एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया की मान्यता रद्द करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती

5/18/2017 9:03:51 PM

चंडीगढ़ (घरणी): एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा हरियाणा कबड्डी एसोसिएशन की मान्यता रद्द करने के मई, 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए एसोसिएशन द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने फेडरेशन के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें एसोसिएशन की मान्यता रद्द की गई थी।

एसोसिएशन ने अपने प्रेजीडेंट विजय प्रकाश के जरिए संबंधित याचिका दायर की थी जिसमें एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया, इसके प्रेजीडेंट डा. मृदुल भदोरिया व इसके जनरल सेक्रेटरी दिनेश पटेल को पार्टी बनाया गया था। याचि पक्ष की तरफ से केस की पैरवी करते हुए एडवोकेट अमन पाल ने फेडरेशन द्वारा सुनाए गए 2 मई, 2017 के फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी जिसमें कहा गया कि उन्होंने गैरकानूनी व तानाशाही भरे तरीके से याचि एसोसिएशन की मान्यता अपनी फेडरेशन से रद्द कर दी थी।

यह कार्रवाई जल्दबाजी में की गई जिस दौरान उचित प्रक्रिया का प्रयोग नहीं किया गया जो मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में दिया गया है फेडरेशन के संविधान में है। वहीं हाईकोर्ट से मांग की गई है कि प्रतिवादी पक्ष को आदेश दिए जाए कि याचि एसोसिएशन के कामकाज में दखल अंदाजी न करे विशेषकर प्रतिवादी पक्ष द्वारा बनाई गई एड-होक कमेटी की कार्रवाई के संबंध में यह मांग की गई थी। याचिका में एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया याचि पक्ष ने कहा कि उनकी एसोसिएशन जुलाई, 1985 में हरियाणा कबड्डी एसोसिएशन के नाम से रजिस्टर्ड है। दिसंबर, 2015 में एसोसिएशन हरियाणा रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ सोसाइटीज एक्ट के अंतर्गत पुन: रजिस्टर्ड हुई थी।

क्या आरोप लगाए-
प्रतिवादी फेडरेशन ने फरवरी, 2017 में एसोसिएशन को सोनीपत में 9 से 11 फरवरी तक होने वाले पंडित दीन दयाल मेमोरियल ऑल इंडिया कबड्डी टूर्नामेंट के लिए टीमें भेजने को कहा। याचि पक्ष ने टीम भेजी जिसने फस्र्ट प्राइज जीता और 1 करोड़ रुपए मिले। याचिका के मुताबिक प्रतिवादी फेडरेशन को टूर्नामेंट में हुए भारी मुनाफे को देख लालच आ गया और याचि एसोसिएशन को दुर्भावना से शोषित करने लगी।

जिसके बाद प्रतिवादी फेडरेशन ने याचि एसोसिएशन को एक पत्र लिख कहा कि याचि एसोसिएशन की तरफ से दुविधा पैदा हो रही है। इसके वर्ष 2011 में आए संविधान और नए एक्ट में आए संविधान मांगे गए। जिसके लिए 7 दिन दिए गए। हांलाकि फेडरेशन ने माना था कि कुछ दस्तावेज याचि पक्ष की तरफ से ईमेल पर भेजे गए थे। फेडरेशन ने पाया कि एसोसिएशन के अंतिम लोकतांत्रिक चुनाव अप्रैल, 2011 में हुए थे। जिसके बाद कोई चुनाव नहीं हुए। कहा गया कि जब नई एसोसिएशन दिसंबर, 2015 में रजिस्टर हुई जिसके मेंबरशिप उस मेंबरशिप से अलग थी जो प्रतिवादी पक्ष से एफिलेटिड हुई थी। जिसके चलते याचि पक्ष की मान्यता रद्द कर दी गई। वहीं फेडरेशन ने याचि एसोसिएशन को चलाने के लिए एक एड-हॉक कमेटी का गठन भी कर दिया।

चुनाव आयोजित करने में भी दिक्कतें आई-
23 अक्तूबर, 2016 में एसोसिएशन ने अपने चुनाव रखे थे जो उस तारीख को कैंसिल करने पड़े क्योंकि उस दिन हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के भी चुनाव थे। प्रतिवादी फेडरेशन के प्रेजीडेंट, हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी समेत डिस्ट्रिक्ट फम्र्स एंड सोसाइटीज के डिप्टी रजिस्ट्रार को इसकी जानकारी दी गई थी। जिसके बाद 18 अक्तूबर, 2016 को चुनाव तय किए गए। बकायदा इसकी नोटिफिकेशन भी जारी की गई।

प्रतिवादी फेडरेशन के प्रेजीडेंट, हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी समेत डिस्ट्रिक्ट फम्र्स एंड सोसाइटीज के डिप्टी रजिस्ट्रार को चुनाव की जानकारी देते हुए अपना आब्जर्वर नियुक्त करने को कहा गया। जिस पर इनकी तरफ से जवाब आया कि संबंधित बॉय-लॉज और एक्ट के मुताबिक चुनाव प्रत्येक 3 वर्ष में होने चाहिए। ऐसे में यह लंबित नहीं थे। जिस पर डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज को याचि एसोसिएशन के प्रजीडेंट ने एक पत्र लिख मांग रखी की चुनाव की मंजूरी दी जाए क्योंकि एसोसिएशन की गवर्निंग बॉडी भंग हो चुकी है और ताजा चुनाव की स्वीकृति दे चुके हैं।

डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार ने अपने जवाब में वही बात दोहराई जिसके चलते चुनाव उस तारीख पर रद्द करने पड़े। उसके बाद याचि ने प्रतिवादी फेडरेशन को पत्र लिख चुनाव व इसके प्रेजीडेंट के अधिकारों संबंधी जानकारी दी और बताया गया कि अंतिम चुनाव नवंबर, 2015 में हुए थे। याचि ने फम्र्स एंड सोसाइटीज के एडिशनल डायरैक्टर से बात की जिन्होंने डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार, भिवानी से बात कर ताजा चुनाव कराने की मंजूरी दे दी।