नहीं होती स्तन कैंसर की जांच, मैमोग्राफी मशीन बनी शोपीस

1/7/2020 1:40:33 PM

रोहतक(मैनपाल): जिला सामान्य अस्पताल में हर प्रकार की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के दावे हवा हो रहे हैं। चिकित्सकों से लेकर आला अधिकारी व नेता अपने भाषणों में लंबे-चौड़े दावे करते हैं लेकिन करीबन 5 साल से लाखों रुपए की मैमोग्राफी मशीन बंद कमरे में धूल फांक रही है। हैरानी की बात तो यह है कि सालों बीतने पर मशीन का प्रयोग मरीजों की जांच में नहीं किया जा सका है।

हालांकि, सोमवार को अधिकारियों ने दावे से कहा कि अस्पताल की कोई मशीन बंद कमरे में नहीं रहेगी, सभी को प्रॉपर प्रयोग में लाया जाएगा। खैर, बीते कई सालों से आई.सी.यू. व मैमोग्राफी मशीन का इस्तेमाल मरीजों की सेवा के लिए नहीं हो पाया। देखना होगा कि अधिकारियों के दावे हकीकत में कब बदलते हैं।

बता दें कि महिलाओं में स्तन कैंसर की बीमारी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। स्तन कैंसर की स्थिति जानने के लिए मैमोग्राफी टैस्ट करवाया जाता है। जिले के आस-पास से रोग के लक्षण देख महिलाएं यहां पहुंच तो रही हैं, मगर बीमारी की पकड़ के अस्पतालों में भटकने के बाद इलाज नहीं हो पा रहा है। ऐसे में मरीज को या तो पी.जी.आई. रैफर किया जाता है या जांच प्राइवेट लैब करवाई जाती है।

प्राइवेट लैब में महंगी होती है मैमोग्राफी
पी.जी.आई. में महिलाएं नि:शुल्क मैमोग्राफी का टैस्ट करवा सकती हैं लेकिन निजी अस्पतालों व लैब में यही टैस्ट करवाने के लिए हजारों रुपए खर्च का महंगाई में अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है। अस्पताल में टैस्ट न होने से निजी लैब वालों की खूब चांदी हो रही है। लगभग 1400 की ओ.पी.डी. वाले अस्पताल में मैमोग्राफी की मशीन लगभग 5 साल पहले सामान्य अस्पताल में अस्पताल में लगाई गई थी जिसकी कीमत 8 से 10 लाख रुपए है। 

डा. रमेश कुमार, सामान्य अस्पताल के प्रभारी ने कहा कि सामान्य अस्पताल के प्रभारी डा. रमेश कुमार ने बताया कि मैमोग्राफी मशीन के संबंध में बॉयोमैडीकल इंजीनियर से रिपोर्ट मांगी गई थी, रिपोर्ट आ गई है। मशीन में किसी प्रकार की कोई तकनीकी खराबी नहीं है। डाक्टरों को जल्द निर्देश दिए जाएंगी कि आवकश्यतानुसार जांच लिखी। मशीन का मरीजों की सुविधा के लिए जल्द इस्तेमाल शुरू होगा।

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vinod kumar