हरियाणा: जिला पार्षदों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में बाजी मारने की भाजपा की रणनीति

6/16/2019 2:15:09 PM

जींद (जसमेर): प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने जिस तरह जिला परिषदों को ज्यादा अधिकार दिए हैं और विकास कार्यों के लिए जिला परिषदों को ज्यादा पैसा दिया है उसे भाजपा की पार्षदों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में बाजी मारने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। 

शुक्रवार को पंचकूला में जिला परिषदों पर प्रदेश सरकार ने खास मेहरबानी की बारिश की है। इसमें जिला परिषदों को ज्यादा प्रशासनिक अधिकार देने के साथ-साथ विकास कार्यों के लिए हर जिला परिषद को 20 से 25 करोड़ रुपए देने का फैसला शामिल है। जिला परिषद ग्रामीण क्षेत्र की स्थानीय सरकार मानी जाती है। इसमें निर्वाचित पार्षदों के अलावा उस क्षेत्र के सांसद और विधायक भी सदस्य होते हैं। पंचायत समितियों के प्रधान भी जिला परिषद के सदस्य हैं। यह पूरा नैटवर्क ग्रामीण क्षेत्र को शत-प्रतिशत कवर करता है और भाजपा का नेतृत्व ग्रामीण क्षेत्र के इस नैटवर्क के राजनीतिक महत्व को समझता है। भाजपा सरकार ने जिला परिषदों को इतनी पावर देकर ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा के प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास किया है।

2014 के विधानसभा चुनावों में भले ही भाजपा को 47 सीटों पर जीत मिली थी और पूर्ण बहुमत से प्रदेश में उसकी सरकार बनी थी लेकिन तब ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को बहुत कम सीटों पर जीत हासिल हुई थी। ग्रामीण क्षेत्र की ज्यादातर सीटों पर इनैलो और कांग्रेस को जीत मिली थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हरियाणा में इस बार मिशन-75 को पूरा करने के लिए जरूरी है कि भाजपा शहरी सीटों के साथ-साथ ग्रामीण सीटों पर भी शानदार प्रदर्शन करे। ग्रामीण क्षेत्र में जिला परिषद सदस्यों का अपने वार्डों में खासा राजनीतिक प्रभाव होता है। इन जिला पार्षदों के इस प्रभाव को भाजपा अब विकास कार्यों के लिए जिला परिषदों को ज्यादा पैसा और पावर देकर बढ़ाने के रास्ते पर चली है। उसकी रणनीति यह है कि वह ग्रामीण क्षेत्र में पार्षदों के प्रभाव का फायदा चुनाव में उठाए।

पहले भाजपा की दिक्कत यह होती थी कि ग्रामीण क्षेत्र में उसे सबसे कमजोर माना जाता था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जिस तरह ग्रामीण विधानसभा सीटों पर भी भाजपा का प्रदर्शन काफी प्रभावी रहा है उसे देखते हुए भाजपा को अब यह विश्वास हो चला है कि वह ग्रामीण क्षेत्र में इस बार 2014 के मुकाबले कहीं अच्छा प्रदर्शन 2019 में कर सकती है।

जींद उप-चुनाव में कारगर रहा था गांवों की सरकार का समर्थन 
इस साल हुए जींद उप-चुनाव में भाजपा ने गांवों की सरकार मतलब सरपंचों का समर्थन अपने लिए जुटाया था। सरपंचों के इस समर्थन के बूते पर ही भाजपा ने जींद उप-चुनाव में कांगे्रस के दिग्गज नेता और प्रत्याशी रणदीप सुर्जेवाला को करारी मात दी थी तथा जे.जे.पी. के दिग्विजय चौटाला को भी 13 हजार मतों के अंतर से पराजित कर दिया था।

Shivam