सावधान! कहीं आपका गैस सिलैंडर एक्सपायरी तो नहीं

3/27/2017 12:39:07 PM

फतेहाबाद(गौतम तारीफ):अगर आपके घर गैस एजैंसी कर्मचारी सिलेंडर की डिलीवरी करने पहुंचता है तो जरा सतर्क हो जाएं और अच्छी तरह जांच करने के बाद की लें क्योंकि आपकी छोटी सी चूक किसी अनहोनी को बुलावा दे सकती है। आपके यहां डिलीवर होने वाले गैस सिलैंडर एक्सपायर्ड हो सकते हैं। प्रदेश में विभिन्न गैस कंपनियों द्वारा घरों से लेकर ढाबों, होटलों तक एक्सपायर्ड एल.पी.जी. गैस सिलैंडर की सप्लाई की जा रही है जिसके चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। जब कई जिलों में इसकी पड़ताल की तो पता चला कि प्रदेश की कई गैस एजैंसियों द्वारा एक्सपायर्ड डेट के सिलैंडरों की सप्लाई की जा रही है। यहीं नहीं, सिलैंडर सप्लाई करने वाले वाहनों में अग्निशमन की भी कोई व्यवस्था नहीं है। एजैंसियां अपने गोदाम में तो एक्सपायर्ड सिलैंडर रखते हैं, साथ में घरों में भी इन सिलैंडरों को सप्लाई कर जीवन खतरे में डाल रहे हैं।

लोगों के घरों में ऐेसे सिलैंडर सप्लाई किए जा रहे हैं जिन पर टैस्टिंग ड्यू डेट बीते हुए काफी समय बीत गया है। इससे एक बात तो जाहिर है कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा के खिलवाड़ जारी है। गैस एजैंसियों की इस लापरवाही से जानमाल की सुरक्षा का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि आपूर्ति विभाग के जिम्मेदार इस दिशा में लापरवाही बरत रहे हैं। वहीं गैस एजैंसियों के संचालकों का कहना है कि गैस की आपूर्ति जहां से होती है यह तो उनको जांच करना चाहिए।

खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री कर्मदेव कम्बोज ने कहा कि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। इसकी तुरंत जांच करवाने के निर्देश जारी कर कार्रवाई करवाई जाएगी। लोगों को भी एक्सपायर्ड सिलैंडर लेने से परहेज करना चाहिए।

उपभोक्ता को होना होगा जागरूक
एक्सपायर्ड या टैस्टिंग ड्यू डेट को पार कर चुके सिलैंडरों में विस्फोट होने की आशंका कहीं ज्यादा होती है। एक्सपायर्ड सिलैंडरों के लीकेज होने का खतरा ज्यादा रहता है जिसकी वजह से आगजनी हो सकती है। ऐसे में जनता को ही अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक होना पड़ेगा। यह ध्यान रखना पड़ेगा कि उनको जो सिलैंडर उपलब्ध करवाया जा रहा है वह वैध है कि नहीं। इसके अलावा सिलैंडर लीकेज, तोल आदि की भी जांच उपभोक्ता को कर लेनी चाहिए।

ये है सुरक्षा के मानक  
सिलैंडर की सप्लाई करने से पहले कंपनी सुरक्षा मानकों की जांच करके फाइनल डिलीवरी करती है। अगली जांच की तारीख सिलैंडर पर होती है। कंपनी ने वर्ष को 4 तिमाही में विभाजित किया है। जिसका कोडिंग ए, बी, सी और डी के रूप में जाना जाता है। ए यानी जनवरी से मार्च, बी यानी अप्रैल से जून, सी यानी जुलाई से सितम्बर डी यानी अक्तूबर से दिसम्बर। तारीख पार होने के बाद दोबारा सिलैंडर की जांच होनी चाहिए।