कैग रिपोर्ट में खुलासा, बिजली निगम को 1050 करोड़ की चपत

11/27/2019 12:56:29 PM

चंडीगढ़ (बंसल/पांडेय): हरियाणा की बिजली वितरण कंपनियों की हीलाहवाली के कारण निगम को करीब 1050 करोड़ का नुक्सान झेलना पड़ा। बताया गया कि निगम उपभोक्ताओं से 935 करोड़ 91 लाख रुपए अग्रिम राशि के तौर पर वसूलने में पीछे रहे। इस कारण निगमों को अतिरिक्त ब्याज के तौर पर 122 करोड़ 5 लाख की चपत लगी। यह खुलासा कैग रिपोर्ट में हुआ है। विधानसभा सत्र में रखी कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 से 2016 दौरान बिजली निगमों को कई तरह से हानि झेलनी पड़ी। कैग ने माना है कि 2016 से 2018 की अवधि में तकनीकी और वाणिज्यिक हानि को रोकने के लिए कुछ कंपनियों ने कदम उठाए लेकिन ज्यादा सफल नहीं हुई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग द्वारा समय-समय पर जारी टैरिफ आदेशों विरुद्ध महिला उपभोक्ताओं को 2005-06 और 2017-18 में 14 करोड़ 40 लाख रुपए की रियायत दी गई। कैग रिपोर्ट में साफ कहा है कि मार्च-2018 तक बिजली कंपनियों ने एचईआसी द्वारा निर्धारित संग्रहण दक्षता के लक्ष्य को हासिल नहीं किया था। मार्च-2014 में बकाया 4460 करोड़ 18 लाख रुपए था, जो अब मार्च-2018 में बढ़कर 7332 करोड़ 70 लाख पहुंच गया। कैग रिपोर्ट में कहा कि कंपनी ने ट्रांसफार्मर के तेल की खरीद ओपन की बजाय लिमिटेड टैंडर से खरीदने के कारण निगम को 5 करोड़ 34 लाख रुपए अतिरिक्त खर्चने पड़े।

रिपोर्ट में विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि ठेकेदारों द्वारा अनुबंधों बावजूद विलंबित निष्पादन नहीं किए जाने, ठेकेदारों से संविदा राशि और उस पर ब्याज की मासिक किश्तों के कम जमा करने, ठेकेदारों के साथ-साथ सरकार द्वारा एम.एम.डी.आर.आर. निधि में कम अंशदान था और विभाग द्वारा निधि की अपर्याप्त मानीटरिंग थी। स्टोन क्रेशर परिचालित करने के लाइसेंसों के नवीनीकरण में विलंब, ईंट भट्ठा स्वामियों से रॉयल्टी, अतिरिक्त रॉयल्टी और ब्याज की कम वसूली के मामले में भी देखे गए थे जिसके कारण 1,476.21 करोड़ के राजस्व की हानि हुई। बताया गया कि कुल 95 ठेकेदारों में से 77 ठेकेदारों ने पांच में से 891 दिनों की देरी से अनुबंधों का निष्पादन किया और नौ ठेकेदारों ने अनुबंधों का निष्पादन नहीं किया।

Isha