंकि यही भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला है मगर वर्र्तमान सरकार ने इन तीनों ही मूलमंत्रों को भुला दिया है।
अतीत की तस्वीर के साथ वर्तमान पर उठाए सवाल
गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इस सत्र के दौरान अन्य मुद्दों के साथ साथ चुनावी प्रणाली को लेकर भी सांसदों ने अपने अपने तर्क दिए। इस मामले में जहां केंद्र सरकार ने अपनी ओर से तथ्य रखे तो वहीं सभी विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मोदी और चुनाव आयोग की मिलीभगत करार देते हुए चुनाव आयोग द्वारा अपनाए जा रहे हथकंडों की कड़े शब्दों में आलोचना की। सोमवार को राज्यसभा के पटल पर कांग्रेस के महासचिव एवं सांसद रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने चुनाव से संबंधित 4 अहम प्रश्नों के साथ चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगे। सुर्जेवाला ने अतीत के उदाहरणों की तथ्यात्मक ऐसी तस्वीर प्रस्तुत की जो वर्तमान हालात पर कटाक्ष थी। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र का मूलमंत्र ‘हर व्यक्ति को वोट का अधिकार’ और निष्पक्ष चुनाव है। उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि कांग्रेस ने 1928 की मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट और 1931 के कराची अधिवेशन में सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के वोट का अधिकार देने का संकल्प लिया था। वहीं, उन्होंने आर.एस.एस के तत्कालीन विचारों का जिक्र करते हुए गोलवलकर के उदाहरण और ऑर्गनाइजर के 1949 एवं 1952 के लेखों का हवाला दिया जिनमें सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर सवाल उठाए गए थे। सुर्जेवाला ने भारतीय लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभों सार्वभौमिक वोट अधिकार, स्वतंत्र चुनाव आयोग और संवैधानिक संस्थाओं की मजबूती को जिंदा रखने की भी बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सत्ताधारी दल इन पर हमले कर रहे हैं।
सरकार की समिति से खतरे में हैं निष्पक्षता
राज्यसभा सदस्य रणदीप सुर्जेवाला ने डा. बी.आर अंबेडकर की चिंताओं और सुप्रीम कोर्ट के अनूप बर्नवाल फैसले का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सी.जे.आई को बाहर कर सरकार ने 2:1 बहुमत वाली समिति बनाई जिससे निष्पक्षता खतरे में है। उन्होंने बिहार और अन्य राज्यों में तेजी से वोटर लिस्ट रिवीजन को ‘वोट दबाने का तंत्र’ करार दिया। इसके अलावा सुर्जेवाला ने बी.एल.ओ अधिकारियों की आत्महत्याओं का जिक्र कर प्रक्रिया की अव्यवहारिकता पर भी सवाल उठाए। सुर्जेवाला ने कहा कि चुनाव आयोग की नियुक्ति को लेकर बनाई गई समिति का जो अनुपात है वो साफ तौर पर दर्शाता है कि भाजपा की आखिर मंशा क्या है? इसके अलावा चुनाव आयोग को निरंतर पोषित करते हुए भाजपा न केवल अपने मंसूबों को हासिल करती हुई दिखाई दे रही है बल्कि लोगों के वोट डालने के अधिकार पर भी कहीं न कहीं डाका डाला जा रहा है। सांसद सुर्जेवाला ने बिहार, महाराष्ट्र और 2019 लोकसभा चुनावों में चुनाव से ठीक पहले सरकारी योजनाओं से पैसे बांटने को वोट खरीदारी बताया। इलैक्टोरल बॉन्ड्स और ई.डी/सी.बी.आई के दुरुपयोग से भाजपा को भारी फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। अजय माकन के हवाले से कहा कि भाजपा के पास अन्य दलों से कहीं अधिक फंड है, जो लेवल प्लेइंग फील्ड को खत्म कर रहा है।
सवालों के साथ सुरजेवाला ने ये दिए अहम सुझाव
अहम बात ये है कि सांसद रणदीप सुर्जेवाला ने अपने सवालों के साथ सरकार को घेरते हुए अपने संबोधन में लोकतंत्र को बचाने के लिए 8 अहम सुझाव भी प्रस्तुत किए। उन्होंने सुझाव देते हुए दोहराया कि चुनाव आयुक्त नियुक्ति समिति में सी.जे.आई को शामिल करना चाहिए। ई.वी.एम पर संदेह के कारण बैलट पेपर पर वापसी या 100 प्रतिशत वी.वी.पैट गिनती करनी चाहिए। इसके अलावा वोटर लिस्ट की मशीन रीडेबल कॉपी सभी दलों को उपलब्ध कराना और नाम हटाने से पहले नोटिस अनिवार्य करना चाहिए साथ ही चुनाव से 6 महीने पहले नई कैश ट्रांसफर स्कीम पर रोक लगनी चाहिए। सुर्जेवाला ने कहा कि वोट शेयर के आधार पर दलों को फंडिंग और इलैक्टोरल ट्रांसपेरेंसी कमीशन का गठन होना चाहिए। अपने संबोधन के दौरान सुर्जेवाला ने काव्यात्मक अंदाज में कहा कि ‘मानते हैं अंधेरा बहुत घना है, पर अंधेरे को चीरकर दिया जलाना कब मना है और जरा अदब से उठाना इन दीयों को, बीती रात इन्होंने सबको रोशनी दी थी’। उन्होंने कहा कि हमने खुद को जलाकर रोशनी की थी और करते रहेंगे।