पार्टी योद्धाओं की अनदेखी पर बीजेपी को करना होगा विचार, कही भारी ना पड़ जाए अनदेखी !

punjabkesari.in Saturday, Aug 24, 2024 - 03:53 PM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को अपने बलबूते पर सत्ता तक पहुंचाने वाले नेताओं को धीरे-धीरे पार्टी में साइड लाइन किया जा रहा है। इनमें कईं दिग्गज ऐसे है, जो अपनी टिकट पर संशय के चलते अब अपने बेटों के लिए टिकट मांग रहे हैं। हालांकि पार्टी को सत्ता की सीढ़ी पर चढ़ाने के अलावा सत्ता पर काबिज करवाने में कईं नेताओं की अहम भूमिका रही। इनमें अनिल विज और रामबिलास शर्मा जैसे कुछ प्रमुख नाम भी शामिल है, लेकिन पार्टी की ओर से लगातार की जा रही अनदेखी के चलते आज अनेक दिग्गज हाशिये पर जाते नजर आ रहे है, जोकि भारतीय जनता पार्टी के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है। शायद यहीं कारण है कि आज पार्टी को टिकट वितरण के लिए गहन मंथन के साथ ही अपनी पुरानी परंपरा को त्यागते हुए परिवारवाद की राह पर चलने जैसे फैसले लेने पड़ सकते हैं। 

10 तक का कार्यकाल रहा सफल

संघ के स्वयं सेवक के रूप में काम करने वाले मनोहर लाल पहली बार करनाल से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीतने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का ताज पहनाया गया। अपने करीब साढ़े 9 साल के कार्यकाल के दौरान मनोहर लाल ने हरियाणा की राजनीति में कई ऐसे फैसले लिए, जिनके बारे में शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। आज मनोहर लाल की देन के कारण ही बुजुर्गों को अब पेंशन बनवाने के लिए भटकना नहीं पड़ता। घर बैठे ही उनकी पेंशन खुद ही समय पर बन जाती है। मुख्यमंत्री के रूप में मनोहर लाल ने कईं ऐसे फैसले लिए, जिनका जनता पर सीधा असर पड़ा और जनता को उन योजनाओं का लाभ भी मिला। 

दिया था अकेले लड़ने का बीज मंत्र

हरियाणा में बीजेपी को गठबंधन की राजनीति से निकाल, अकेल अपने दम पर सत्ता पर काबिज करवाने वालों प्रमुख नामों में अनिल विज और रामबिलास शर्मा की भूमिका अहम रही है। भारतीय जनता पार्टी की राजनीति के योद्धा कहे जाने वाले इन योद्धाओं को भाजपा के दिग्गज व दिवंगत पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. मंगल सेन की खुली मदद हमेशा मिली। 2011-12 में हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) से गठबंधन कर चलने वाली भाजपा को अकेले चुनाव लड़ने का बीज मंत्र अनिल विज ने दिया था, जिसके परिणाम निकले और 2014 में भाजपा अकेले अपने दम पर 47 सीट जीतकर हरियाणा विधानसभा में सत्ता पर काबिज हुई। 

भाजपा के भीतर सभी पुराने धुरंधरों कृष्णपाल गुर्जर, रामबिलास शर्मा, अनिल विज, डॉ. कमला वर्मा जैसे चेहरों की अनदेखी कर भाजपा ने पंजाबी चेहरे मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बनाने का काम किया। भाजपा पिछले 10 साल से हरियाणा की सत्ता पर काबिज है। 2019 के चुनाव में भाजपा के कईं धुरंधर रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनखड़ जैसे चेहरे भी चुनाव हार गए। भाजपा गठबंधन में फिर से सत्ता में आई और 6वी बार विधायक बने अनिल विज को हरियाणा में गृह, स्वास्थ्य व निकाय जैसे प्रमुख और अहम विभाग दिए गए। 

सत्ता के इन 10 वर्षों में भाजपा में भी पुराने योद्धाओं के स्थान पर नई टीम धीरे-धीरे आगे आने लगी। प्रो. रामबिलास शर्मा बढ़ती आयु के चलते जहां भाजपा संगठन में अनदेखी का शिकार होने लगे। वहीं, हरियाणा में मुख्यमंत्री का चेहरा बदले जाने पर अनिल विज ने नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने पर मंत्री पद स्वीकार ना करने का फैसला लिया। 

कोविड-19 आने और लॉकडाउन जैसे हालात में भी भाजपा के योद्धा की भूमिका निभाने वाले अनिल विज हरियाणा सचिवालय में प्रतिदिन ज्यादातर नजर आए। बाथरुम में स्लिप होने और अस्तपाल में भर्ती होने, दो बार कोविड के शिकार होकर अस्पताल में रहने वाले अनिल विज अपने मंत्री पद और जनता के प्रति जिम्मेदारी निभाने के लिए अपने कार्यालय की सभी फाइलों को तुरंत निकालते रहे। बदली राजनीतिक व्यवस्था और समय के इस चक्र में अनिल विज जैसे व्यक्ति जो मिशन 2024 की टीम का अहम हिस्सा होने चाहिए, उन्हें भी दरकिनार किया जाने लगा। विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया व्यवस्था में भी अनिल विज का नाम सूची में काफी देरी से अंकित किया गया। हालांकि इस पर अनिल विज ने साफ कहा था कि वह पार्टी के अन्न्य भक्त है और वह हमेशा पार्टी के सिपाही के रूप में अपना काम करते रहेंगे। 

आजाद रहकर भी अपनाई भगवा विचारधारा

दो बार आजाद विधायक के रूप में जीत दर्ज करवाने के बावजूद अनिल विज हमेशा भारतीय जनता पार्टी की भगवा विचारधारा पर ही चलते नजर आए। राजनीति में आने की शुरूआत से ही अनिल विज कांग्रेस के धुर विरोधी रहे। विज के अनुसार देश के दो दूकड़े करवाने में कांग्रेस की सबसे अहम भूमिका थी, जो पार्टी सत्ता के लालच में देश के टूकड़े कर सकती है, उस पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Nitish Jamwal

Related News

static