हरियाणा में बीजेपी के बड़े अस्त्र फेल, न राष्ट्रवाद, न अनुच्छेद-370, न काम आया राफेल

10/25/2019 3:31:59 PM

डेस्क: हरियाणा विधानसभा चुनावों में बीजेपी के सभी बड़े अस्त्र फेल होकर रह गए। चुनाव में न राष्ट्रवाद, न अनुच्छेद-370, न राफेल मुद्दा काम आया। लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में माहौल कुछ और था। इस दौरान मतदाताओं ने स्थानीय मुद्दों को हाशिये पर रखते हुए सिर्फ और सिर्फ मोदी के नाम पर वोट कर सभी दस सीटों पर कमल खिलाया था। हरियाणा में प्रचार के लिए आए मोदी, शाह और अन्य केंद्रीय भाजपा नेताओं ने सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों को ही मंच से उछाला था।

बात सर्जिकल व एयर स्ट्राइक की गई, घाटी में आतंकवाद पर कसते शिस्रड्डजे की हुई और सत्ता में आने के बाद जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की घोषणा भी की गई। इसके अलावा नरेंद्र मोदी द्वारा हरियाणा से जोड़े गए अपने रिश्तों, व्यक्तिगत लगाव और हरियाणवियों के समक्ष की गई उनकी भावुक अपील ने उस वक्त प्रदेश के मतदाताओं को भाजपा नहीं मोदी से जोड़ दिया था। 

इसी राष्ट्रवाद और मोदी प्रेम की बदौलत हरियाणवियों ने भी लोकसभा चुनाव में इनके सभी दस सांसदों को जितवाया था। इस विधानसभा चुनाव में मुद्दों की जमीन अलग ही थी। मोदी और शाह फिर हरियाणा के चुनावी रण में भाजपा की जीत के लिए सक्रिय थे। उनके साथ अन्य केंद्रीय मंत्री व नेतागण भी भाजपा की जीत के लिए हरियाणा में पसीना बहा रहे थे।  इस बार भी इन नेताओं ने मंच से राष्ट्रवाद के ही मुद्दे उछाले। पाक समर्थित आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने की बात हुई।

आतंकवाद में शहीद होने वाले जवानों की बात हुई, जम्मू-कश्मीर में खत्म किए गए अनुच्छेद 370 का भी मंच से जमकर शोर मचाया गया। बाहर से आए नेताओं ने ही नहीं, बल्कि हरियाणा में भाजपा के प्रत्याशियों तक ने इन राष्ट्रीय मुद्दों को अपनी जीत का आधार बनाने की कोशिश की। वहीं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने मंच से राफेल और उसकी पूजा को लेकर विरोधियों पर निशाना साधा। कई रैलियों में राफेल का विशेष रूप से जिक्र भी किया।

मगर विडंबना यह रही कि हरियाणा के इस चुनावी समर में न तो राष्ट्रवाद का कार्ड चला और न ही अनुच्छेद 370 का मुद्दा स्थानीय मतदाताओं पर अपना असर दिखा पाया। दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, हरियाणा में बढ़ता अपराध, क्राइम अंगेस्ट वूमैन, घोटाले इत्यादि मुद्दों से भी भाजपा की घेराबंदी की थी। इसके अलावा कांग्रेस का संकल्प पत्र में किए गए वादों में भी मतदाताओं ने दिलचस्पी दिखाई। इसका असर यह रहा कि वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर सिमटी कांग्रेस इस बार 31 सीटों तक पहुंच गई। जबकि जजपा ने भी अपने स्थानीय मुद्दों के बूते 10 सीटों पर जीत दर्ज की।

Edited By

vinod kumar