खट्टर और बराला के सामने होगी 33.2% वोट पाने की चुनौती

5/10/2018 11:59:14 AM

अम्बाला(वत्स): 33.2 प्रतिशत वोटें और 47 सीटें। मनोहर लाल खट्टर और सुभाष बराला के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में इस प्रदर्शन को दोहराना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदला हुआ होगा। इन चुनावों में एक बार फिर मोदी का जादू चलने की संभावनाएं नहीं के बराबर नजर आ रही हैं। चुनाव में प्रदेश स्तरीय मुद्दे ही हावी रहेंगे, जिस कारण खट्टर को बचे हुए कार्यकाल में जमीनी स्तर पर बहुत कुछ करना होगा। 

इस समय प्रदेश का व्यापारी वर्ग सरकार से नाराज चल रहा है। व्यापारियों को मनाने के लिए प्रदेश स्तरीय सम्मेलन सरकार की ओर से रोहतक में आयोजित किया जा चुकी है। सरकार ने व्यापारियों की सभी मांगों को स्वीकार करने की बजाय कुछ मांगों को पूरा किया है। संख्या बल के आधार पर इस सम्मेलन को कामयाब नहीं माना जा सकता। व्यापारी जाट आरक्षण आंदोलन के बाद से सरकार से नाराज चल रहे हैं। जाट आरक्षण आंदोलन में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में व्यापारियों की करोड़ों रुपए की संपत्ति खाक हो गई थी। व्यापारियों की सरकार से नाराजगी उस समय और बढ़ गई थी जब सरकार ने आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए केस वापस लेने का निर्णय लिया था। इन केसों में वे लोग शामिल थे, जिन्होंने व्यापारियों की संपत्ति को नुक्सान पहुंचाया था। 

सम्मेलन में व्यापारियों की संख्या काफी कम रही थी। कांग्रेस की नजर व्यापारियों पर है। भूपेंद्र हुड्डा जहां अपने निवास पर व्यापारियों की बैठक ले चुके हैं, तो उनके बेटे दीपेंद्र जींद में व्यापारी सम्मेलन का आयोजन कर चुके हैं। कांग्रेस की ओर से अब किरण चौधरी भी व्यापारी सम्मेलन का आयोजन जल्द करने जा रही हैं। कांगे्रस को कुलदीप बिश्नोई के आने का फायदा भी मिलेगा। बिश्नोई की हजकां पार्टी को पिछले चुनावों में 3.6 फीसदी वोट मिले थे। 

भाजपा के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना कई कारणों से मुश्किल नजर रहा है। दलित वर्ग भाजपा से नाराज चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एस.सी., एस.टी. एक्ट में बदलाव के बाद दलित समुदाय के लोगों में सरकार के खिलाफ रोष है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए इस फैसले पर पुनॢवचार की मांग भी की गई थी। वैसे भी बसपा के इनैलो के साथ गठबंधन के बाद दलित वोट बैंक का भाजपा के पक्ष में आना मुश्किल नजर आ रहा है। पिछले विधानसभा चुनावों में अकेले लड़ते हुए बसपा ने 4.4 फीसदी मत हासिल किए थे। इनैलो के साथ आने के बाद बसपा का मत प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है। इससे कांग्रेस और भाजपा दोनों को नुक्सान हो सकता है। 

कांग्रेस ने दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए पूरा दम लगाया हुआ है। आरक्षण के मुद्दे को लेकर जाट पहले ही भाजपा से नाराज चल रहे हैं। उनकी नाराजगी भाजपा के जाट नेताओं को चुनावों के दौरान झेलनी पड़ सकती है। दूसरी बात यह है कि कर्मचारी वर्ग भी सरकार से नाराज चल रहा है। आए दिन सरकार के खिलाफ कर्मचारी सड़कों पर उतर रहे हैं। इससे भाजपा की प्रदेश में दूसरी पारी खेलने की राह ‘दूर की कौड़ी’ दिखाई दे रही है।

कर्मचारी चयन आयोग भी ले डूबेगा
नौकरियों में भ्रष्टाचार के मामले में सुॢखयों में आया हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग भी विधानसभा चुनावों में भाजपा के गले की फांस बन सकता है। भर्ती घोटाला उजागर होने के बाद परीक्षा में पूछे गए सवाल में ब्राह्मणों पर की गई टिप्पणी भाजपा को नुक्सान पहुंचा सकती है। आयोग की ओर से ब्राह्मण समाज से माफी भी मांगी गई है, लेकिन ब्राह्मण अभी भी सरकार के खिलाफ गुस्से में हैं।

 चूंकि भाजपा को ब्राह्मण और बणियों की पार्टी माना जाता है, इसलिए आयोग की यह करतूत ब्राह्मणों को भाजपा से दूर करने का काम कर सकती है। देखना यह होगा कि विधानसभा चुनावों से पहले सरकार किन-किन की नाराजगी दूर करने में सफल हो पाती है। फिलहाल सरकार के पास ऐसी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है, जिसके दम पर वह भाजपा की वैतरणी को पार लगा सके। 

वर्ष 2014 के चुनावों का मत प्रतिशत
भाजपा                       33.2
इनैलो                        24.1
कांग्रेस                       20.6
हजकां                       03.6
बसपा                        04.4
अन्य                        14.1

अशोक तंवर, प्रदेशाध्यक्ष, कांग्रेस
कांग्रेस प्रदेश में काफी मजबूत स्थिति में है। हर वर्ग के लोग कांग्रेस के साथ पूरे उत्साह से जुड़ रहे हैं। अगली सरकार कांग्रेस की ही होगी।’’

सुभाष बराला, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा 
भाजपा ने प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का काम किया है। प्रदेश में बिना किसी भेदभाव के विकास कार्य कराए हैं। भाजपा फिर से बहुमत के साथ सत्ता में आएगी।’’

Deepak Paul