सावधान, ढाबों पर परोसा जा रहा ‘धीमा जहर’

9/11/2018 8:35:46 AM

फरीदाबाद(महावीर गोयल): ढाबों पर खाने के शौकीन लोगों को सावधान होने की जरूरत है। जिले में अनेक ऐसे ढाबे हैं जहां स्वाद के नाम पर कथित रूप से धीमा जहर परोसा जा रहा है। स्मार्ट सिटी में ढाबों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। कई ढाबे अवैध रूप से खोले गए हैं परंतु लोग स्वाद के आगे सेहत को खराब कर रहे हैं। 

दरअसल,ढाबों में बनने वाले भोजन व उसे तैयार करने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की गुणवत्ता को लेकर नियमित रूप से कोई विशेष क्वालिटी चैक नहीं किया जाता जिसके कारण लोगों को भोजन के रूप में बीमारियां परोसी जा रही है। कुछ समय पूर्व करनाल में एक ढाबे की जांच का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसे देखने के बाद कई लोगों ने तो ढाबों में जाने से ही तौबा कर ली तो वहीं कई लोग पहले ढाबे की किचन का निरीक्षण करते हैं, उसके बाद ही वहां खाना खाते हैं।

कुछ समय पूर्व सोशल मीडिया पर करनाल के एक प्रसिद्ध ढाबे की खाद्य सामग्री की जांच को लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में बना रहा। इस वीडियो में जांच अधिकारी ढाबे में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों, मसालों व साफ-सफाई का निरीक्षण करने पहुंचे थे। वीडियो में दर्शाया गया कि शौचालय की जगह पर स्टोर बनाया गया था जहां खाद्य सामग्री का स्टॉक रखा गया था। 

इतना ही नहीं, जिन बर्तनों में खाना बनाया गया था, वह भी काफी गंदे थे। सड़ी हुई सब्जियां इस्तेमाल के लिए रखी गई थीं। इस वीडियो ने लोगों को हैरान कर दिया। जिले में भी ऐसे  अनेक छोटे बड़े ढाबे हैं जहां यही आलम चल रहा है।शहर में ढाबों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि ढाबों में होटल व रेस्टोरेंट के मुकाबले लोगों को खाना अधिक स्वादिष्ट लगता है परंतु अधिकतर ढाबे ऐसे हैं जहां खाना बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की क्वालिटी बेहद निम्र स्तर की होती है।

लगातार खुल रहे हैं अवैध ढाबे: जिले में काफी मात्रा में अवैध ढाबे चल रहे हैं। वहीं इनके खुलने का सिलसिला जारी है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी एक साथ कई ढाबे बने हुए हैं। इसके अलावा बल्लभगढ़ से पलवल जाते हुए भी कई ढाबे रास्ते में आते हैं। इन ढाबों पर लोग शौक से खाना खाने के लिए रुकते हैं परंतु यदि खाने की गुणवत्ता की बात करें तो खाने की गुणवत्ता काफी निम्र स्तरीय होती है।  विशेष रूप से पनीर, मटर व अन्य सब्जियां व मसाले काफी घटिया क्वालिटी के इस्तेमाल किए जाते हैं। इस निम्र स्तर की सामग्री से बना खाना लोगों को बीमार कर रहा है। 

ढाबे पर बेची जाती हैं खराब सब्जियां:ढाबों पर  जो सब्जियां लोग चटखारे लेकर खाते हैं, वे इस बात से अनभिज्ञ होते हैं कि जो सब्जी की गुणवत्ता इसमें इस्तेमाल की गई है वह काफी खराब है। इस बात का खुलासा गली-मोहल्लों में घूमने वाले सब्जी विक्रेता करते हैं। एक सब्जी विक्रेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे खराब सब्जियों को फेंकते नहीं है बल्कि  ढाबों पर सस्ती बेच देते हैं क्योंकि ढाबों पर सब खप जाता है।

सब्जी विक्रेता नुक्सान से बचने के लिए इन्हे बेच देते हैं और ढाबा मालिक सस्ते के चक्कर  में इन सड़ी-गली सब्जियों को खरीद लेते हैं। कई बार सब्जी विक्रेता गली-सड़ी सब्जियों को ढाबों पर बेचते देखे गए हैं। नकली पनीर, सोया चाप व मटर: ढाबों पर सब्जियों की गुणवत्ता तो खराब होती ही है इसके साथ-साथ पनीर, मटर या सोया चाप भी अधिकतर नकली व घटिया क्वालिटी के इस्तेमाल किए जाते हैं। पनीर की यदि बात करें तो यह पनीर खाने में रबड़ जैसा प्रतीत होता है। 

इसके अलावा  सोया चाप  सस्ते के चक्कर में सोयाबीन की बजाय मैदा की इस्तेमाल की जाती है जोकि सेहत के लिए खतरनाक होती है। इतना ही नहीं सब्जियों में इस्तेमाल किए जाना वाले मटर वास्तव में हरे मटर नहीं होते। छोले वाली मटर को कृत्रिम हरे रंग में रंगा जाता है और उन्हें हरी मटर की जगह इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे खाने से लोगों की सेहत बनेगी या बिगड़ेगी। 

Rakhi Yadav