कांग्रेस व हुड्डा के बीच सुलह की संभावनाएं हुईं क्षीण!

8/4/2019 10:22:02 AM

फरीदाबाद (महावीर): पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कांग्रेस के बीच सुलह होने की संभावनाएं काफी क्षीण हो गई हैं इसलिए अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा नई पार्टी बनाकर आगे बढऩे के अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों अनुसार हाईकमान हुड्डा के दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है। दरअसल,हाईकमान का मानना है कि उसके पास हरियाणा में खोने को कुछ नहीं है इसलिए यदि हुड्डा के आगे झुककर पार्टी उन्हें कमान दे भी दे तो भी प्रदेश में कांग्रेस के हाथ बहुत कुछ लगने वाला नहीं है। यही कारण है कि वह दबाव की राजनीति को सिरे से खारिज कर अपने स्टैंड पर कायम रहना चाहती है। 

लंबे समय से भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस पर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के लिए दबाव बनाते आ रहे हैं लेकिन हाईकमान उन्हें केवल आश्वासन ही देता दिखाई दिया है। विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर भी जब हाईकमान ने उनके पक्ष में कोई निर्णय नहीं लिया तो हुड्डा पर नई पार्टी बनाने का दबाव बढ़ गया। इसी रणनीति तहत 4 अगस्त को कार्यकत्र्ता सम्मेलन और 18 अगस्त को परिवर्तन महारैली का ऐलान किया गया। इससे पूर्व भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके समर्थक विधायकों ने सभी पहलुओं पर विचार कर रणनीति तैयार की है। हुड्डा गुट को अभी भी उम्मीद है कि शायद कांग्रेस प्रदेश में बड़े विघटन को रोकने के लिए 18 अगस्त से पूर्व कोई ठोस निर्णय ले लेगी। यदि ऐसा हुआ तो परिवर्तन रैली को कांग्रेस का नाम दे दिया जाएगा अन्यथा महारैली में हुड्डा समर्थक विधायकों सहित पार्टी को अलविदा कह नई पार्टी का ऐलान कर देंगे। 

बंसी व भजनलाल के आगे भी नहीं झुकी थी कांग्रेस 
हरियाणा में कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाने का यह पहला मामला नहीं है। हुड्डा से पहले भी पार्टी पर दबाव बनाकर वजूद दिखाने का प्रयास किया जा चुका है। बंसीलाल जब कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बना रहे थे, उस वक्त भी नजारा कुछ ऐसा ही था। उनके दबाव में हाईकमान ने झुकने से इंकार कर दिया और बंसीलाल को नई पार्टी बनानी पड़ी। बाद में उस पार्टी का भी कांग्रेस में विलय हो गया था। ठीक इसी प्रकार के हालात उस वक्त बने थे जब 2005 में भजनलाल के नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रदेश में चुनाव लड़ा था और पार्टी सत्ता तक पहुंच गई थी लेकिन हाईकमान ने जब भूपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाना चाहा तो भजनलाल ने विद्रोह कर दिया। उस वक्त भी भजनलाल के आगे हाईकमान नहीं झुका था। परिणामस्वरूप उन्होंने नई पार्टी का गठन कर दिया। हाल ही में उस पार्टी का विलय भी कांग्रेस में हो गया और यही कारण है कि हुड्डा के आगे भी पार्टी झुकने को तैयार नहीं क्योंकि हाईकमान दबाव की राजनीति को बढ़ावा देना नहीं चाहता है। 

गठबंधन से बेचैन भाजपा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में प्रदेश में गठबंधन की आहट से भाजपा भी परेशान नजर आ रही है। शुक्रवार को विधानसभा सत्र दौरान अभय चौटाला का भूपेंद्र हुड्डा की सीट पर जाकर गुफ्तगू करना चर्चा का विषय बना हुआ है। इतना ही नहीं भाजपा मंत्री रामबिलास शर्मा का यह बयान कि अभय चौटाला देवीलाल के डी.एन.ए. हैं,इसलिए वे कांग्रेस में नहीं जाएंगे,अपने आप में भाजपा की बेचैनी बयान कर रहा है। हालांकि प्रदेश में महागठबंधन के साथ चलकर भाजपा को शिकस्त देना हुड्डा व अन्य दलों के लिए आसान नहीं है लेकिन यह गठबंधन भाजपा के लिए परेशानी का कारण जरूर बन सकता है। 

नेता प्रतिपक्ष भी नहीं बनाया हुड्डा को
सूत्रों अनुसार भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने महारैली के निर्णय से पूर्व कांग्रेस हाईकमान को उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने का प्रस्ताव भी दिया था। यदि हाईकमान हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बना देता तो भी शायद यह महारैली का मामला रुक जाता लेकिन सूत्रों की मानें तो हुड्डा के इस प्रस्ताव को भी हाईकमान ने मानने से इंकार कर दिया। यही कारण रहा कि मजबूरी में हुड्डा को विधायकों के दबाव में महारैली का ऐलान करना पड़ा। हाईकमान हुड्डा के दबाव के आगे झुकने को तैयार नजर नहीं आ रहा। कहीं न कहीं हाईकमान जान चुका है कि हरियाणा में फिलहाल सत्ता किसी भी सूरत में कांग्रेस के हाथ लगने वाली नहीं है इसलिए हाईकमान पार्टी में दबाव की राजनीति को बढ़ावा देना नहीं चाह रहा है। 

Edited By

Naveen Dalal